Ashwagandha

संदर्भ:
हाल ही में भारत के प्रधान मंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित दूसरे WHO ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन शिखर सम्मेलन के समापन समारोह के दौरान अश्वगंधा (Ashwagandha) पर एक विशेष ₹5 (पांच रुपये) स्मारक डाक टिकट जारी किया। यह डाक टिकट भारत की पारंपरिक चिकित्सा विरासत के वैश्विक महत्व का प्रतीक है।
अश्वगंधा का परिचय:
अश्वगंधा (Withania somnifera) भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति (आयुर्वेद) की सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली औषधीय जड़ी-बूटियों में से एक है।
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- वैज्ञानिक नाम: Withania somnifera (विथानिया सोम्नीफेरा)।
- कुल (Family): सोलानेसी (Solanaceae)।
- नाम की उत्पत्ति: ‘अश्वगंधा’ शब्द संस्कृत के ‘अश्व’ (घोड़ा) और ‘गंध’ (महक) से बना है, जिसका अर्थ है “घोड़े जैसी गंध”। यह माना जाता है कि इसका सेवन करने से व्यक्ति को घोड़े जैसी शक्ति प्राप्त होती है।
- प्रचलित नाम: इसे ‘भारतीय जिनसेंग’ (Indian Ginseng) और ‘विंटर चेरी’ भी कहा जाता है।
- औषधीय गुण: अश्वगंधा एक ‘एडाप्टोजेन’ (Adaptogen) है, जो शरीर को तनाव के प्रबंधन में सहायता करता है।
- मुख्य घटक: इसमें ‘विथानोलाइड्स’ (Withanolides) नामक सक्रिय यौगिक पाए जाते हैं, जो इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार हैं।
- खेती का क्षेत्र: भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश (विशेषकर नीमच और मंदसौर), राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और उत्तर प्रदेश के शुष्क भागों में की जाती है।
- जलवायु आवश्यकताएं: यह एक ‘देर से खरीफ’ की फसल है। इसे बढ़ने के लिए 20°C से 35°C तापमान और 500-750 मिमी वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
- मिट्टी: यह रेतीली दोमट या हल्की लाल मिट्टी में सबसे अच्छी तरह उगता है जिसका जल निकासी तंत्र अच्छा हो।
इसके लाभ:
- तनाव और चिंता: यह शरीर में ‘कोर्टिसोल’ (तनाव हार्मोन) के स्तर को कम करता है।
- न्यूरोप्रोटेक्टिव: यह मस्तिष्क की कोशिकाओं की रक्षा करता है और स्मृति (Memory) में सुधार करता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली: यह संक्रमण के विरुद्ध शरीर की स्वाभाविक रक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
- एंटी-एजिंग प्रदर्शन: यह मांसपेशियों की ताकत और शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ाता है।
इसका महत्व:
- निर्यात क्षमता: भारत दुनिया में अश्वगंधा का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। वैश्विक स्तर पर ‘हर्बल सप्लीमेंट्स’ की बढ़ती मांग के कारण यह भारत के लिए विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- साक्ष्य-आधारित अनुसंधान: भारत का आयुष मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय संस्थान (जैसे UK का LSHTM) मिलकर इसके नैदानिक परीक्षण कर रहे हैं ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय फार्माकोपिया में स्थान मिल सके।
