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Chandipura Virus

चर्चा में क्यों:

हाल ही में, गुजरात में चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) के कारण 13+ बच्चों की मृत्यु हो गयी। Chandipura Virus के 29 केसों में 26 गुजरात में सामने आए हैं, जबकि 2 राजस्थान और एक मध्य प्रदेश में मिला है। कुल 15 में से 13 मौतें गुजरात में हुई हैं।

Chandipura Virus क्या हैं?

Chandipura Virus एक RNA वायरस है जो Rhabdoviridae परिवार का सदस्य है, जिसमें रेबीज वायरस भी शामिल है। Chandipura Virus, जिसे चांदीपुरा वेसिकुलोवायरस (CHPV) भी कहा जाता है। यह बीमारी मुख्य रूप से 9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। यह ग्रामीण इलाकों में अधिक देखी जाती है।

Chandipura Virus का मुख्य कारण संक्रमित सैंडफ्लाई (रेत मक्खी) के काटने से होता है। फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाई (Phlebotomine Sandfly) और फ्लेबोटोमस पापाटासी (Phlebotomus Papatasi) जैसी Sandfly (रेत मक्खी) की कई प्रजातियां, और एडीज एजिप्टी (जो डेंगू का भी वाहक है) जैसी कुछ मच्छर प्रजातियां CHPV की वाहक मानी जाती हैं।

सैंडफ्लाई (रेत मक्खी) आमतौर पर शाम के समय और रात में सक्रिय होती हैं। Chandipura Virus इन कीड़ों (रेत मक्खी और कुछ मच्छर) की लार में रहता है। जब ये कीड़े काटते हैं, तो वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है और यह वायरस हमारे दिमाग तक पहुँच जाता है तथा दिमाग में सूजन पैदा कर सकता है, जिसे एन्सेफलाइटिस (Encephalitis) कहते हैं।

Chandipura Virus की पहचान:

  • 1965 में, महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव में अचानक तेज बुखार, सिरदर्द और उल्टी जैसी समस्याओं से ग्रस्त लोगों के मामले सामने आए। इन लक्षणों की जांच के बाद, वैज्ञानिकों ने एक नए वायरस की खोज की, जिसे Chandipura Virus नाम दिया गया।
  • 2003 में जून से अगस्त के बीच, भारत के आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में Chandipura Virus से 329 बच्चे बीमार हुए और उनमें से 183 की मौत हो गई। 2004 में गुजरात राज्य में भी कुछ बच्चों में यह बीमारी देखी गई और उनमें से कुछ की मौत हो गई।
  • यह वायरस मुख्य रूप से भारत के मध्य भाग में फैला है, खासकर गाँवों और आदिवासी इलाकों में, जहाँ रेतीली मक्खियाँ ज्यादा होती हैं।
  • बारिश के मौसम में यह बीमारी ज्यादा फैलती है, क्योंकि इस समय रेतीली मक्खियों की संख्या बढ़ जाती है।

Chandipura Virus के लक्षण:

Chandipura Virus के लक्षण तेज़ी से बिगड़ सकते हैं, इसलिए इसकी जल्दी पहचान और इलाज ज़रूरी है। इसके मुख्य लक्षण निम्न हैं-

तेज़ बुखार (high fever): अचानक तेज़ बुखार होना इसका पहला संकेत हो सकता है।

सिरदर्द (Headache): बुखार के साथ अक्सर तेज सिरदर्द होता है।

उल्टी (Vomit): जी मिचलाना और उल्टी होना आम लक्षण हैं।

दौरे (Tour): गंभीर मामलों में, खासकर बच्चों को, दौरे पड़ सकते हैं।

मानसिक स्थिति में बदलाव (Change in mental status): भ्रम, चिड़चिड़ापन या होश में बदलाव देखा जा सकता है।

दिमागी बुखार (Encephalitis): दिमाग में सूजन आ जाती है, जिससे गंभीर दिमागी समस्याएं हो सकती हैं। Encephalitis के बाद संक्रमण अक्सर तेजी से बढ़ता है , जिसके कारण अस्पताल में भर्ती होने के 24-48 घंटों के भीतर मृत्यु हो सकती है।

Chandipura Virus कैसे फैलता है?

Chandipura Virus मुख्यतः तीन तरीकों से फैलता है:

  1. कीट के काटने से (Insect bites): Sandfly (रेत मक्खी) के काटने से यह वायरस सबसे ज्यादा फैलता है।
  2. जानवरों से (From Animals): कुछ जानवर इस वायरस के वाहक हो सकते हैं, लेकिन इस पर अभी शोध जारी है।
  3. मौसम के कारण (Due to weather): खास मौसम में रेत मक्खियों की संख्या बढ़ने से इस वायरस के फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है।

Chandipura Virus का इलाज:

फिलहाल चांदीपुरा वायरस का कोई खास इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है। इसलिए, इसके लक्षणों को पहचानकर ही बचाव किया जा सकता है। यह वायरस बहुत तेजी से फैलता है, इसलिए लक्षण दिखते ही इलाज शुरू करना जरूरी है।

रोकथाम के उपाय (Preventive measures):

  • अस्पताल में भर्ती (Admitted to hospital): गंभीर लक्षण होने पर, खासकर बच्चों को, अस्पताल में भर्ती करना जरूरी हो सकता है।
  • पानी की कमी पूरी करना (make up for water shortage): उल्टी होने पर शरीर में पानी की कमी को पूरा करना बहुत जरूरी है।
  • बुखार की दवा (fever medicine): बुखार कम करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
  • दौरे की दवा (seizure medicine): दौरे रोकने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
  • गहन देखभाल (intensive care): गंभीर दिमागी समस्या होने पर मरीज को गहन देखभाल की जरूरत होती है।
Chandipura Virus से बचाव के उपाय:
  • कीटनाशक का इस्तेमाल (use of pesticides): रेत मक्खियों से बचने के लिए मच्छर भगाने वाली क्रीम, लोशन या कॉइल का इस्तेमाल करें।
  • पूरी बाजू के कपड़े पहनें (wear full sleeve clothes): शाम के समय और रात में पूरी बाजू के कपड़े पहनें ताकि रेत मक्खियाँ आपको काट न सकें।
  • मच्छरदानी का इस्तेमाल (use of mosquito net): सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
  • घर और आसपास सफाई (cleaning house and surroundings): अपने घर और आसपास के इलाकों में साफ-सफाई रखें और पानी जमा न होने दें, ताकि रेत मक्खियाँ पनप न सकें।
  • सरकार की मदद (government help): सरकार को चाहिए कि वो लोगों को इस वायरस के बारे में जानकारी दे और बचाव के तरीके बताए।

इन उपायों से रेत मक्खियों की संख्या कम होगी और Chandipura Virus के फैलने का खतरा भी कम होगा।

Sandfly (रेत मक्खी) 

Sandfly, जिन्हें रेत मक्खियाँ या पट्टा मक्खियाँ भी कहा जाता है, Psychodidae परिवार की छोटी मक्खियाँ होती हैं, जो मच्छर से भी छोटी होती हैं। ये अक्सर गाँवों और जंगलों में पाई जाती हैं। ये मक्खियाँ लीशमैनियासिस, बार्टोनेलोसिस और पैपटासी (Leishmaniasis, bartonellosis and papiasis) बुखार जैसी बीमारियों के वाहक के रूप में जानी जाती हैं। आमतौर पर ये मक्खियाँ ज़मीन से 3 फीट ऊपर नहीं उड़तीं, लेकिन इस बार इन्हें छतों और ऊँची जगहों पर भी देखा गया है।

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