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बैटरी अपशिष्ट नियमों के उल्लंघन पर सख्त पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति दिशानिर्देश

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भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन (BWM) नियम, 2022 के उल्लंघन पर सख्त कदम उठाते हुए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति (EC) के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा 10 सितंबर को जारी किए गए इन दिशानिर्देशों के तहत, बैटरी अपशिष्ट विनियमों का पालन न करने वाले उत्पादकों पर जुर्माना लगाया जाएगा।

ईपीआर लक्ष्यों का महत्व:

  • दंड केवल बैटरी अपशिष्ट नियमों के उल्लंघन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उन कंपनियों पर भी लगेगा जो अपने विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहती हैं।
  • EPR एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय नियम है जिसके तहत उत्पादकों को अपने उत्पादों के जीवनचक्र का प्रबंधन करना होता है, जिसमें उनका उचित निपटान और पुनर्चक्रण भी शामिल है।

विभिन्न बैटरी रसायनों पर भिन्न क्रेडिट लागत:

बैटरी रसायनों के पुनर्चक्रण की लागत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने EPR क्रेडिट के लिए अलग-अलग दरें तय की हैं। उदाहरण के लिए, सीसा बैटरी के लिए यह दर 18 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि लिथियम बैटरी के लिए यह 2,400 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो सकती है। इसका उद्देश्य प्रत्येक प्रकार की बैटरी के पर्यावरणीय प्रभाव के आधार पर उत्पादकों को जवाबदेह बनाना है।

अनुपालन न करने पर दंड:

उत्पादकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उपयोग के बाद बैटरियों का एक निश्चित प्रतिशत पुनर्चक्रण के लिए एकत्र किया जाए। इन लक्ष्यों को पूरा न करने पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति (EC) जुर्माना लगाया जाएगा। यह दंड प्रत्येक बार चूक के साथ बढ़ता जाएगा:

  • पहली बार चूक पर 20,000 रुपये का दंड
  • दूसरी बार चूक पर 40,000 रुपये
  • तीसरी बार चूक पर 80,000 रुपये

विलंबित भुगतान पर ब्याज:

दंड राशि जमा करने में देरी होने पर, मूल राशि पर ब्याज भी लगाया जाएगा। एक महीने तक विलंब होने पर 12% वार्षिक ब्याज लगेगा, जबकि तीन महीने तक विलंब पर यह बढ़कर 24% हो जाएगा। तीन महीने से अधिक देरी होने पर सरकार सख्त कदम उठाएगी, जिसमें इकाई बंद करना और कानूनी कार्रवाई शामिल हो सकती है।

सरकार का उद्देश्य:

  • इन नियमों का मुख्य उद्देश्य बैटरी अपशिष्ट के बेहतर प्रबंधन को बढ़ावा देना और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।
  • इससे बैटरी निर्माण और पुनर्चक्रण उद्योग में पर्यावरणीय सुरक्षा के नए मानक स्थापित होंगे।
  • CPCB को इन नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने और गैर-अनुपालन करने वाली संस्थाओं पर दंड लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
  • CPCB के अनुसार, 252 पंजीकृत रिसाइकिलर्स वर्तमान में इन नियमों का पालन कर रहे हैं, जो आगे पर्यावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022:

बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 भारत सरकार द्वारा बैटरियों के उचित निपटान और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नियम पुराने बैटरी (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2001 की जगह लेता है।

नियमों की मुख्य विशेषताएं:

  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR): बैटरी निर्माता अब बैटरी के पूरे जीवन चक्र के लिए जिम्मेदार होंगे, जिसमें बैटरी का संग्रह, परिवहन, पुनर्चक्रण और नई बैटरी में पुनर्चक्रित सामग्री का उपयोग शामिल है।
  • पंजीकरण: बैटरी निर्माताओं, आयातकों और डीलरों को खुद को पंजीकृत करना होगा।
  • संग्रह और पुनर्चक्रण लक्ष्य: निर्माताओं को बैटरी के संग्रह और पुनर्चक्रण के लिए विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित करने होंगे।
  • पुनर्चक्रित सामग्री का उपयोग: नई बैटरी में एक निश्चित प्रतिशत पुनर्चक्रित सामग्री का उपयोग करना अनिवार्य होगा।
  • ऑनलाइन पोर्टल: एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल होगा जहां निर्माता और रिसाइकलर जानकारी साझा कर सकेंगे।
  • जवाबदेही: नियमों का पालन न करने पर निर्माताओं पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

नियमों का उद्देश्य:

  • बैटरी अपशिष्ट को कम करना
  • पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा करना
  • सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना
  • बैटरी उद्योग को अधिक टिकाऊ बनाना

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