Assam Bio-Ethanol Plant
संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम में देश की पहली बांस आधारित बायो-एथेनॉल रिफाइनरी का उद्घाटन किया। यह परियोजना भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और सतत ईंधन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, जो स्वच्छ ऊर्जा के साथ-साथ ग्रामीण आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी।
असम बायो–इथेनॉल प्लांट की मुख्य विशेषताएँ:
प्रकृति (Nature): भारत की पहली बायो–रिफाइनरी, जहाँ कच्चे माल के रूप में बांस (Bamboo) का उपयोग किया जा रहा है।
स्थान (Location): यह संयंत्र गोलाघाट ज़िला, असम में स्थित है।
उद्देश्य (Objective):
- बायो-इथेनॉल का उत्पादन करना।
- इसे एक वैकल्पिक, नवीकरणीय और पर्यावरण-हितैषी ईंधन के रूप में बढ़ावा देना।
कच्चा माल (Raw Material): हर साल लगभग 5 लाख टन हरा बांस असम, अरुणाचल प्रदेश और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों से लिया जाएगा।
स्वामित्व (Ownership): यह एक संयुक्त उद्यम (Joint Venture) है, जिसमें शामिल हैं:
- नुमालिगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (NRL)
- फिनलैंड की फॉर्टम (Fortum)
- चेमपोलिस OY (Chempolis OY)
महत्व (Significance):
- यह भारत की उस रणनीति से जुड़ा है जिसमें आयातित जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करना और स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) को बढ़ावा देना शामिल है।
असम बायो–इथेनॉल प्लांट का महत्व:
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा (Renewable Energy Boost):
यह भारत का पहला बांस-आधारित बायो-इथेनॉल प्लांट है, जो असम के प्राकृतिक बांस भंडार का उपयोग करता है।
आर्थिक प्रभाव (Economic Impact):
- बांस की खेती और संबंधित उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।
- इससे पूर्वोत्तर भारत में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
रणनीतिक भूमिका (Strategic Role):
- कार्बन फुटप्रिंट (Carbon Footprint) को कम करने में मदद करेगा।
- भारत के एथेनॉल ब्लेंडिंग लक्ष्य (2025 तक 20% मिश्रण) को हासिल करने में सहयोग देगा।
क्षेत्रीय विकास (Regional Development):
- ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा।
- साथ ही असम में चिकित्सा और परिवहन अवसंरचना (Infrastructure) के विस्तार से विकास को गति मिलेगी।
भारत में बांस उत्पादन:
क्षेत्र और विविधता (Area and Diversity):
भारत के पास दुनिया में सबसे बड़ा बांस क्षेत्र है, जो लगभग 13.96 मिलियन हेक्टेयर भूमि को कवर करता है।
प्रजातियों की विविधता (Species Richness):
- प्रजातियों की विविधता में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
- यहाँ कुल 136 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 125 स्वदेशी और 11 विदेशी (Exotic) हैं।
उत्पादन (Production): भारत हर साल लगभग 14.6 मिलियन टन बांस का उत्पादन करता है।
विशेषताएँ (Characteristics):
- बांस एक लिग्नोसेलुलोसिक बायोमास (Lignocellulosic Biomass) है, जो खाद्य फसल नहीं बल्कि एक लकड़ी जैसी घास (Woody Grass) है।
- इसमें सेल्यूलोज और हेमीसेल्यूलोज पाया जाता है, जिन्हें शर्करा (Sugars) में तोड़ा जा सकता है और फिर एथेनॉल में किण्वित (Ferment) किया जा सकता है।
महत्व (Significance):
- यह सेकेंड-जनरेशन (2G) बायोएथेनॉल के लिए उपयुक्त है।
- इसका फायदा यह है कि यह खाद्य फसलों से प्रतिस्पर्धा नहीं करता, जिससे खाद्य सुरक्षा पर असर नहीं पड़ता।