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फिर बदली नेपाल में सरकार, भारत विरोधी केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) बने प्रधानमंत्री

हाल ही में कम्युनिस्ट नेता केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) को नेपाल का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। 72 साल के ओली तीसरी बार Nepal के प्रधानमंत्री बने हैं। ओली ने भारत समर्थक माने जाने वाले शेर बहादुर देउबा के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई है। इससे पहले Nepal के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने 12 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

2024 जुलाई माह की शुरुआत में चीन समर्थक केपी शर्मा ओली की पार्टी CPN-UML ने प्रधानमंत्री प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल से गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई थी। Nepal के संविधान के आर्टिकल 100 (2) के तहत उन्हें एक महीने में बहुमत साबित करना था।

वे ऐसा नहीं कर पाए तथा फ्लोर टेस्ट में उन्हें 275 में से सिर्फ 63 सांसदों का साथ मिला। Nepal की नेशनल असेंबली के 194 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट किया। उन्हें सरकार बचाने के लिए 138 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी।

नेपाल के बारे में:

·   Nepal दक्षिण एशिया महाद्वीप में स्थित एक देश है।

·   इसकी सीमा भारत और चीन से मिलती है।

·    इसका क्षेत्रफल 147,181 वर्ग किलोमीटर है और आबादी लगभग 2.65 करोड़ है।

·   काठमांडू देश की राजधानी और सबसे बड़ा महानगर है।

·   भगवान बुद्ध का जन्मस्थान लुंबिनी Nepal में ही है।

·   नेपाल में 80% से अधिक आबादी हिंदू है।

·   दुनिया की सबसे ऊंची चोटी, माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर), Nepal में स्थित है।

·   दुनिया के 10 सबसे ऊंचे पहाड़ों में से 8 नेपाल में हैं।

·   दुनिया का सबसे ऊंचा झील तिलिचो लेक Nepal में है।

·   नेपाल में गाय को मारना गैरकानूनी है।

·   Nepal का झंडा दुनिया का एकमात्र त्रिकोणीय झंडा है।

·   नेपाल में अपना खुद का कैलेंडर है, जिसे विक्रम संवत कहा जाता है।

·   नेपाल में 80 से अधिक जातीय समूह और 120 से अधिक भाषाएँ हैं।

नेपाल में चुनाव का इतिहास: राजशाही से गणतंत्र तक का सफ़र

Nepal का चुनावी इतिहास उतार-चढ़ाव, राजनीतिक परिवर्तनों और सत्ता संघर्षों की एक लंबी दास्तान है। यहाँ राजशाही के वर्चस्व से लेकर बहुदलीय लोकतंत्र और अंततः गणतंत्र की स्थापना तक का सफ़र तय किया गया है।

प्रारंभिक दौर (1951-1960): लोकतंत्र का पहला प्रयास

  • 1951 में राणा शासन के अंत के बाद, Nepal में लोकतांत्रिक प्रयोगों की शुरुआत हुई।
  • 1959 में देश में पहली बार आम चुनाव हुए, जिसमें नेपाली कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला और बी.पी. कोइराला प्रधानमंत्री बने। हालांकि, यह लोकतांत्रिक दौर अल्पकालिक रहा।
  • 1960 में राजा महेन्द्र ने संसद भंग कर दी और पार्टी-रहित पंचायत व्यवस्था लागू कर दी।

पंचायत व्यवस्था (1960-1990): राजशाही का वर्चस्व

  • पंचायत व्यवस्था के तहत राजा सर्वोच्च शक्ति के रूप में स्थापित हुए।
  • इस दौरान चुनाव होते रहे, लेकिन वे राजनीतिक दलों के बिना और राजा के नियंत्रण में होते थे।
  • जनता की आवाज़ को दबाने के लिए कड़े प्रतिबंध लगाए गए और राजनीतिक गतिविधियों पर नियंत्रण रखा गया।

बहुदलीय लोकतंत्र की बहाली (1990-2008): जन आंदोलन की जीत

  • 1990 में जन आंदोलन की सफलता के बाद Nepal में बहुदलीय लोकतंत्र की बहाली हुई।
  • 1991 में नए संविधान के तहत चुनाव हुए और गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व में नेपाली कांग्रेस की सरकार बनी।
  • इस दौरान Nepal में राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी देखा गया, जिसमें कई सरकारें बनीं और गिरीं।

माओवादी विद्रोह और शांति प्रक्रिया (1996-2006): राजनीतिक संकट

  • 1996 में शुरू हुआ माओवादी विद्रोह Nepal के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हुआ। इस दौरान देश में हिंसा और अस्थिरता का माहौल रहा।
  • 2006 में शांति समझौते के बाद माओवादी मुख्यधारा में शामिल हुए और संविधान सभा के चुनावों में भाग लिया।

संविधान सभा और गणतंत्र की स्थापना (2008-2015):

2008 में हुए संविधान सभा के चुनावों में माओवादी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी।

  • इसी साल नेपाल को गणतंत्र घोषित किया गया और राजशाही का अंत हुआ।
  • संविधान सभा ने 2015 में नए संविधान को पारित किया, जिसने नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया।

संघीय ढांचे के तहत चुनाव

  • नए संविधान के तहत 2017 में स्थानीय, प्रांतीय और संघीय चुनाव हुए।
  • यह नेपाल के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसने देश में विकेंद्रीकरण को बढ़ावा दिया।

नेपाल में चुनाव प्रक्रिया:

नेपाल की चुनाव प्रणाली एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित है और इसमें बहुदलीय प्रणाली अपनाई जाती है।

  1. संघीय संसद चुनाव

नेपाल की संघीय संसद दो सदनों में बंटी होती है:

  • प्रतिनिधि सभा (House of Representatives): इसमें 275 सदस्य होते हैं, जिनमें से 165 को प्रत्यक्ष निर्वाचन के माध्यम से चुना जाता है और 110 को आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से चुना जाता है।
  • राष्ट्रीय सभा (National Assembly): इसमें 59 सदस्य होते हैं, जिनमें से 56 को प्रांतीय निर्वाचन मंडल द्वारा चुना जाता है और 3 को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है।
  1. प्रांतीय विधानसभा चुनाव

नेपाल में सात प्रांत हैं और प्रत्येक प्रांत की अपनी विधानसभा होती है। प्रांतीय विधानसभा के सदस्यों का चुनाव निम्नलिखित विधियों से होता है:

  • प्रत्यक्ष निर्वाचन (First-Past-The-Post System): प्रत्येक प्रांत की विधानसभा के सदस्य प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से चुने जाते हैं।
  • आनुपातिक प्रतिनिधित्व (Proportional Representation System): कुछ सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से चुने जाते हैं।
  1. स्थानीय चुनाव

नेपाल में स्थानीय चुनाव नगरपालिका और ग्रामीण स्तर पर होते हैं, जिनमें निम्नलिखित इकाइयाँ शामिल होती हैं:

  • नगरपालिका (Municipality): इसमें नगर प्रमुख और उप-प्रमुख का चुनाव किया जाता है।
  • गांवपालिका (Rural Municipality): इसमें गांव प्रमुख और उप-प्रमुख का चुनाव किया जाता है।
  • वार्ड स्तर: प्रत्येक वार्ड के लिए वार्ड अध्यक्ष और सदस्य चुने जाते हैं।

नेपाल के संघीय संसद (प्रधानमंत्री) चुनाव की प्रक्रिया:

नेपाल का संघीय संसद चुनाव देश के लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत कार्यान्वित होती है। नेपाल की संघीय संसद में दो सदन होते हैं:

·   प्रतिनिधि सभा (House of Representatives) और

·   राष्ट्रीय सभा (National Assembly)।

इन दोनों सदनों के चुनाव की प्रक्रियाएँ अलग-अलग हैं।

प्रतिनिधि सभा (House of Representatives) चुनाव

प्रतिनिधि सभा में कुल 275 सदस्य होते हैं, जिनमें से:

  • 165 सदस्य सीधे निर्वाचन क्षेत्रों से चुने जाते हैं।
  • 110 सदस्य समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System) के तहत चुने जाते हैं।

Seats stats in nepal Government

प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली (First-Past-The-Post System)

  • देश को 165 निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।
  • प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
  • जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, वह जीत जाता है (भले ही उसे पूर्ण बहुमत न मिला हो)।
  • इस प्रणाली के तहत मतदाता अपने क्षेत्र के उम्मीदवार को वोट देते हैं।

समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System)

  • इसके लिए मतदाता पूरे देश को एक ही निर्वाचन क्षेत्र मानकर राजनीतिक दलों को वोट देते हैं।
  • प्रत्येक पार्टी को मिलने वाली सीटों की संख्या, उसे मिले कुल वोटों के प्रतिशत के अनुपात में होती है।
  • इस प्रणाली के तहत मतदाता पार्टी की नीतियों और घोषणापत्र के आधार पर वोट देते हैं।

राष्ट्रीय सभा (National Assembly) चुनाव

राष्ट्रीय सभा में कुल 59 सदस्य होते हैं, जिनमें से:

  • 56 सदस्य सात प्रांतों की प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा चुने जाते हैं।
  • 3 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामांकित किए जाते हैं।

प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा चुने गए सदस्य

  • प्रत्येक प्रांत से 8 सदस्य चुने जाते हैं (1 महिला, 1 दलित, 1 विकलांग या अल्पसंख्यक, और 5 अन्य सदस्य)।
  • प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्य बहुमत से इन प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं।

निर्वाचन प्रक्रिया

  • नेपाल निर्वाचन आयोग (Election Commission of Nepal) चुनाव की देखरेख करता है और स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करता है।
  • उम्मीदवारों और पार्टियों को नामांकन दाखिल करना होता है।
  • चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवार अपने मतदाताओं को अपनी नीतियों और योजनाओं से अवगत कराते हैं।
  • चुनाव के दिन मतदाता अपने मतदान केंद्रों पर जाकर अपने वोट डालते हैं।
  • वोटों की गिनती के बाद, परिणाम घोषित किए जाते हैं और विजयी उम्मीदवारों की घोषणा की जाती है।

चुनाव के बाद की प्रक्रिया

  • जिस पार्टी को बहुमत मिलता है, उसके नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
  • किसी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत के लिए 138 सीटों की जरूरत होती है।
  • प्रतिनिधि सभा और राष्ट्रीय सभा के सदस्य शपथ लेते हैं और सदन की पहली बैठक होती है।
  • नई सरकार का गठन किया जाता है और प्रधानमंत्री और मंत्रियों का चयन होता है।

प्रमुख राजनीतिक दल

नेपाल में कई प्रमुख राजनीतिक दल हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • नेपाली कांग्रेस (Nepali Congress)
  • नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (Maoist Centre)
  • नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (Unified Socialist)
  • राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (Rastriya Prajatantra Party)
केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री बनने से भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
  • एक रिपोर्ट के अनुसार केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और नेपाल के रिश्तों पर थोड़ा असर पर सकता है। केपी शर्मा ओली सरकार में ही नेपाल ने अपना एक नक्शा जारी किया था जिसपर विवाद खड़ा हो गया था।
  • नेपाल ने मई 2020 में अपना आधिकारिक नक्शा जारी किया था, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाके को नेपाल की सीमा में दिखाया गया था। भारत ने इस पर आपत्ति जाहिर की थी और इस नक्शे को मानने से इनकार कर दिया था।
  • इस बार सरकार में नेपाली कांग्रेस भी है। इस पार्टी का संबंध भारत से अच्छा है। नेपाली कांग्रेस डिप्लोमेसी के जरिए समस्या का समाधान ढूंढने पर जोर देती है। ऐसे में नई सरकार भारत के साथ रिश्ते में अधिक बदलाव कर पाएगी इसकी संभावना कम है।

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