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53 दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल, CDSCO रिपोर्ट

Mains GS II – सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

भारत की केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट ने दवा उद्योग में खलबली मचा दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पैरासिटामोल, विटामिन डी3 और अन्य महत्वपूर्ण दवाओं सहित कुल 53 दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतर पाईं हैं। इस स्थिति ने चिकित्सा समुदाय को गंभीर चिंताओं में डाल दिया है। अब इससे दवा उद्योग की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

CDSCO की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 53 दवाओं को ‘मानक गुणवत्ता से कम’ घोषित किया है।
  • इन दवाओं की गुणवत्ता विफलता ने बुखार, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए गंभीर सुरक्षा चिंताएं उत्पन्न की हैं ।
  • इस रिपोर्ट में 48 लोकप्रिय और आवश्यक दवाईयों की सूची और 5 अन्य प्रकार की दवाईयों की सूची जारी की गई हैं।
  • ये दवाएं कई प्रमुख कंपनियों द्वारा निर्मित की गई है, जैसे हेटेरो ड्रग्स, एल्केम लैबोरेटरीज, और हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड।
  • गुणवत्ता मानक परीक्षण के लिए अधिकांश दवाईयां हिमाचल प्रदेश, जयपुर, वडोदरा, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश और इंदौर जैसे शहरों या राज्यो से लिए गए थे।
  • यह सूचियां 20 जून 2024 की औषधि अलर्ट के बाद जारी किए गए हैं।
  • अधिकतर दवाओं को प्रयोगशाला द्वारा ‘नकली’ करार दिया गया है।
  • CDSCO ने इससे पहले इस वर्ष अगस्त 2024 में 156 फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन दवाओं पर भी प्रतिबंध लगाया था, जिसमे एसेक्लोफेनाक 50 एमजी और पैरासिटामोल 125 एमजी शामिल हैं।
  • फिक्स डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) वे दवाएं होती हैं, जिनमें दो या दो से अधिक औषधीय तत्व एक निश्चित अनुपात में मिलाए जाते हैं। इन्हें कॉकटेल ड्रग्स भी कहा जाता हैं।

CDSCO द्वारा जारी कुछ महत्वपूर्ण दवाएं

  • आलकेम हेल्थ साइंस द्वारा निर्मित एमोक्सीसिलिन और पोटेशियम क्लैवुलिनेट दवा बैक्टीरियल संक्रमणों जैसे फेफड़ों के संक्रमण और यूटीआई के लिए प्रयोग होती है।
  • स्कॉट-एडिल फार्मेशिया द्वारा निर्मित मेटफॉर्मिन दवा मधुमेह के उपचार में उपयोग की जाती है।
  • कर्नाटका एंटीबायोटिक्स द्वारा निर्मित पैरासिटामोल सामान्य बुखार और दर्द के लिए यह एक सामान्य दवा है।
  • एचएसएन इंटरनेशनल द्वारा निर्मित निमेसुलाइड दवा दर्द और सूजन के लिए प्रयोग होती है।
  • इसके अतिरिक्त डैक्सिन फार्मास्यूटिकल्स की सीफोपेराजोन, हेल्थ बायोटेक की हैपरिन, कोस्मास रिसर्च लैब की सेफ्पाइम भी इस सूची में शामिल हैं।
  • एसोज़ सॉफ्ट कैप्स की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए आवश्यक दवाई विटामिन सी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन डी3 भी शामिल हैं।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO)

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) भारत सरकार का प्रमुख निकाय है, जिसका मुख्य कार्य देश में औषधियों और चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना है। यह संगठन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन स्थापित किया गया है, और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

CDSCO की संरचना

CDSCO में विभिन्न विभाग शामिल हैं, जिनमें राज्य औषधि नियंत्रण संगठन और नियामक अधिकारी शामिल हैं। यह विभिन्न स्तरों पर औषधि विनियमन का कार्य करता है और सुनिश्चित करता है कि दवाएं और चिकित्सा उपकरण मानकों के अनुरूप हों। CDSCO के भीतर, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का नियंत्रण करता है। DCGI को ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) और ड्रग कंसल्टेटिव कमेटी (DCC) द्वारा सलाह दी जाती है, जो दवा नीति और चिकित्सा उपकरणों के विनियमन से संबंधित मामलों पर विशेषज्ञता प्रदान करते हैं।

CDSCO की प्रमुख जिम्मेदारियाँ

  • दवाओं का विनियमन: CDSCO नैतिक (ethical) और गैर-नैतिक (non-ethical) दवाओं के लिए एक सख्त विनियामक ढाँचा प्रदान करता है। यह दवाओं के निर्माण, विपणन और उपयोग की प्रक्रियाओं की निगरानी करता है, ताकि उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
  • नए औषधीय उत्पादों का परीक्षण और अनुमोदन: CDSCO नए दवाओं के परीक्षण और अनुमोदन की प्रक्रिया का प्रबंधन करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल प्रभावी और सुरक्षित दवाएं ही बाजार में उपलब्ध हों।
  • चिकित्सा उपकरणों का विनियमन: यह संगठन चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता और सुरक्षा का भी ध्यान रखता है। CDSCO ने चिकित्सा उपकरणों के लिए विशेष मानक और नियम निर्धारित किए हैं, जिससे इनका प्रभावी उपयोग सुनिश्चित होता है।
  • राष्ट्रीय नीतियों का निर्माण: CDSCO औषधियों और चिकित्सा उपकरणों से संबंधित राष्ट्रीय नीतियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह संगठन स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को बढ़ाने और चिकित्सा क्षेत्र में सुधार लाने के लिए रणनीतियाँ विकसित करता है।
  • ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940: CDSCO ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 को लागू किया है, जिसके तहत औषधियों की बिक्री और उत्पादन का विनियमन किया जाता है। यह अधिनियम औषधियों और चिकित्सा उपकरणों के मानकों की स्थापना करता है और सुनिश्चित करता है कि वे उपभोक्ताओं की सुरक्षा के अनुरूप हों।

CDSCO द्वारा दवाओं की गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया

दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी ड्रग रेगुलेटर FDA और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी मानकों को ध्यान में रखा जाता है। जिसमे गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP), क्लिनिकल ट्रायल्स आदि शामिल होते हैं। भारतीय औषधि नियामक, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO), हर महीने कुछ दवाओं का चयन करता है जिनकी गुणवत्ता की जांच की जाती है। जांच कई चरणों में की जाती है, जिसमें निम्नलिखित प्रक्रियाएँ शामिल हैं:

  • दस्तावेज़ और लेबलिंग की जांच: पहले चरण में, दवा के सभी दस्तावेज़ों की जांच की जाती है, जिसमें एक्सपायरी डेट, लेबलिंग जानकारी और अन्य आवश्यक विवरण शामिल होते हैं। यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी जानकारी सटीक और पूर्ण है।
  • विजुअल इंस्पेक्शन: दवा के पैकेजिंग और उपस्थिति की भौतिक जांच की जाती है। इस चरण में यह देखा जाता है कि दवा में किसी प्रकार की क्षति, दाग या रंग परिवर्तन नहीं है।
  • सैम्पलिंग एनालिसिस: CDSCO के विभिन्न कार्यालयों से दवाओं के सैंपल एकत्र किए जाते हैं और उन्हें प्रयोगशालाओं में भेजा जाता है। यहां, दवाओं का परीक्षण मानकों के अनुसार किया जाता है।
  • माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्टिंग: यह जांच की जाती है कि दवा में बैक्टीरिया, फंगस या अन्य सूक्ष्मजीव नहीं हैं। इस चरण का उद्देश्य दवा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • स्टेबिलिटी स्टडी: यह अध्ययन निर्धारित करता है कि दवा का प्रभाव लंबे समय तक कैसे बना रहता है। इसमें विभिन्न परिस्थितियों में दवा के प्रभावों का मूल्यांकन किया जाता है।
  • गुणवत्ता आश्वासन: अंत में, गुणवत्ता आश्वासन टीम यह सुनिश्चित करती है कि दवा सभी निर्धारित मानकों पर खरी उतर रही है। यदि कोई कमी पाई जाती है, तो उसे रिपोर्ट किया जाता है और आवश्यक सुधार किए जाते हैं।

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के बारे में

  • ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 भारत में एक महत्वपूर्ण कानून है जो दवाओं और कॉस्मेटिक्स के आयात, उत्पादन, वितरण और बिक्री को नियंत्रित करता है।
  • इस अधिनियम का उद्देश्य दवाओं और कॉस्मेटिक्स की सुरक्षा, प्रभावशीलता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
  • यह अधिनियम दवाओं और कॉस्मेटिक्स को उनके उपयोग के आधार पर विभाजित करता है, निर्माण, वितरण और बिक्री के लिए लाइसेंसिंग की आवश्यकता होती है, और कुछ वस्तुओं के लिए भारत में बिक्री से पहले पंजीकरण आवश्यक है।
  • यह अधिनियम दवाओं और कॉस्मेटिक्स की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता के मानक निर्धारित करता है। इसके अंतर्गत केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य औषधि नियामक प्राधिकरणों को निरीक्षण, परीक्षण और उत्पाद नमूनाकरण के माध्यम से इन मानकों को बनाए रखने का अधिकार दिया गया है।
  • इसके अलावा, यह अधिनियम प्रयोगात्मक दवाओं और कॉस्मेटिक्स के क्लिनिकल ट्रायल के प्रबंधन की निगरानी करता है, जिसमें नियामक निकायों से अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया, नैतिक मानकों का पालन करने और किसी भी प्रतिकूल घटनाओं और परिणामों की दस्तावेज़ीकरण और रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है।
  • अधिनियम जाली, मिलावटी या गलत लेबल वाली दवाओं और कॉस्मेटिक्स के उत्पादन, बिक्री या वितरण के लिए दंड का प्रावधान करता है।

UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न: भारत सरकार दवा कंपनियों द्वारा पेटेंट किए जाने से चिकित्सा के पारंपरिक ज्ञान की रक्षा कैसे कर रही है? (2019)

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