Armenia and Azerbaijan peace agreement
Armenia and Azerbaijan peace agreement –
संदर्भ:
नागोर्नो–काराबाख पर लगभग चार दशकों के संघर्ष के बाद आर्मेनिया और अजरबैजान एक शांति संधि पर सहमत हो गए हैं
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता के बाद आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 37 साल पुरानी जंग को खत्म कराने के लिए समझौता हुआ।
- अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल ने ट्रम्प की मौजूदगी में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
Nagorno-Karabakh संघर्ष:
नागोर्नो-कराबाख संघर्ष आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच एक लम्बे समय से चला आ रहा क्षेत्रीय और जातीय विवाद है। यह दक्षिण कॉकसस का एक स्थल-रुद्ध (landlocked) पहाड़ी क्षेत्र है, जो अंतरराष्ट्रीय रूप से अज़रबैजान का हिस्सा माना जाता है, लेकिन यहां की अधिकांश आबादी जातीय आर्मेनियाई है, जो आत्म-शासन की मांग करती रही है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
सोवियत काल (1920–1988)
- 1921– सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने “बांटो और राज करो” नीति के तहत, आर्मेनियाई बहुल आबादी होने के बावजूद नागोर्नो-कराबाख को अज़रबैजान के अधीन रखा।
- सोवियत शासन के दौरान जातीय तनाव दबे रहे, लेकिन असंतोष बना रहा।
पहला नागोर्नो–कराबाख युद्ध (1988–1994)
- 1988– सोवियत संघ के कमजोर होने पर, नागोर्नो-कराबाख के जातीय आर्मेनियनों ने आर्मेनिया के साथ विलय की मांग की।
- 1991– सोवियत संघ के विघटन के बाद, आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच पूर्ण युद्ध छिड़ गया।
- 1994– रूस की मध्यस्थता में बिश्केक प्रोटोकॉल के तहत युद्धविराम हुआ।
- परिणाम– आर्मेनिया ने नागोर्नो-कराबाख और आसपास के सात अज़रबैजानी जिलों पर कब्जा कर लिया। 30,000 से अधिक लोग मारे गए और लगभग 10 लाख लोग (अधिकतर अज़रबैजानी) विस्थापित हुए।
युद्धविराम काल (1994–2020)
- 1994 के युद्धविराम के बावजूद, सीमावर्ती झड़पें जारी रहीं।
- रूस, अमेरिका और फ्रांस की अध्यक्षता वाले ओएससीई मिन्स्क समूह के प्रयास स्थायी समाधान तक नहीं पहुंच सके।
दूसरा नागोर्नो–कराबाख युद्ध (2020)
- सितंबर 2020– अज़रबैजान ने खोए हुए क्षेत्रों को वापस लेने के लिए बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया।
- तुर्की ने अज़रबैजान को ड्रोन, हथियार और सैन्य सलाहकार देकर समर्थन दिया।
- नवंबर 2020– छह सप्ताह की लड़ाई के बाद, अज़रबैजान ने अधिकांश खोए हुए इलाके, जिसमें रणनीतिक शहर शुशा भी शामिल था, वापस ले लिए।
- रूस ने युद्धविराम कराया और नागोर्नो-कराबाख में 1,960 शांति सैनिक तैनात किए।
- परिणाम– अज़रबैजान ने सात जिलों और नागोर्नो-कराबाख के हिस्सों पर कब्जा कर लिया। आर्मेनिया में राजनीतिक संकट और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
2023 अज़रबैजानी अभियान और आर्मेनियाई वापसी
- सितंबर 2023– अज़रबैजान ने अंतिम सैन्य कार्रवाई कर नागोर्नो-कराबाख पर पूर्ण कब्जा कर लिया।
- 1 लाख से अधिक आर्मेनियाई वहां से भाग गए, जिससे आर्मेनिया के दावे समाप्त हो गए।
- आत्म-घोषित आर्टसाख गणराज्य (नागोर्नो-कराबाख की आर्मेनियाई प्रशासन) ने खुद को भंग कर दिया।