चर्चा में क्यों ?
हाल ही में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मध्य प्रदेश के Bandhavgarh Tiger Reserve में 10 हाथियों की रहस्यमयी मौतों के मामले में गंभीरता से हस्तक्षेप किया है। माना जा रहा है कि इन मौतों के पीछे दूषित कोदो बाजरा का जहर है, जिससे इस क्षेत्र के वन्यजीवों और पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं।
बांधवगढ़ में 10 हाथियों की मौत पर NGT द्वारा नोटिस के मुख्य बिंदु (Key points of notice by NGT on death of 10 elephants in Bandhavgarh):
- स्वतः संज्ञान (Suo motu): NGT ने Bandhavgarh Tiger Reserve में 10 हाथियों की मौत की खबरों पर स्वतः संज्ञान लिया।
- नोटिस जारी (Notice issued): राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
- अधिनियमों का उल्लंघन (Violation of Acts): प्राथमिक जांच में वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के उल्लंघन के संकेत पाए गए।
- हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश (Direction to submit affidavit): राज्य और केंद्र सरकार को दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए गए।
- विशेषज्ञों की बेंच (Expert Bench): इस आदेश को NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी, और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज़ अहमद की बेंच ने पारित किया।
- प्रकरण स्थानांतरित (Case transferred): मामले को भोपाल स्थित NGT के सेंट्रल ज़ोन बेंच में स्थानांतरित कर दिया गया।
- मौत का संभावित कारण (Probable cause of death): प्रारंभिक जांच में कोदो मिलेट्स के प्रदूषण से हाथियों की मौत की आशंका जताई गई है।
- नमूनों की जांच (Examination of samples): सैंपल्स को उत्तर प्रदेश के IVRI और मध्य प्रदेश के सागर जिले की फोरेंसिक लैब में विश्लेषण के लिए भेजा गया है।
प्रमुख अधिकारियों को नोटिस (Notice to key officials):
- मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक।
- मुख्य वन्यजीव संरक्षक।
- उमरिया जिला कलेक्टर।
- भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के निदेशक।
- वन्यजीव संस्थान, भारत के निदेशक।
- कृषि मंत्रालय के सचिव।
एनजीटी ने 23 दिसंबर 2024 को अगली सुनवाई तय की / NGT fixed the next hearing on 23 December 2024
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में हाथियों की मौत के मामले से संबंधित अगली सुनवाई 23 दिसंबर 2024 के लिए निर्धारित की है। यह निर्णय मामले को जल्दी निपटाने के उद्देश्य से लिया गया है, और इसे एनजीटी की सेंट्रल ज़ोन बेंच को स्थानांतरित कर दिया गया है।
मामले के संभावित प्रभाव (Potential impact of the case):
- यह मामला वन्यजीवों के संरक्षण और क्षेत्र में कृषि प्रथाओं पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
- न्यायाधिकरण ने यह संकेत दिया है कि इस मामले से वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का उल्लंघन हो सकता है।
- पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन और अनुसूचित अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं, जो इस मामले के परिणामों को और भी महत्वपूर्ण बना सकते हैं।
मध्य प्रदेश में हाथियों की मौत की घटनाक्रम (Timeline of elephant deaths in Madhya Pradesh):
मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में हाल ही में 10 हाथियों की मौत हुई। यह घटना एक सप्ताह पहले सामने आई थी, और अब तीन प्रयोगशालाओं से प्राप्त रिपोर्ट में इस मौत के कारण का खुलासा हुआ है।
हाथियों की मौत का कारण (Causes of death of elephants):
- रिपोर्ट के अनुसार, हाथियों की मौत की वजह ज़्यादा मात्रा में फंगस लगी कोदो फसल को खाना है।
- इससे पहले, यह घटना सभी के लिए एक रहस्य बनी हुई थी, लेकिन अब इसपर स्पष्टता आई है।
रिपोर्ट से मिली जानकारी (Information obtained from the report):
- स्टेट फॉरेंसिक लैब (सागर): हाथियों के विसरा नमूनों में किसी अन्य धातु या कीटनाशक का पता नहीं चला।
- स्कूल ऑफ़ वाइल्ड लाइफ़ फ़ॉरेंसिक एंड हेल्थ: रिपोर्ट में हर्पीज़ वायरस की पुष्टि नहीं हुई, और मौत का कारण विषाक्तता बताया गया।
- भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई): यह रिपोर्ट बताती है कि हाथियों ने बड़ी मात्रा में ख़राब कोदो और बाजरा खाया, जिसमें माइक्रो टॉक्सिन साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड था।
विषाक्तता का कारण (Cause of poisoning):
विषाक्तता तब होती है जब किसी जीव के शरीर में ज़हरीले तत्व प्रवेश करते हैं, जैसे खाने, सूंघने, या शरीर की झिल्लियों के माध्यम से।
जांच के निष्कर्ष (Investigation findings):
- वन विभाग ने एसआईटी का गठन किया और एल. कृष्णमूर्ति ने बताया कि अत्यधिक कोदो के पौधे और अनाज खाने से यह घटना हुई।
- मौसम परिवर्तन से फ़सल में सूक्ष्म जीवों का विकास हुआ, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई।
फ़ंगस और कोदो (Fungus and Kodo):
- जबलपुर के डॉ. एबी श्रीवास्तव के अनुसार, यह मौत कोदो से नहीं, बल्कि उसमें पैदा हुए फंगस से हुई है।
- यह फंगस तब बढ़ता है जब मौसम गर्म होता है और अचानक बारिश होती है। तब फसल में यह फंगस लगता है।
आगामी कदम (Next steps):
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि क्षेत्र में निगरानी रखी जाए और गांववासियों को ख़राब फ़सल के बारे में सूचित किया जाए।
- केंद्रीय वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) भी जांच में शामिल है, लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।
Bandhavgarh Tiger Reserve (Bandhavgarh Tiger Reserve):
अवस्थिति (Location): Bandhavgarh Tiger Reserve मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है, जो विंध्य और सतपुड़ा पर्वतमाला के बीच स्थित है।
- राष्ट्रीय उद्यान (National Park): इसे 1968 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve): 1993 में इसे टाइगर रिजर्व का दर्जा प्राप्त हुआ।
- स्थलाकृति (Topography): रिजर्व का परिदृश्य घाटियों, पहाड़ियों और मैदानों से मिलकर बना है।
वनस्पति (Flora): यहां मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन पाए जाते हैं। क्षेत्र की निचली ढलानों पर बांस के जंगल हैं और घास के विस्तृत मैदान भी हैं। प्रमुख वनस्पतियों में शामिल हैं:
- साज (Terminalia tomentosa)
- धौरा (Anogeissus latifolia)
- तेंदू
- अर्जुन (Terminalia arjuna)
- आंवला (Emblica officinalis)
- पलास (Butea monosperma)
जीव-जंतु (Fauna): बांधवगढ़ बाघों के उच्च घनत्व के लिए प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त, यहां अन्य स्तनधारी जैसे तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया, सियार, चीतल, सांभर, बार्किंग डियर, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, और चौसिंघा पाए जाते हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Background):
- बघेल राजवंश (Baghel Dynasty): बांधवगढ़ का ऐतिहासिक रूप से रीवा के बघेल शासकों द्वारा शासित किया जाता था, जिन्होंने इसे अपनी शिकार भूमि (शिकारगाह) के रूप में इस्तेमाल किया था।
- वन क्षेत्र का क्षरण (Forest Degradation): भारत की स्वतंत्रता के बाद और रियासतों के उन्मूलन के कारण उचित प्रबंधन की कमी के चलते वन क्षेत्र में क्षरण होने लगा।
- संरक्षण पहल (Conservation Initiatives): 1956 में मध्य प्रदेश राज्य का गठन हुआ और बांधवगढ़ के पारिस्थितिक महत्त्व को मान्यता दी गई।
रीवा के महाराजा मार्तण्ड सिंह के प्रयासों से 1968 में 105 वर्ग किमी क्षेत्र को बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया।
- क्षेत्र विस्तार (Area Expansion): 1982 में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र 842 वर्ग किमी तक बढ़ाया गया।
1983 में पनपथा वन्यजीव अभयारण्य का 245.847 वर्ग किमी क्षेत्र Bandhavgarh Tiger Reserve में शामिल किया गया।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का परिचय
स्थापना (Establishment):
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, वन और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा से संबंधित मामलों का प्रभावी और शीघ्र निपटारा करना है।
मुख्यालय (Headquarters):
NGT का मुख्यालय नई दिल्ली में है, और इसके चार अन्य क्षेत्रीय बेंच भोपाल, पुणे, कोलकाता, और चेन्नई में स्थित हैं।
NGT की संरचना (Structure of NGT):
- अध्यक्ष: NGT का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश होते हैं।
- न्यायिक सदस्य: अन्य न्यायिक सदस्य उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायधीश होते हैं।
- विशेषज्ञ सदस्य: ये सदस्य पर्यावरण या वन संरक्षण के क्षेत्र में न्यूनतम 15 वर्षों का अनुभव रखते हैं। प्रत्येक बेंच में कम से कम एक न्यायिक सदस्य और एक विशेषज्ञ सदस्य होता है।
NGT के अधिकार (Powers of NGT):
- क्षेत्राधिकार: NGT को पर्यावरण से जुड़े सभी सिविल मामलों को सुनने का अधिकार है, और यह उन कानूनों के पालन से संबंधित मामलों को सुनता है जो NGT अधिनियम की अनुसूची I में शामिल हैं।
कुछ प्रमुख कानून हैं (Some major laws are):- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) शुल्क अधिनियम, 1977
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980
- वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
- लोकपाल बीमा अधिनियम, 1991
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002
- अपील का अधिकार (Right to appeal): NGT एक अदालत की तरह अपील सुनता है।
- प्रक्रियाएँ (Processes): NGT सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 से बाध्य नहीं है, लेकिन यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करता है।
- समय सीमा (Time Limit): NGT को 6 महीने के भीतर सभी आवेदन और अपीलों का निपटारा करना होता है।
Explore our Books: https://apnipathshala.com/product-category/books/
Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/