चर्चा में क्यों ?
हाल ही में बिहार के उद्योग मंत्री नितीश मिश्रा (Nitish Mishra) ने राज्य के पहले ड्राई पोर्ट (dry port) का उद्घाटन किया, जो पटना के निकट स्थित बिहटा में है।
- यह ड्राई पोर्ट राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य (aims) बिहार में निर्मित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देना है और इसे एक निजी कंपनी के सहयोग से स्थापित किया गया है।
- बिहटा आईसीडी (Bihta ICD) से पहला निर्यात खेप (consignment) रूस भेजा गया, जिसमें चमड़े के जूते (leather footwear) शामिल थे।
Dry Port क्या है (What is a Dry Port)?
- ड्राई पोर्ट (dry port), जिसे इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) भी कहा जाता है। यह समुद्री बंदरगाह या हवाई अड्डे से दूर स्थित एक लॉजिस्टिक सुविधा है।
- ड्राई पोर्ट माल ढुलाई, भंडारण, और वस्तुओं के परिवहन की सुविधाएँ प्रदान करता है।
- इससे निर्यात और आयात का प्रबंधन करना आसान हो जाता है।
- भारत का पहला ड्राई पोर्ट 2018 में वाराणसी (Varanasi) में खोला गया था।
- ड्राई पोर्ट अंतर्देशीय क्षेत्रों (international shipping routes) और अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों (international shipping routes) के बीच पुल का काम करता है। जिससे प्रमुख गेटवे पोर्ट्स तक वस्तुओं की पहुँच संभव होती है।
भारत के लिए ड्राई पोर्ट क्यों महत्वपूर्ण हैं (Why are dry ports important for India) ?
- समुद्री बंदरगाहों पर भीड़ कम करना (Decongesting sea ports): ड्राई पोर्ट्स द्वारा कार्गो संचालन और कस्टम्स क्लियरेंस को आंतरिक क्षेत्रों में शिफ्ट किया जाता है, जिससे मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट और चेन्नई पोर्ट जैसे प्रमुख समुद्री बंदरगाहों पर भीड़ कम होती है और उनकी कार्यक्षमता में सुधार होता है।
- लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार (Improving logistics efficiency): ड्राई पोर्ट्स विभिन्न लॉजिस्टिक सेवाओं के लिए एक केंद्रीकृत स्थान प्रदान करते हैं, जो माल की आवाजाही को सरल और परिवहन लागत को कम करता है। यह विशेष रूप से उन उद्योगों के लिए लाभकारी है जो तटीय क्षेत्रों से दूर स्थित हैं।
- निर्यात को बढ़ावा देना (Promoting exports): ड्राई पोर्ट्स निर्यात की सुविधा प्रदान करते हैं, जैसे कि लुधियाना में वस्त्रों के लिए और पुणे में ऑटोमोबाइल्स के लिए। ये उत्पादन केंद्रों के पास कस्टम्स क्लियरेंस जैसी सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं, जिससे वैश्विक बाजारों तक पहुँच आसान होती है।
- क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना (Promoting regional development): ये आंतरिक क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करके, रोजगार के अवसर उत्पन्न करके, और औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करके आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, नागपुर में ड्राई पोर्ट ने केंद्रीय भारत में लॉजिस्टिक क्षेत्र के विकास में योगदान दिया है।
- कनेक्टिविटी में सुधार (Improving connectivity): ड्राई पोर्ट्स विभिन्न परिवहन साधनों (सड़क, रेल और समुद्र) के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाते हैं, जिससे माल की आवाजाही तेजी से और सहज होती है। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण भौगोलिक क्षेत्र वाले देश के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
ड्राई पोर्ट के उपयोग के लाभ (Benefits of using dry ports):
- लागत में बचत (Cost savings): ड्राई पोर्ट्स से नजदीकी समुद्री बंदरगाहों तक कम दूरी और एकीकृत लॉजिस्टिक सेवाओं के कारण परिवहन लागत में कमी होती है।
- समय की बचत (Time savings): माल के लिए तेज कस्टम्स क्लियरेंस और कम ट्रांज़िट समय।
- बेहतर दक्षता (Improved efficiency): लॉजिस्टिक प्रक्रियाओं का सरलीकरण और बंदरगाहों पर भीड़ कम करना।
- बढ़ी हुई सुरक्षा (Enhanced security): कार्गो के सुरक्षित भंडारण और प्रबंधन की सुविधा।
- वैश्विक बाजारों तक बेहतर पहुँच (Improved access to global markets): आंतरिक क्षेत्रों में स्थित व्यवसायों के लिए निर्यात और आयात को सुविधाजनक बनाता है।
भारत में कितने ड्राई पोर्ट हैं (How many dry ports are there in India)?
भारत में 330 से अधिक ड्राई पोर्ट संचालित हैं। कुछ प्रमुख उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- तुगलकाबाद ड्राई पोर्ट, दिल्ली (Tughlakabad Dry Port, Delhi): उत्तर भारत का एक प्रमुख ड्राई पोर्ट जो वस्त्र और इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात-आयात में सहायक है।
- साणंद ड्राई पोर्ट, गुजरात (Sanand Dry Port, Gujarat): गुजरात का यह पोर्ट ऑटोमोबाइल और रसायनों के व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- नागपुर ड्राई पोर्ट, महाराष्ट्र (Nagpur Dry Port, Maharashtra): केंद्रीय भारत में स्थित, यह पोर्ट कृषि उत्पादों और फार्मास्यूटिकल्स के परिवहन में सहायक है।
- व्हाइटफील्ड ड्राई पोर्ट, कर्नाटक (Whitefield Dry Port, Karnataka): बेंगलुरु के पास स्थित यह पोर्ट टेक्सटाइल और आईटी उत्पादों के निर्यात में उपयोगी है।
- पंचकुला ड्राई पोर्ट, हरियाणा (Panchkula Dry Port, Haryana): यह पोर्ट कृषि उत्पादों और मशीनरी के निर्यात को प्रोत्साहित करता है।
Bihta Dry Port की प्रमुख विशेषताएँ (Key Features of Bihta Dry Port):
- रणनीतिक स्थान (Strategic Location):
- बिहटा ड्राई पोर्ट पटना के बाहरी क्षेत्र में स्थित है, जिससे प्रमुख राजमार्गों और रेल नेटवर्क तक आसानी से पहुंच है।
- इसका कोलकाता (Kolkata), हल्दिया (Haldia), विशाखापत्तनम (Visakhapatnam) और मुंद्रा जैसे प्रमुख बंदरगाहों से जुड़ाव, सुगम लॉजिस्टिक्स संचालन (logistics operations) के लिए महत्वपूर्ण है।
- आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर (Modern Infrastructure):
अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित, यह ICD निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान करेगा:
- वेयरहाउसिंग (Warehousing): विभिन्न वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए आधुनिक भंडारण समाधान।
- कस्टम क्लीयरेंस (Custom Clearance): स्थानीय स्तर पर कस्टम सेवाएं, जिससे दूर के बंदरगाहों तक वस्तुओं को ले जाने का समय और लागत कम होगी।
- मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट (Multi-modal Transport): सड़क और रेल के माध्यम से वस्तुओं का कुशल परिवहन सुनिश्चित करना।
- स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा (Boosting local industries):
- यह सुविधा स्थानीय निर्यातकों और आयातकों को राज्य के भीतर से ही अपने संचालन का मौका देगी, जिससे राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों में उनकी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, विशेष रूप से कृषि, वस्त्र और विनिर्मित वस्त्रों के उद्योगों के लिए।
आर्थिक प्रभाव (Economic impact):
- व्यापार के अवसरों में वृद्धि (Increased business opportunities):
- बिहटा ड्राई पोर्ट (Bihta Dry Port) के निर्माण से बिहार के निर्यातकों को आवश्यक लॉजिस्टिक्स सेवाएँ मिलेंगी और कस्टम क्लीयरेंस के लिए दूर जाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे कृषि उत्पाद जैसे मक्का, लीची और चावल के व्यापार में वृद्धि की उम्मीद है।
- रोजगार सृजन (Employment generation):
- इस ICD के संचालन से लॉजिस्टिक्स, परिवहन और संबंधित क्षेत्रों में अनेक रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिससे बिहार में बेरोजगारी की दर कम करने में मदद मिलेगी और राज्य के औद्योगिक विकास के लक्ष्य को समर्थन मिलेगा।
- निवेश आकर्षित करना (Attracting investments):
- उन्नत लॉजिस्टिक्स अवसंरचना से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित किया जा सकेगा, जो बिहार के कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में रुचि रखते हैं। बेहतर संपर्क और संचालन की दक्षता राज्य के व्यावसायिक माहौल को मजबूत करेगी।
- सरकारी पहलों को समर्थन (Support to Government Initiatives):
- बिहटा ड्राई पोर्ट (Bihta Dry Port) भारत सरकार की अवसंरचना विकास और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बढ़ावा देने वाली व्यापक पहलों, जैसे गति शक्ति मिशन के साथ मेल खाता है। आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता में सुधार के माध्यम से, यह राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लक्ष्य का समर्थन करेगा।
बिहार में ड्राई पोर्ट की आवश्यकता (Need for Dry Port in Bihar):
बिहार जैसे राज्य में, जहां मुख्यतः कृषि उत्पाद (agricultural produce), वस्त्र (textiles), और चमड़े से बने उत्पादों (leather products) का निर्माण विभिन्न स्थानों पर किया जाता है, यह एक महत्वपूर्ण पहल थी। ड्राई पोर्ट से विभिन्न शिपर्स का माल एक ही स्थान पर एकत्रित किया जा सकता है, जिससे परिवहन आसान और व्यवस्थित हो जाता है।
- मुख्य उद्देश्य (Main objective): बिहार में ड्राई पोर्ट की आवश्यकता माल ढुलाई और परिवहन को सुगम बनाना, परिवहन लागत को कम करना और सुरक्षित भंडारण व संभालने की सुविधाएं सुनिश्चित करना था।
- बिहटा ड्राई पोर्ट का संचालन (Operation of Bihta Dry Port): यह ड्राई पोर्ट सात एकड़ में फैला हुआ है और इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत प्रिस्टाइन मगध इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और राज्य उद्योग विभाग (Pristine Magadh Infrastructure Private Limited and the State Industries Department) द्वारा संचालित किया जा रहा है।
बिहार किन उत्पादों का निर्यात करना चाहता है (What products does Bihar want to export)?
- फल और सब्जियाँ (Fruits and vegetables): बिहार आलू, टमाटर, केला, लीची और मखाना (फॉक्स नट्स) का एक प्रमुख उत्पादक है।
- अन्य कृषि उत्पाद (Other agricultural products): राज्य में मक्का (11 में से 38 जिलों में मक्का उत्पादन केंद्रित है), चावल, और पैक्ड फूड की निर्यात क्षमता भी अधिक है।
- उद्योग आधारित उत्पाद (Industry based products): स्पंज आयरन, वेस्ट पेपर, न्यूज़प्रिंट और मांस जैसे उत्पादों का भी निर्यात किया जाता है।
- क्षेत्रीय विशेषताएँ (Regional features):
- उत्तर बिहार के खगड़िया, बेगूसराय, सहरसा और पूर्णिया जिलों में मक्का उत्पादन पर अधिक ध्यान दिया गया है।
- मोतिहारी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण में चमड़ा और वस्त्र उत्पादन (Leather and textile production) के नए यूनिट खोले गए हैं।
- वैशाली, नालंदा, पटना और बेगूसराय में खाद्य प्रसंस्करण (food processing) के लिए निर्यात की अपार संभावनाएँ हैं।
- चमड़ा और वस्त्र में संभावनाएँ (Prospects in leather and textiles): हाल ही में कई निवेशकों ने राज्य में चमड़ा निर्माण इकाइयाँ शुरू की हैं। उद्योग मंत्री नितीश मिश्रा ने कहा कि “चमड़ा और वस्त्र के क्षेत्र में राज्य में निर्यात की अपार संभावनाएँ हैं।” भूमि बैंक को बढ़ावा देकर अधिक निवेशकों को आकर्षित करने का प्रयास हो रहा है।
- बिहटा ड्राई पोर्ट से निर्यात (Exports from Bihta Dry Port): ड्राई पोर्ट से पहली खेप में चमड़े के जूते रूस भेजे गए थे।
- वर्तमान स्थिति (Current status): 2022-23 में बिहार ने लगभग 20,000 करोड़ रुपये का निर्यात दर्ज किया। अब बिहटा ICD की उपलब्धता के साथ, राज्य अपने निर्यात क्षमता को और बढ़ाने की योजना बना रहा है।
बिहटा ड्राई पोर्ट से बिहार के पड़ोसी राज्यों को संभावित लाभ (Potential benefits of Bihta Dry Port to neighbouring states of Bihar):
- संपूर्ण पूर्वी भारत के लिए सेवा (Service to entire eastern India): ICD बिहटा पूर्वी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक केंद्र बन गया है और आसपास के राज्यों जैसे झारखंड, उत्तर प्रदेश, और ओडिशा के लिए भी लाभकारी हो सकता है।
- महत्वपूर्ण बंदरगाहों से रेल कनेक्टिविटी (Rail connectivity to important ports): यह कोलकाता और हल्दिया (पश्चिम बंगाल), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), न्हावा शेवा (महाराष्ट्र) और मुंद्रा (गुजरात) जैसे गेटवे पोर्ट्स से रेलवे द्वारा जुड़ा हुआ है, जो निर्यात और आयात प्रक्रियाओं को तेज़ और सुविधाजनक बनाता है।
- राजस्व विभाग से अनुमोदन (Approval from Revenue Department): इसे पूरी तरह से चालू किया गया है और इसे केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग से मंजूरी प्राप्त है, जो इसे व्यापार और उद्योग के लिए अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित बनाता है।
- समर्थनकारी बुनियादी ढांचा (Supporting infrastructure): आस-पास के राज्यों के निर्यातक और आयातक यहां से अपने उत्पादों का परिवहन कर सकते हैं, जिससे उन्हें लागत और समय की बचत होगी।
चुनौतियाँ (Challenges):
- इंफ्रास्ट्रक्चर विकास (Infrastructure development): सुचारु कनेक्टिविटी बनाए रखने के लिए सड़कों और रेलवे जैसे संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार निवेश आवश्यक है।
- कुशल कार्यबल (Skilled workforce): आधुनिक लॉजिस्टिक क्षेत्र की माँगों को पूरा करने के लिए स्थानीय प्रतिभाओं को प्रशिक्षित और उन्नत करना आवश्यक है।
- स्थायित्व (Sustainability): ड्राई पोर्ट के संचालन में पर्यावरणीय रूप से स्थायी प्रक्रियाओं का कार्यान्वयन पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
सरकार की भूमिका ड्राई पोर्ट के विकास में (Role of Government in Development of Dry Ports):
भारतीय सरकार ड्राई पोर्ट को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी भूमिका निम्नलिखित है:
- नीतियाँ बनाना (Policy Formulation): सरकार ड्राई पोर्ट के विकास के लिए नीतियाँ तैयार करती है ताकि उद्योगों को सहायता मिल सके।
- अवसंरचना विकास (Infrastructure Development): सरकार सड़क, रेलवे और अन्य आवश्यक अवसंरचना का विकास करती है, जो ड्राई पोर्ट को सुचारू रूप से चलाने में मदद करती है।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी (Private Sector Participation): सरकार निजी कंपनियों को ड्राई पोर्ट के निर्माण में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- प्रोत्साहन और छूट (Incentives and Exemptions): सरकार विभिन्न क्षेत्रों में ड्राई पोर्ट के विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन और छूट प्रदान करती है।
Explore our Books: https://apnipathshala.com/product-category/books/
Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/