International Tiger Day प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को बाघ संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
International Tiger Day (ITD) क्यों चर्चा में है:–
- International Tiger Day 29 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य पारिस्थितिकी संतुलन के लिए बड़ी बिल्लियों के संरक्षण पर जोर देना है।
- बाघों की संख्या में चिंताजनक कमी के कारण यह दिवस प्रत्येक वर्ष, “उनका भविष्य हमारे हाथों में है” इस वाक्य के साथ विश्व में बाघों के संरक्षण हेतु जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 की थीम से पता चलता है कि, बाघों और उनके आवासों को बचाने के लिए समन्वित प्रयास की सख्त जरूरत है।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (ITD)क्यों मनाया जाता है:–
- कुछ वर्षों पहले विश्व भर में बाघों की संख्या काफी तेजी से घट रही थी। इस चिंताजनक विषय से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर बाघों के संरक्षण हेतु शिक्षा और जागरूकता फैलाने के लिए International Tiger Day मनाया जाता है।
- बाघ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र(Ecosystem) के अमूल अंग हैं। इसलिए इनका संरक्षण हमारे पारिस्थितिकी संतुलन(Ecological Balance) के लिए अति आवश्यक है।
- बाघ क्षेत्र वाले देशों के बीच समझौता के परिणाम स्वरूप भी अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस या वैश्विक बाघ दिवस मनाया जाता है।
- बाघों की संख्या कम होने से जैविक विविधता का भी नुकसान होगा, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए संकल्प लेने का दिन भी होता है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 की थीम –
इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 का विषय (theme) है – “Call for Action”
International Tiger Day का इतिहास:–
- International Tiger Day की घोषणा सबसे पहले 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित Tiger Summit में की गई थी। जिसे ग्लोबल टाइगर रिकवरी प्रोग्राम (GTRP) के नाम से जाना जाता है।
- इस सम्मेलन में बाघ क्षेत्र वाले 13 देश बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम एक साथ मिलकर Tx2 का लक्ष्य निर्धारित किए।
- Tx2 का मतलब 2022 तक जंगली बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया। क्योंकि पिछली शताब्दी के दौरान जंगलों और जंगली इलाकों में 97% बाघ गायब हो गए, और केवल 3,000 ही जीवित बचे थे।
- International Tiger Day का उद्देश्य बाघों को संरक्षित करने के साथ-साथ उनके आवास, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के व्यवहार को अनुकूल करके उनकी घट रही संख्या को नियंत्रित करना भी है।
International Tiger Day का महत्व:–
- अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस सिर्फ बाघों के संरक्षण के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि इस दिवस के माध्यम से अलग-अलग प्रकार के विलुप्त हो रहे वन्य जीवों के प्रति भी लोगों के मन में संरक्षण का भाव उत्पन्न होगा।
- इस दिवस के माध्यम से जैव विविधता की रक्षा करना के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देकर स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित किया जा सकता है, जिससे मनुष्यों सहित सभी प्रजातियों को लाभ होगा।
- यह दिन जंगली बाघों के विलुप्त हो रहे प्रजातियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बाग क्षेत्र वाले देश संगठनों और लोगों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
बाघों का अस्तित्व:–
- कुछ वर्षों पहले विश्व भर में बाघों की संख्या काफी तेजी से घट रही थी। इस चिंताजनक विषय से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर बाघों के संरक्षण हेतु शिक्षा और जागरूकता फैलाने के लिए International Tiger Day मनाया जाता है।
- बाघ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र(Ecosystem) के अमूल अंग हैं। इसलिए इनका संरक्षण हमारे पारिस्थितिकी संतुलन(Ecological Balance) के लिए अति आवश्यक है।
- बाघ क्षेत्र वाले देशों के बीच समझौता के परिणाम स्वरूप भी अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस या वैश्विक बाघ दिवस मनाया जाता है।
- बाघों की संख्या कम होने से जैविक विविधता का भी नुकसान होगा, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए संकल्प लेने का दिन भी होता है।
जिनमें मुख्य कारण निम्न है:–
- आवास:– मनुष्य के द्वारा जंगलों का क्षय करके शहरीकरण और जंगलों को कृषि योग्य भूमि में तेजी से परिवर्तित करने के कारण बाघों के प्राकृतिक आवास में भारी कमी आई है। यह उनकी घटती आबादी के सबसे मुख्य कारणों में से एक है।
- शिकार:–बाघों की घटती प्रजातियों का एक बड़ा कारण मनुष्यों के द्वारा अवैध शिकार किया जाना भी है। दरअसल मनुष्य अलग-अलग उद्देश्यों से बाघों का शिकार करते हैं। कुछ लोग शौक से तो कुछ लोग व्यापारिक दृष्टिकोण से बाघों का शिकार करते है जिससे उनका प्रजातीय संतुलन बिगड़ता है।
- जलवायु परिवर्तन:– जलवायु परिवर्तन भी बाघों की आबादी में कमी के मुख्य कारकों में से एक है। बाघों के लिए ज़रूरी नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र बढ़ते समुद्री जलस्तर और बदलते मौसम के कारण ख़तरे में हैं, जिसका असर अंततः उनके शिकार और आवासों पर पड़ता है।
बाघ संरक्षण के कुछ महत्वपूर्ण प्रयास:–
- भारत का Project Tiger:– Project Tiger शिकार विरोधी उपाय और आवास के संरक्षण के लिए प्रभावी संरक्षण नीतियों को लागू करने में स्थानीय समुदायों का सहयोग करता है। यह एक व्यापक पहल हैं।
- CITES:– Convention on International Trade in Endangered Species (CITES) वन्य जीव और वनस्पति की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे अवैध तस्करी को रोकने के लिए बाघ के अंगों और उत्पादों के व्यापार को नियंत्रित करता है।
- अमूर बाघ संरक्षण:– रूस का अमूर बाघ संरक्षण भी बाघों के संरक्षण के महत्वपूर्ण प्रयासों में से एक है। रूस ने साइबेरिया बाघों की रक्षा के लिए कोई शिकार विरोधी सख्त कानून बनाए हैं। इसके अलावा बाघों के आवास की बहाली के लिए कई परियोजनाएं भी लागू किया है।
भारत में बाघों की आबादी:–
- भारत में बाघों की आबादी 2018 में 2,967 के आस पास थी जो 2022 में बढ़कर 3,682 हो गई।
- भारत में बाघों की गणना प्रत्येक चार वर्षों में होती है। इस तरह अगली गणना तक बाघों की अधिकतम संख्या 3925 होने का अनुमान है। जबकि वर्तमान में औसत संख्या 3682 है।
भारत में कुल 54 बाघ अभ्यारण्य में बाघों की संख्या:–
- जिम कॉर्बेट (260)
- बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान (150)
- नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान (141)
- बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (135)
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान (135)
- मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान (114)
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (105)
- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (104)
- सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान (100)
- ताड़ोबा राष्ट्रीय उद्यान (97)
- सत्यमंगलम बाघ अभ्यारण्य (85)
- पेंच बाघ अभ्यारण्य (77)
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