Assam Prohibition of Polygamy Bill 2025
संदर्भ:
असम सरकार ने 25 नवंबर 2025 को शीतकालीन सत्र के पहले दिन असम बहुविवाह प्रतिबंध विधेयक, 2025 को राज्य विधान सभा में प्रस्तुत किया। यह विधेयक बहुविवाह को प्रतिबंधित और दंडनीय बनाने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा उठाया गया महत्वपूर्ण सामाजिक-सुधारात्मक कदम है।
असम बहुविवाह प्रतिबंध विधेयक, 2025 के मुख्य प्रावधान:
- संवैधानिक परिप्रेक्ष्य: यह विधेयक भारतीय दंड संहिता की धारा 494 व 495 के अनुरूप है, जो द्विविवाह को अपराध मानते हैं। राज्य सरकार इस विधेयक के माध्यम से स्पष्ट, अधिक प्रभावी और तेज़ प्रशासनिक ढांचा स्थापित करना चाहती है, जिससे असम में बहुविवाह-रोधी प्रावधान व्यावहारिक स्तर पर सख्ती से लागू किए जा सकें। छठी अनुसूची क्षेत्रों को बाहर रखने से संविधान के तहत आदिवासी स्वायत्तता का सम्मान सुनिश्चित किया गया है।
- रोक: विधेयक में यह स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को बहुविवाह करने की अनुमति नहीं होगी यदि— उसका जीवनसाथी जीवित है; वह विधिवत तलाकशुदा या कानूनी रूप से पृथक नहीं हुआ; विवाह अभी भी वैध है या अपील लंबित है।
- यदि कोई व्यक्ति इन प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उसे सात वर्ष तक के कठोर कारावास और अर्थदंड का सामना करना पड़ेगा। यदि किसी विवाह में पूर्व विवाह को छिपाया गया है, तो दंड बढ़कर 10 वर्ष तक का कारावास हो सकता है और दुबारा अपराध करने पर दंड दुगना हो सकता है।
- सामुदायिक जवाबदेही: विधेयक में उन व्यक्तियों पर भी दंडात्मक प्रावधान लागू किया गया है जो बहुविवाह में सक्रिय भूमिका निभाते हैं— जैसे कि गांव प्रमुख, क़ाज़ी, पुजारी, अथवा माता-पिता या संरक्षक यदि वे जानबूझकर ऐसे विवाह में भाग लेते हैं या इसे छिपाते हैं।
- ऐसे प्रकरणों में दो वर्ष तक का कारावास और ₹1 लाख तक का जुर्माना प्रस्तावित है। जो भी पुजारी या क़ाज़ी विधेयक के प्रावधानों का उल्लंघन कर विवाह संपन्न करेगा, उसे दो वर्ष तक का कारावास या ₹1.5 लाख तक के दंड का सामना करना होगा।
- प्रशासनिक परिणाम: विधेयक केवल दंडात्मक ढांचा नहीं बनाता, बल्कि सामाजिक जवाबदेही भी सुनिश्चित करता है। इसके अनुसार— दोष सिद्ध व्यक्ति किसी भी सरकारी नौकरी या सरकारी सहयोग से मिलने वाली नौकरियों के लिए पात्र नहीं होंगे। उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जाएगा। वे पंचायत, नगर निकाय या अन्य किसी राज्य स्तरीय चुनाव में प्रतिनिधि बनने के लिए पात्र नहीं होंगे।
- महिलाओं के अधिकार: विधेयक में विशेष रूप से उन महिलाओं की सुरक्षा पर फोकस किया गया है जो बहुविवाह की पीड़ित हैं। इसमें यह व्यवस्था दी गई है कि ऐसी महिलाएँ किसी सक्षम प्राधिकारी के समक्ष क्षतिपूर्ति (compensation) की मांग कर सकती हैं। एक “राज्य पीड़ित राहत कोष (State Victim Relief Fund)” बनाया जाएगा ताकि पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहायता मिल सके।
असम सरकार द्वारा उठाए गए अन्य महत्वपूर्ण कदम:
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जनगणना-आधारित कार्रवाई और बाल विवाह रोकथाम अभियान (2023): राज्य सरकार ने 2023 में एक बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया था, जिसमें POCSO Act और Prohibition of Child Marriage Act के तहत हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसका उद्देश्य नाबालिगों के विवाह पर सख्ती से रोक लगाना और कानून का पालन सुनिश्चित करना था।
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विवाह सत्यापन तंत्र (Marriage Verification System): राज्य ने एक डिजिटल सत्यापन प्रणाली विकसित की, जिसके माध्यम से शादी से पहले दस्तावेज़ों की जांच अनिवार्य की गई। इससे नकली पहचान, बहुविवाह और धोखाधड़ी वाले विवाहों को रोकने में मदद मिली।
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महिला हेल्पलाइन व वन-स्टॉप सेंटर का विस्तार: महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सरकार ने 181 महिला हेल्पलाइन को सुदृढ़ किया और जिलों में वन-स्टॉप सपोर्ट सेंटर स्थापित किए, ताकि कानूनी सहायता, परामर्श और आश्रय सेवा एक ही स्थान पर उपलब्ध हों।
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मुस्लिम परिवार कानून व सामाजिक सुधारों पर विशेष समिति (2023): असम ने मुस्लिम समुदाय में प्रचलित कुछ प्रथाओं पर सुधार लाने के लिए एक विशेष समिति गठित की थी, जिसमें तलाक, निकाह और बहुविवाह संबंधी विषयों पर अध्ययन किया गया।
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महिला आर्थिक सशक्तिकरण कार्यक्रम: सरकार ने Orunodoi Scheme और Swanirbhar Naari जैसी योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने और सामाजिक निर्भरता कम करने पर जोर दिया—जो बहुविवाह जैसी प्रथाओं के विरुद्ध सामाजिक प्रतिरोध बनाने में सहायक बना।

