Assam Prohibition of Polygamy Bill 2025

संदर्भ:
9 नवंबर 2025 को असम मंत्रिमंडल ने “असम बहुविवाह निषेध विधेयक, 2025 (Assam Prohibition of Polygamy Bill, 2025)” को मंजूरी दी। इसे 25 नवंबर 2025 से शुरू हो रहे असम विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Winter Session) में पेश किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इसे “Her Rights Are Non-Negotiable” (उसके अधिकार समझौते योग्य नहीं हैं) की अवधारणा पर आधारित बताया है।
मुख्य प्रावधान (Key Provisions)
- राज्यव्यापी प्रतिबंध: असम में अब बहुविवाह पर पूर्ण रोक लागू होगी।
- छूट: यह कानून छठी अनुसूची (Sixth Schedule) के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त परिषद क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।
- दंड: बहुविवाह करने पर 7 वर्ष तक का कठोर कारावास और जुर्माना। इसी के साथ विवाह छिपाने पर 10 वर्ष तक की सजा तथा सहायता करने वाले काज़ी, पुजारी या संरक्षक को 2 वर्ष तक की सजा। इसी के साथ बार-बार अपराध करने वालों पर दोगुनी सजा।
- पीड़ित सहायता: एक “राज्य पीड़ित राहत कोष (State Victim Relief Fund)” बनाया जाएगा ताकि पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहायता मिल सके।
- कानूनी प्रक्रिया: अपराध संज्ञेय (Cognizable) और अजमानती (Non-Bailable) होंगे। मुकदमे IPC की धारा 494 और 495 के अंतर्गत चलेंगे।
- संवैधानिक आधार:
- अनुच्छेद 44 (समान नागरिक संहिता – Uniform Civil Code)
- अनुच्छेद 15(3) – महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार।
इसकी आवश्यकता क्यों?
- महिला सशक्तिकरण: असम में कई सामाजिक व धार्मिक समुदायों में बहुविवाह के कारण महिलाएं मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर पड़ती हैं। यह कानून उन्हें वैधानिक सुरक्षा और समान अधिकार प्रदान करेगा।
- संविधानिक समानता: यह विधेयक अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध) की भावना को मजबूत करता है।
- न्यायिक दृष्टिकोण: सुप्रीम कोर्ट के Javed v. State of Haryana (2003) फैसले में कहा गया था कि बहुविवाह किसी भी धर्म की “आवश्यक धार्मिक प्रथा” नहीं है और राज्य इसे सीमित कर सकता है।
- राष्ट्रीय आंकड़े: NFHS-5 (2019–21) के अनुसार, भारत में बहुविवाह की दर 1.4% है (NFHS-4 में 1.9% थी)। असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों (मेघालय, मिजोरम) में यह प्रथा सामाजिक कारणों से अधिक पाई जाती है। जिसे रोकने और कम करने के लिए इसकी आवश्यकता महसूस की गई।
- सामाजिक न्याय: यह कानून गरीब और ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक शोषण से बचाने का प्रयास है।
चुनौतियां (Challenges)
- सांस्कृतिक प्रतिरोध: कुछ समुदायों में पारंपरिक और धार्मिक मान्यताएं इस कानून के खिलाफ विरोध पैदा कर सकती हैं।
- कानूनी समन्वय: व्यक्तिगत कानूनों (Personal Laws) और संविधान के बीच संतुलन बनाना एक संवेदनशील कार्य होगा।
- कार्यान्वयन की जटिलता: ग्रामीण और सीमावर्ती इलाकों में मामलों की पहचान और साक्ष्य जुटाना कठिन होगा।
- राजनीतिक व सामाजिक प्रभाव: विभिन्न धार्मिक संगठनों से विरोध और न्यायिक चुनौतियों की संभावना है।
सरकार द्वारा पहले किए गए कदम
- असम विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) जागरूकता अभियान: सरकार ने राज्यभर में जनजागरण अभियान चलाकर महिलाओं को अपने वैधानिक अधिकारों की जानकारी दी।
- UCC (Uniform Civil Code) पर चर्चा: मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 2023–24 में स्पष्ट किया था कि असम एक समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की दिशा में कदम उठा रहा है।
- ‘असम महिला सुरक्षा नीति 2024’ के तहत महिलाओं के लिए कानूनी सहायता, परामर्श केंद्र और सुरक्षा योजनाओं को लागू किया गया।
- शादी पंजीकरण अनिवार्य (2023): राज्य में सभी विवाहों के अनिवार्य पंजीकरण के नियम को लागू किया गया, जिससे अवैध विवाहों की रोकथाम हो सके।
