Biostimulants
संदर्भ:
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को कृषि क्षेत्र में एक अहम निर्देश जारी किया है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर पारंपरिक उर्वरकों के साथ नैनो-उर्वरकों या बायोस्टिमुलेंट्स की “जबरन टैगिंग” को तुरंत रोकने की अपील की है।
बायोस्टीमुलेंट्स (Biostimulants) क्या हैं?
परिभाषा (Fertiliser Control Order, 1985 के अनुसार):
- बायोस्टीमुलेंट्स वे पदार्थ या सूक्ष्मजीव (या दोनों का मिश्रण) हैं जिन्हें पौधों, बीजों या राइजोस्फियर (जड़ क्षेत्र) पर लगाने पर उनका प्राथमिक उद्देश्य शारीरिक प्रक्रियाओं को उत्तेजित करना होता है।
- इनका उद्देश्य पोषण ग्रहण, वृद्धि, उपज, पोषण दक्षता, फसल की गुणवत्ता और तनाव सहनशीलता को बेहतर बनाना है।
- ये कीटनाशक या पादप वृद्धि नियामकनहीं होते, जो Insecticide Act, 1968 के तहत विनियमित होते हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
- जैविक या अकार्बनिक हो सकते हैं।
- फसल सुधार के लिए सहायक, लेकिन कीटनाशक नहीं।
- बीज उपचार, मिट्टी में मिश्रण या पत्तियों पर छिड़काव के रूप में उपयोग।
चिंताएँ (Concerns):
- जटिल संरचना और अस्पष्ट कार्यप्रणाली:
- कई बायोस्टीमुलेंट्स में जटिल यौगिक या सूक्ष्मजीवों के मिश्रण होते हैं।
- इनके सटीक कार्य–तंत्र (mechanism of action) अक्सर स्पष्ट नहीं होते।
- परिस्थितियों के अनुसार भिन्न परिणाम: मिट्टी, जलवायु, फसल किस्म आदि के अनुसार इनकी प्रभावशीलता में उतार–चढ़ाव देखा गया है।
- गैर–जिम्मेदार विपणन:
- कुछ कंपनियाँ उर्वरकों या कीटनाशकों को बायोस्टीमुलेंट कहकर प्रचारित करती हैं ताकि कठोर नियमों से बचा जा सके या ‘सतत’ दिखें।
- इससे किसानों और नीति निर्माताओं को भ्रम हो सकता है और विश्वसनीयता घटती है।
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