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बायो-फोर्टिफाइड आलू (Bio-fortified potatoes) | UPSC Preparation

Bio-fortified potatoes

Bio-fortified potatoes

Bio-fortified potatoes – 

संदर्भ:

भारत में जल्द ही आयरन युक्त बायो-फोर्टिफाइड आलू पेश किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य देश में पोषण स्तर को बेहतर बनाना और किसानों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। यह नवाचार खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

बायोफोर्टिफाइड आलू क्या है? (What is a Bio-Fortified Potato?):

परिभाषा (Definition): बायो-फोर्टिफाइड आलू ऐसे आलू होते हैं जिनमें सामान्य आलू की तुलना में आयरन (Iron) और जिंक (Zinc) जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients) अधिक मात्रा में होते हैं। इसका उद्देश्य आम लोगों में पोषण स्तर सुधारना है।

विकास (Developed By):

  • इन्हें International Potato Center (CIP), पेरू द्वारा विकसित किया गया है।
  • भारत की विभिन्न संस्थाओं द्वारा भी इसमें सहयोग दिया गया है।
  • यह आलू पारंपरिक पौध प्रजनन (Conventional Plant Breeding) द्वारा बनाए गए हैं, जेनेटिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering) से नहीं।

मुख्य लाभ (Key Benefits):

  • आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया जैसी सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी को दूर करता है
  • बेहतर गुणवत्ता वाले बीज प्रदान करता है, जिन्हें कम रासायनिक इनपुट की जरूरत होती है
  • सरकारी पोषण योजनाओं जैसे मिड-डे मील कार्यक्रम में शामिल किया जा सकता है

बायोफोर्टिफाइड फसलें क्या हैं? (What are Biofortified Crops?)

परिभाषा (Definition): बायोफोर्टिफाइड फसलें वे फसलें होती हैं जिन्हें पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक मात्रा में आवश्यक पोषक तत्व (जैसे विटामिन, खनिज या अमीनो एसिड) प्रदान करने के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया होता है।

विकास की विधियाँ (Methods of Development):

  • पारंपरिक ब्रीडिंग (Traditional Breeding)
  • जेनेटिक मॉडिफिकेशन (Genetic Modification)
  • आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी तकनीकें (Modern Biotechnological Methods)

उद्देश्य (Aim):

उन क्षेत्रों में पोषण स्तर सुधारना, जहाँ लोगों में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी आम है।

उदाहरण (Example): गोल्डन राइस (Golden Rice)- इसे जेनेटिकली मॉडिफाई किया गया है ताकि इसमें प्रोविटामिन A (बीटाकैरोटीन) की मात्रा अधिक हो, जिससे विटामिन A की कमी को कम किया जा सके।

महत्व:

  1. कुपोषण से निपटने का टिकाऊ समाधान: यह पोषण की कमी को दूर करने का सबसे स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल तरीका माना जाता है।
  2. प्राकृतिक रूप में पोषक तत्व: Biofortified फसलें स्वाभाविक रूप से आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, किसी कृत्रिम मिलावट के बिना।
  3. सस्ती पोषण व्यवस्था: इन फसलों की कीमत पारंपरिक फसलों के बराबर होती है, उपभोक्ता को अतिरिक्त खर्च नहीं उठाना पड़ता।
  4. किसानों के लिए लाभकारी: Biofortified किस्मों की उपज पारंपरिक फसलों जितनी ही होती है, जिससे किसानों को कोई नुकसान नहीं होता।
  5. अतिरिक्त ढांचे की आवश्यकता नहीं: जैसे ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के लिए फैक्ट्री या विशेष संयंत्र चाहिए होता है, वैसे किसी बुनियादी ढांचे की जरूरत नहीं होती।
  6. अतिरिक्त प्रक्रिया लागत नहीं: जैव सुदृढ़ीकृत अनाज को तैयार करने में किसी अतिरिक्त खर्च की आवश्यकता नहीं होती।
  7. फूड फोर्टिफिकेशन से भिन्न: फूड फोर्टिफिकेशन में प्रोसेसिंग के दौरान पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, जबकि Biofortification में फसल के बढ़ते समय ही पोषक तत्व विकसित किए जाते हैं।

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