Bitra Island
संदर्भ:
लक्षद्वीप प्रशासन ने द्वीपसमूह के एक बसे हुए द्वीप बित्रा को रक्षा संबंधी उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित करने की संभावना पर विचार शुरू किया है। यह कदम रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि बित्रा लक्षद्वीप का सबसे छोटा और कम आबादी वाला द्वीप है, जिसकी भौगोलिक स्थिति भारत की समुद्री सुरक्षा के लिहाज़ से अत्यंत संवेदनशील मानी जाती है।
बित्रा द्वीप (Bitra Island): एक परिचय
भौगोलिक विशेषताएँ:
- बित्रा, लक्षद्वीप द्वीपसमूह का सबसे छोटा आबाद द्वीप है।
- लंबाई: लगभग 0.57 किमी | चौड़ाई: अधिकतम 0.28 किमी
- यह द्वीप एक बड़े कोरल रीफ रिंग के उत्तर–पूर्वी सिरे पर स्थित है, जिससे इसे प्राकृतिक सुरक्षा मिलती है।
- द्वीप का सबसे प्रमुख आकर्षण इसका लगून (lagoon) है, जिसका क्षेत्रफल 45.61 वर्ग किमी है — लक्षद्वीप में सबसे बड़ा लगून।
सांस्कृतिक विशेषता:
- यहाँ एक मलिक मुल्ला नामक अरब संत की मजार स्थित है, जिनकी समाधि यहीं मानी जाती है।
- यह श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है, विशेषकर आस-पास के द्वीपों से आने वाले लोगों के लिए।
जलवायु:
- द्वीप पर उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है।
- तापमान: अधिकतम – 32°C, न्यूनतम – 28°C
रणनीतिक महत्व (Strategic Importance):
- अरब सागर में इसकी स्थिति भारत के लिए सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेनों के निकट स्थित है।
- बित्रा भारत की समुद्री निगरानी और सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए उपयुक्त स्थान है।
- इसे लक्षद्वीप का तीसरा सैन्य ठिकाना (Defence Establishment) बनाया जा रहा है।
- पहले दो:
- INS द्वीपप्रकाश (INS Dweeprakshak) – कवरेत्ती में स्थित।
- INS जटायू (INS Jatayu) – मिनिकॉय द्वीप में स्थित।
- पहले दो:
स्थानीय विरोध क्यों हो रहा है?
- स्थानीय आबादी का विस्थापन: लक्षद्वीप के सांसद हमदुल्ला सईद ने इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए इसे स्थानीय और स्वदेशी समुदाय को विस्थापित करने का प्रयास बताया है।
- पूर्वजों की विरासत: सांसद ने कहा, “यह भूमि हमारे पूर्वजों की दी हुई है और यह हमारी ही है।”
- पहले से अधिग्रहित भूमि: उन्होंने बताया कि रक्षा आवश्यकताओं के लिए पहले से ही कई द्वीपों पर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है, ऐसे में बित्रा जैसे स्थायी रूप से बसे द्वीप को लक्ष्य बनाना अनुचित है।
- बिना परामर्श की कार्रवाई: सईद ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि यह कदम स्थानीय पंचायतों के अभाव में और स्थानीय निवासियों से कोई परामर्श किए बिना उठाया जा रहा है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है।
- संसद और न्यायिक मार्ग का सहारा: सांसद ने स्थानीय लोगों को पूर्ण समर्थन देने की बात कही और इस मुद्दे को संसद में उठाने के साथ-साथ कानूनी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर विरोध जताने की घोषणा की है।
आगे की प्रक्रिया:
- भूमि अधिग्रहण कानून के तहत कार्रवाई: यह अधिग्रहण “भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013” के तहत प्रस्तावित है।
- सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (Social Impact Assessment): अधिग्रहण से पहले प्रभावित क्षेत्र का सामाजिक मूल्यांकन अनिवार्य होगा, जिसमें ग्राम सभाओं समेत सभी हितधारकों से परामर्श लिया जाएगा।
- समयसीमा:अधिग्रहण क्षेत्र का सर्वेक्षण 11 जुलाई की अधिसूचना के प्रकाशन से दो महीने के भीतर पूरा किया जाएगा।
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