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पाकिस्तान के बलूचिस्तान में अलगाववादी हमला

सामान्य अध्ययन-II : भारत और इसके पड़ोसी

प्रिलिम्स के लिये:

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (OPEC), POK, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA)

मेन्स के लिये:

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा और भारत पर इसके प्रभाव।

चर्चा में क्यों:

हाल ही में पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में चार हमलों (Balochistan Terrorist Attack) में 70 से ज्यादा लोग मारे गए और कई हिंसक घटनाएं भी रिपोर्ट की गई हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • ये हमले अलग-अलग जगहों पर हुए, जिनमें एक प्रमुख राजमार्ग, एक पुलिस चौकी और एक रेलवे पुल शामिल हैं।
  • हमलों की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली है, जो पाकिस्तान से अलग होने की मांग करती रही है।
  • इन हमलों में आम नागरिकों, पुलिसकर्मियों और सैनिकों सहित कई लोग मारे गए हैं।

बलूचिस्तान प्रांत:

बलूचिस्तान प्रांत पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो देश के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह क्षेत्रफल में विशाल है, लेकिन जनसंख्या घनत्व कम है। बलूचिस्तान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक संसाधनों और सामरिक महत्व के लिए जाना जाता है।बलूचिस्तान प्रांत

प्रमुख बिंदु:

  • भूगोल: बलूचिस्तान का भू-भाग विविध है, जिसमें पहाड़, रेगिस्तान और तटीय क्षेत्र शामिल हैं। यह प्रांत अफगानिस्तान और ईरान के साथ सीमा साझा करता है, जिससे इसका भू-राजनीतिक महत्व बढ़ जाता है।
  • संसाधन: बलूचिस्तान में प्राकृतिक गैस, कोयला, तांबा और सोना जैसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं। हालांकि, इन संसाधनों का उचित दोहन और प्रबंधन एक चुनौती बना हुआ है।
  • जनसांख्यिकी: बलूचिस्तान की आबादी मुख्य रूप से बलूच और पश्तून जातीय समूहों से बनी है। यहाँ बलूची और पश्तो भाषाएँ प्रमुखता से बोली जाती हैं।
  • अर्थव्यवस्था: बलूचिस्तान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन और खनन पर आधारित है। हालांकि, प्रांत में बुनियादी ढांचे की कमी और सुरक्षा चिंताओं ने आर्थिक विकास को बाधित किया है।

चुनौतियाँ: बलूचिस्तान कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें अलगाववादी आंदोलन, जातीय तनाव, गरीबी, और बुनियादी ढांचे की कमी शामिल हैं। इसके अलावा, प्रांत में आतंकवादी गतिविधियाँ भी एक चिंता का विषय हैं।

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के बारे में –

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) एक सशस्त्र अलगाववादी संगठन है जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सक्रिय है। इसका मुख्य उद्देश्य बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करके एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना करना है।

उत्पत्ति:

  • BLA की औपचारिक स्थापना 1973 में हुई, जब पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान की प्रांतीय सरकार को बर्खास्त कर दिया और सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी।
  • BLA ने 1970 के दशक में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ दिया। हालाँकि, पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई के कारण BLA को काफी नुकसान हुआ और इसके कई नेता मारे गए या देश छोड़कर भाग गए।
  • 2000 के दशक की शुरुआत में, BLA ने फिर से संगठित होना शुरू किया और पाकिस्तानी सेना और चीनी हितों के खिलाफ हमले शुरू कर दिए।
  • BLA ने पाकिस्तान में कई हाई-प्रोफाइल हमलों की जिम्मेदारी ली, जिनमें 2018 में कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हमला और 2019 में ग्वादर में एक लक्जरी होटल पर हमला शामिल है।

BLA की गतिविधियाँ:

  • हिंसक हमले: BLA पाकिस्तानी सुरक्षा बलों, सरकारी प्रतिष्ठानों, और चीनी हितों पर हमले करता रहा है। इसमें बम विस्फोट, आत्मघाती हमले, और लक्षित हत्याएं शामिल हैं।
  • अलगाववादी प्रचार: BLA बलूच राष्ट्रवाद को बढ़ावा देता है और पाकिस्तानी सरकार पर बलूच लोगों के उत्पीड़न का आरोप लगाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की मांग: BLA अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बलूचिस्तान के आत्मनिर्णय के अधिकार को मान्यता देने का आग्रह करता है।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हुए हमलों (Balochistan Terrorist Attack) का मुख्य कारण:

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हुए हमलों का मुख्य कारण लंबे समय से चला आ रहा अलगाववादी संघर्ष है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे समूह पाकिस्तान से अलग एक स्वतंत्र बलूच राष्ट्र की स्थापना की मांग करते रहे हैं। वे बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर पाकिस्तान सरकार द्वारा कथित शोषण और स्थानीय आबादी की उपेक्षा का आरोप लगाते हैं।

हमलों के पीछे कुछ प्रमुख कारण:

  1. राजनीतिक और आर्थिक असंतोष: बलूच लोग अक्सर यह महसूस करते हैं कि वे पाकिस्तान के भीतर हाशिए पर हैं और उनके पास पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं है। वे यह भी मानते हैं कि उनके प्रांत के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों से उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है, और विकास परियोजनाओं में अक्सर बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी जाती है।
  2. मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप: बलूच कार्यकर्ता और मानवाधिकार संगठन पाकिस्तान सुरक्षा बलों पर बलूचिस्तान में व्यापक मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हैं, जिसमें गैरकानूनी गिरफ्तारी, यातना और जबरन गुमशुदगी शामिल है।
  3. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) से असंतोष: CPEC परियोजना, जो बलूचिस्तान से होकर गुजरती है, ने स्थानीय आबादी के बीच और अधिक आक्रोश पैदा कर दिया है। कई बलूच लोगों का मानना है कि इस परियोजना से उन्हें लाभ नहीं होगा और इससे उनकी भूमि और संसाधनों पर पाकिस्तान और चीन का नियंत्रण और बढ़ जाएगा।
  4. पंजाबियों को निशाना बनाना: हाल के हमलों में विशेष रूप से पंजाब प्रांत के लोगों को निशाना बनाया गया। बलूच अलगाववादी पंजाबियों को पाकिस्तानी राज्य के प्रतीक के रूप में देखते हैं और उन पर बलूचिस्तान के शोषण में शामिल होने का आरोप लगाते हैं।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) क्या है?

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) एक प्रमुख विकास परियोजना है, जिसे चीन और पाकिस्तान के बीच सहयोग से विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ती है। CPEC का उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक, व्यापारिक और अवसंरचनात्मक संबंधों को मजबूत करना है।

CPEC

CPEC की मुख्य विशेषताएँ:

  1. भौगोलिक सीमा: CPEC, चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है। यह गलियारा 3,000 किलोमीटर से अधिक लंबा है।
  2. प्रमुख परियोजनाएँ:
    • सड़क और रेल मार्ग: इस गलियारे में सड़क और रेल मार्गों का निर्माण शामिल है, जो माल और लोगों की आवाजाही को सुगम बनाता है।
    • ऊर्जा परियोजनाएँ: CPEC के तहत कई ऊर्जा परियोजनाएँ भी विकसित की जा रही हैं, जैसे कि कोयला आधारित बिजली घर और पवन ऊर्जा परियोजनाएँ।
    • औद्योगिक क्षेत्र: विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) का निर्माण भी CPEC के तहत किया जा रहा है, जो औद्योगिक विकास को बढ़ावा देंगे।
  3. आर्थिक लाभ:
    • व्यापार वृद्धि: CPEC से पाकिस्तान को चीन के बाजारों तक बेहतर पहुंच प्राप्त होगी, जिससे व्यापारिक अवसर बढ़ेंगे।
    • विकास और रोजगार: इस परियोजना से पाकिस्तान में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास होगा, और स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
  4. सुरक्षा और रणनीतिक पहलू:
    • सुरक्षा: CPEC की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए विशेष सुरक्षा बलों का गठन किया गया है।
    • रणनीतिक महत्व: इस गलियारे का चीन के “वन बेल्ट, वन रोड” (BRI) परियोजना के तहत विशेष रणनीतिक महत्व है, जो चीन की वैश्विक व्यापारिक पहुंच को बढ़ाता है।

CPEC के लाभ और चुनौतियाँ:

  • लाभ:
    • आर्थिक विकास और निवेश के अवसर।
    • बुनियादी ढांचे का सुधार।
    • व्यापारिक संबंधों में वृद्धि।
  • चुनौतियाँ:
    • सुरक्षा मुद्दे और स्थानीय विरोध।
    • पर्यावरणीय चिंताएँ।
    • वित्तीय और प्रशासनिक व्यवस्थाओं में समस्याएँ।

CPEC पर भारत का रुख:

  • भारत की संप्रभुता:
    • भारत ने CPEC की लगातार आलोचना की है क्योंकि यह गिलगित-बाल्टिस्तान, जो पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित कश्मीर का हिस्सा है, से होकर गुजरता है। यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादित क्षेत्र है।
    • CPEC को कश्मीर घाटी के लिए एक वैकल्पिक सड़क लिंक के रूप में देखा जाता है, जो भारतीय सीमा के निकट स्थित है। यदि यह गलियारा सफल होता है, तो यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के क्षेत्रीय दावों को मान्यता प्रदान कर सकता है, जिससे भारत का 73,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर दावा कमजोर हो सकता है, जहां 1.8 मिलियन से अधिक लोग निवास करते हैं।
  • समुद्री मार्ग पर चीनी नियंत्रण:
    • वर्तमान में, पूर्वी तट पर प्रमुख अमेरिकी बंदरगाहों को व्यापार के लिए पनामा नहर पर निर्भर रहना पड़ता है।
    • CPEC के पूरी तरह कार्यात्मक होने के बाद, चीन उत्तर और लैटिन अमेरिकी व्यापारों के लिए एक ‘छोटे और अधिक किफायती’ व्यापार मार्ग की पेशकश करने में सक्षम होगा, जिससे चीन को अटलांटिक और प्रशांत महासागरों में माल की आवाजाही की शर्तें तय करने की शक्ति मिल जाएगी।
  • चीनी ‘मोतियों की माला’ पहल:
    • चीन की ‘मोतियों की माला’ पहल के तहत चटगाँव बंदरगाह (बांग्लादेश), हंबनटोटा बंदरगाह (श्रीलंका), पोर्ट सूडान (सूडान), मालदीव, सोमालिया और सेशेल्स में चीनी उपस्थिति है। ग्वादर बंदरगाह पर नियंत्रण के साथ, यह पहल हिंद महासागर में चीन की पूर्ण प्रभुत्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • BRI और चीनी प्रभुत्व का व्यापार में सशक्त नेतृत्व:
    • चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना, जो बंदरगाहों, सड़कों और रेलवे नेटवर्क के माध्यम से चीन और यूरेशिया के बीच व्यापार संपर्क पर केंद्रित है, को अक्सर क्षेत्रीय प्रभुत्व की चीन की राजनीतिक योजना के रूप में देखा जाता है। CPEC इसी दिशा में एक बड़ा कदम है, जो इस रणनीति को साकार करता है।

BRI

पाकिस्तान सरकार का रुख:

  • पाकिस्तान सरकार BLA को एक आतंकवादी संगठन मानती है और इसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई करती रही है। पाकिस्तान सरकार का आरोप है कि BLA को भारत से समर्थन मिलता है, हालांकि भारत इस आरोप से इनकार करता है।

BLA के बारे में विवाद:

  • BLA के उद्देश्यों और तरीकों के बारे में विवाद है। कुछ लोग इसे बलूच लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला एक वैध प्रतिरोध आंदोलन मानते हैं, जबकि अन्य इसे एक आतंकवादी संगठन मानते हैं जो हिंसा का इस्तेमाल करता है।

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के बड़े हमले:

  • ग्वादर होटल हमला (मई 2019): BLA के बंदूकधारियों ने ग्वादर में एक लक्जरी होटल पर हमला किया, जिसमें पांच लोग मारे गए, जिनमें एक पाकिस्तानी नौसेना अधिकारी भी शामिल था। यह हमला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से जुड़े एक प्रमुख विकास परियोजना को बाधित करने के लिए किया गया था।
  • पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज हमला (जून 2020): BLA के चार हमलावरों ने कराची में पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज पर हमला किया, जिसमें दो सुरक्षा गार्ड और एक पुलिसकर्मी सहित चार लोग मारे गए। हमलावरों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था।
  • कराची विश्वविद्यालय में चीनी शिक्षकों पर हमला (अप्रैल 2022): एक महिला आत्मघाती हमलावर ने कराची विश्वविद्यालय में एक वैन को निशाना बनाया, जिसमें तीन चीनी शिक्षक और उनका एक पाकिस्तानी ड्राइवर मारा गया। BLA ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।
  • दश्त हमला (अगस्त 2023): BLA ने बलूचिस्तान के दश्त इलाके में एक सुरक्षा चौकी पर हमला किया, जिसमें 12 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। यह हमला अगस्त 2023 में बलूचिस्तान में हुए कई घातक हमलों में से एक था।

बलूचिस्तान पर भारत का रुख:

  • भारत ने लंबे समय से पाकिस्तान या किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का एक स्थिर राजनीतिक रुख अपनाया है।
  • पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को बार-बार उठाए जाने के बावजूद, भारत ने बलूचिस्तान पर चुप्पी बनाए रखी थी।
  • राजनीतिक समर्थन: भारत ने बलूचिस्तान की स्वतंत्रता का प्रत्यक्ष समर्थन नहीं किया है, लेकिन वह बलूचिस्तान के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करता है।
  • सीमित प्रत्यक्ष हस्तक्षेप: भारत ने बलूचिस्तान में किसी भी तरह के सशस्त्र संघर्ष या विद्रोह का समर्थन नहीं किया है। भारत का मानना है कि बलूचिस्तान मुद्दे का समाधान शांतिपूर्ण और राजनीतिक तरीके से होना चाहिए।
  • ऐतिहासिक रूप से तटस्थ: भारत ने पारंपरिक रूप से बलूचिस्तान मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाया था, ताकि पाकिस्तान के साथ संबंधों को और खराब होने से बचाया जा सके।
  • 2016 में बदलाव: 2016 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में बलूचिस्तान के लोगों का उल्लेख किया, जिससे भारत के रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत मिला।
  • वर्तमान स्थिति: भारत अब बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे को और अधिक मुखरता से उठा रहा है और बलूचिस्तान के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के प्रति अपना समर्थन व्यक्त कर रहा है।

आगे की राह:

  • वार्ता और सुलह: बलूचिस्तान संघर्ष के स्थायी समाधान के लिए पाकिस्तान सरकार और बलूच अलगाववादियों के बीच सार्थक वार्ता और सुलह की आवश्यकता है।
  • मानवाधिकारों का सम्मान: पाकिस्तान सरकार को बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
  • आर्थिक विकास: बलूचिस्तान के विकास के लिए निवेश बढ़ाना और रोजगार के अवसर पैदा करना महत्वपूर्ण है, ताकि लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हो सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: बलूचिस्तान संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान सरकार और बलूच अलगाववादियों के बीच बातचीत को प्रोत्साहित करना चाहिए।

बलूचिस्तान में शांति और स्थिरता लाने के लिए पाकिस्तान सरकार और बलूच अलगाववादियों को एक साथ आना होगा और बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाना होगा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी इस प्रक्रिया में सहायता करनी चाहिए और बलूचिस्तान के लोगों के मानवाधिकारों और आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करना चाहिए।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रारंभिक परीक्षा:

Q. 1  कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का उल्लेख किसके संदर्भ में किया जाता है? (2016)

(a) अफ्रीकी संघ

(b) ब्राज़ील

(c) यूरोपीय संघ

(d) चीन

उत्तर: (b) ब्राज़ील

मुख्य परीक्षा:

Q. चीन-पकिस्तान आर्थिक गलियारे (C.E.P.C.) को चीन की अपेक्षाकृत अधिक विशाल ‘एक पट्टी एक सड़क’ पहल के एक मूलभूत भाग के रूप में देखा जा रहा है। C.E.P.C. का संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत कीजिये और भारत द्वारा उससे किनारा करने के कारण गिनाइये। (2018)

Q. “चीन अपने आर्थिक संबंधों एवं सकारात्मक व्यापार अधिशेष को एशिया में संभाव्य सैन्य शक्ति हैसियत को विकसित करने के लिये उपकरणों के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।” इस कथन के प्रकाश में उसके पड़ोसी के रूप में भारत पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (2017)

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