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Axiom-4 मिशन हेतु गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों का चयन

चर्चा में क्यों ?

भारत के गगनयान मिशन के लिए चुने गए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर को आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशन Axiom-4 के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए चुना गया है।

इस अभियान में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला मुख्य अंतरिक्ष यात्री के रूप में काम करेंगे, जबकि ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर उनके बैकअप होंगे।

अखिल भारतीय वायु सेना के अधिकारी – राकेश शर्मा (Rakesh Sharma) के पदचिन्हों पर चलेंगे, जो 1984 में रूसी अंतरिक्ष यान में अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले और केवल भारतीय थे।

एक्सिओम-4 मिशन चालक दल में कमांडर के रूप में नासा की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, पायलट के रूप में भारत के ग्रुप कैप्टन शुक्ला और पोलैंड से मिशन विशेषज्ञ स्लावोज़ उज़्नान्स्की और हंगरी से टिबोर कापू शामिल होंगे।

एक्सिओम-4 मिशन के बारे में (About Axiom-4 Mission):

  • एक्सिओम मिशन 4 (AX-4) एक निजी अंतरिक्ष उड़ान है जिसे एक्सिओम स्पेस द्वारा आयोजित किया गया है।
  • इस मिशन का उद्देश्य 14-दिन के लिए एक क्रू को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजना है।
  • यह एक्सिओम स्पेस का चौथा मिशन है; इसके पूर्व मिशन (AX-1, AX-2 और AX-3) भी इसी प्रकार के थे।
  • इस मिशन को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग करके फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा।
  • इस मिशन के लिए अंतरिक्ष यान स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन होगा, जो अपनी उन्नत तकनीक और सुरक्षा सुविधाओं के लिए जाना जाता है।
  • यह मिशन नासा के सहयोग से आयोजित किया गया है, जो निजी अंतरिक्ष कंपनियों और सरकारी अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच मजबूत साझेदारी को दर्शाता है, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण और अनुसंधान को आगे बढ़ाया जा सके।

नासा-इसरो सहयोग (NASA-ISRO Collaboration)

  • नासा और इसरो वर्ष 2024 में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजेंगे।
  • इस अभियान का प्रशिक्षण टेक्सास के ह्यूस्टन स्थित नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर (Johnson Space Center) में होगा।

Axiom-4

मिशन उद्देश्य (Mission Objectives):

वाणिज्यिक अंतरिक्ष प्रयास (Commercial Space Efforts): Axiom-4 का उद्देश्य अंतरिक्ष में वाणिज्यिक गतिविधियों ( commercial activities)को बढ़ावा देना है, जिसमें वैज्ञानिक अनुसंधान, तकनीकी विकास और अंतरिक्ष पर्यटन शामिल हैं।

  • यह मिशन यह दिखाने में मदद करेगा कि वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन व्यवसाय (commercial space stations) और नवाचार (innovation) के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में कैसे कार्य कर सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Collaboration): Axiom-4 मिशन विभिन्न देशों के अंतरिक्ष यात्रियों की विविध टीम को लेकर जाएगा, जो अंतरिक्ष अन्वेषण (space exploration) में बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय रुचि को दर्शाता है।

  • यह मिशन देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करेगा और वैश्विक अंतरिक्ष पहलों में योगदान देगा।

अनुसंधान और विकास (Research and Development): मिशन अंतरिक्ष की अनोखी सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) स्थिति में विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों और तकनीकी परीक्षणों का समर्थन करेगा।

  • अनुसंधान क्षेत्र (Research Areas): इसमें सामग्री विज्ञान, जीवविज्ञान, पृथ्वी पर्यवेक्षण और अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान शामिल होंगे।
  • उपलब्धियां (Achievements): इससे नए आविष्कार और खोजें हो सकती हैं जो विज्ञान और तकनीक में महत्वपूर्ण प्रगति ला सकती हैं।

भारत का गगनयान मिशन (India’s Gaganyaan Mission) :

गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) भारत का एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया जा रहा है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजना (Earth orbit) और सुरक्षित रूप से वापस लाना है।

भारत के गगनयात्री और गगनयान मिशन (India’s Gaganyaan and Gaganyaan missions):

  • गगनयान मिशन (Gaganyaan mission) की परिकल्पना इसरो (ISRO) ने 2007 में की थी, जिसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना और सुरक्षित वापस लाना है। यह परियोजना 2018 में 10,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू की गई थी।
  • इस मिशन के लिए चार भारतीय वायु सेना पायलटों (Four Indian Air Force pilots) का चयन किया गया है, जिन्हें रूस (Russia) में प्रशिक्षण दिया गया। इसरो ने बेंगलुरू (Bengaluru) में एक अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा भी स्थापित की है।

चयनित गगनयात्री (Selected Gaganyaan):

  1. ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Group Captain Shubhanshu Shukla)
  2. प्रशांत बालकृष्णन नायर (Prashant Balakrishnan Nair)
  3. अजीत कृष्णन (Ajit Krishnan)
  4. अंगद प्रताप (Angad Pratap)

गगनयान मिशन का महत्व (Importance of Gaganyaan Mission):

  • वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति (Scientific and Technological Advancement) : यह मिशन इसरो की तकनीकी क्षमताओं को दर्शाएगा और भारत के वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि होगी। मानव अंतरिक्ष यान प्रणाली, जीवन समर्थन प्रणाली, और अन्य महत्वपूर्ण तकनीकों के विकास में यह मिशन महत्वपूर्ण योगदान देगा।
  • अंतरिक्ष अनुसंधान में योगदान (Contribution to space research) : गगनयान मिशन के तहत किए गए अनुसंधान और प्रयोग अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। इससे भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों और अनुसंधान में सहायता मिलेगी।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और कूटनीति (International cooperation and diplomacy) : इस मिशन से भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करेगा और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में अन्य देशों के साथ सहयोग के नए अवसर उत्पन्न करेगा।
  • आर्थिक लाभ (Economic benefits) : गगनयान मिशन के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण सेवा प्रदाता बन सकता है, जिससे आर्थिक लाभ हो सकता है।
  • प्रेरणा का स्रोत (Source of inspiration) : इस मिशन से युवा पीढ़ी को विज्ञान, तकनीक और अनुसंधान के क्षेत्र में प्रेरणा मिलेगी। यह मिशन देश के युवाओं को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

गगनयान का वर्तमान स्थिति (Current Status of Gaganyaan):

प्रगति (Progress):

  • टेस्ट (Tests): इसरो ने पैड अबॉर्ट और हाई-एल्टीट्यूड अबॉर्ट परीक्षण (pad abort and high-altitude abort) पूरे कर लिए हैं और क्रू एस्केप सिस्टम (crew escape system)का भी परीक्षण किया है।
  • लॉन्च वाहन (Launch Vehicle): अक्टूबर 2023 में, इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ( S. Somanath) ने बताया कि मिशन के लिए एलवीएम-3 (LVM-3) लॉन्च वाहन लगभग मानव परिवहन के लिए तैयार हो चुका है।
  • क्रू मॉड्यूल (Crew Module): क्रू मॉड्यूल अभी विकसित हो रहा है और इसे विदेश में निर्मित करना होगा।
  • इंजीनियरिंग कार्य (Crew Module): इंजीनियर कैप्सूल के एनवायरमेंटल कंट्रोल और लाइफ सपोर्ट सिस्टम और समग्र इंटीग्रेटेड व्हीकल हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम पर काम कर रहे हैं।

आगामी कदम (Upcoming Steps):

  • टेस्ट फ्लाइट्स (Test Flights): अगला प्रमुख मील का पत्थर बिना मानव के सबऑर्बिटल और ऑर्बिटल परीक्षण उड़ानें हैं। आखिरी परीक्षण उड़ान 2025 के मध्य में होने की संभावना है, हालांकि यह तिथि और आगे खिसक सकती है।
  • मिशन के विभिन्न उपकरण और सिस्टम विकसित और परीक्षण किए जा रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का परिचय (Introduction to International Space Station (ISS)

अंतरिक्ष स्टेशन (Space Station):

  • अंतरिक्ष स्टेशन (space station) एक प्रकार का अंतरिक्ष यान (spacecraft) है जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है और जहाँ अंतरिक्ष यात्री वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए लंबे समय तक रह सकते हैं।
  • 1998 में लॉन्च किया गया।
  • यह एक सहकारी परियोजना (cooperative project) है जिसमें यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, कनाडा, और जापान शामिल हैं।
  • पृथ्वी से लगभग 400 किमी (250 मील) ऊपर है।
  • अंतरिक्ष यात्री (Astronauts) विभिन्न शोध परियोजनाओं का संचालन करने के लिए इसका उपयोग करते हैं।

चीनी तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन (Chinese Tiangong Space Station):

  • दूसरा पूरी तरह कार्यात्मक मानवयुक्त अंतरिक्ष स्टेशन (second fully functional manned space station) जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है।

भविष्य की योजनाएं (Future Plans):

  • रूस की घोषणा (Russia’s announcement): रूस ने कहा है कि वह 2024 के अंत तक ISS परियोजना से हट जाएगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बारे में

  • स्थापना (established): 15 अगस्त 1969 को हुई थी
  • मुख्यालय (Headquarters): बेंगलुरु, कर्नाटक
  • अध्यक्ष (Chairman): एस.सोमनाथ

इसरो का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य (ISRO aims to set up space station)

  • भारत अपनी अंतरिक्ष उपस्थिति को मजबूत करने के लिए तैयार है। इसरो का लक्ष्य 2035 तक देश का पहला अंतरिक्ष स्टेशन ( first space station) स्थापित करना है।
  • इसरो (ISRO) का इरादा अगले दशक में एक 20-टन का अंतरिक्ष स्टेशन बनाना है, जो माइक्रोग्रैविटी (microgravity) प्रयोगों को समर्थन देगा।

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