विषय सूची
- प्रारंभिक जीवन
- महत्वपूर्ण युद्ध
- मुग़लों के साथ युद्ध
- शासन और नीतियां
- युद्ध रणनीति
- उत्तराधिकारी
- बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ’s)
- पिछली परीक्षाओं में पूछें गए प्रश्न
- जन्म और बचपन – छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। शिवनेरी दुर्ग या शिवनेरी किला, भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे के जुन्नर गांव के पास स्थित एक ऐतिहासिक किला है। उनके पिता शहाजीराज भोसले एक प्रसिद्ध सेनापति थे और माता जीजाबाई एक कुशल राजनीतिज्ञ और शिक्षिका थीं। शिवाजी महाराज का बचपन शिवनेरी और तोरणा किले में बीता।
- शिक्षा और प्रशिक्षण – जिजाबाई ने शिवाजी महाराज को शिक्षा और प्रशिक्षण दिया। उन्होंने उन्हें रामायण, महाभारत, नीतिशास्त्र और राजनीतिशास्त्र जैसे विषयों की शिक्षा दी। शिवाजी महाराज को युद्ध कला, घुड़सवारी, तलवारबाजी और तीरंदाजी का भी प्रशिक्षण दिया गया।
- युवा वीरता के किस्से –शिवाजी महाराज बचपन से ही वीर और साहसी थे। 16 साल की उम्र में उन्होंने तोरणा किला जीता। उन्होंने कई अन्य किलों पर भी विजय प्राप्त की।
- शिवाजी का स्वराज का सपना – शिवाजी महाराज ने मुगलों और अन्य विदेशी शक्तियों से भारत को मुक्त करने और “स्वराज” की स्थापना का सपना देखा।
युद्ध | वर्ष | विरोधी | परिणाम | शासक |
तोरणा | 1946 / 1647 | बीजापुर | शिवाजी महाराज की जीत | शिवाजी महाराज vs आदिलशाह |
प्रतापगढ़ | 1659 | बीजापुर | शिवाजी महाराज की जीत | शिवाजी महाराज vs आदिलशाह सेनापति अफ़ज़ल खान |
पुरंदर की संधि | 1665 | मुगल | शिवाजी महाराज और मुगलों के बीच संधि | शिवाजी महाराज vs औरंगजेब |
सूरत की लूट | 1664, 1670 | मुगल | शिवाजी महाराज की जीत | शिवाजी महाराज vs औरंगजेब |
सिंहगढ़ | 1670 | मुगल | शिवाजी महाराज की जीत, तानाजी मालुसरे शहीद | शिवाजी महाराज vs औरंगजेब |
रायगढ़ | 1674 | मुगल | शिवाजी महाराज की जीत | शिवाजी महाराज vs औरंगजेब |
मुगलों के साथ युद्ध
शिवाजी महाराज और मुगलों के बीच युद्ध 1657 में शुरू हुआ जब शिवाजी ने मुगल क्षेत्रों में छापेमारी शुरू की। मुगलों ने नसीरी खान को भेजा, जिसने अहमदनगर में मराठा सेना को हराया।
प्रमुख युद्ध:
- 1657 में शिवाजी का पहली बार मुगलों से संघर्ष हुआ। इसमें मराठा सेना को पीछे हटना पड़ा।
- अफजल खां बीजापुर का सेनापति था जो शिवाजी को समाप्त करने के उद्देश्य से प्रतापगढ़ के जंगल में अकेले सन्धि का प्रस्ताव रखा था और यहाँ पर शिवाजी ने बघनखे की सहायता से शिवाजी ने अफजल खां का वध किया।
- 1664 में शिवाजी ने सूरत की प्रथम लूट की। इस लूट से इन्हें लगभग 1 करोड़ रुपये की सम्पत्ति प्राप्त हुई।
- 1665 में औरंगजेब ने शिवाजी का दमन के लिए राजा जयसिंह को नियुक्त किया।
- राजा जयसिंह ने शिवाजी के अनेक क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया और अन्ततः 11 जून 1665 को राजा जयसिंह और शिवाजी के बीच पुरन्दर की सन्धि हुयी।
- इस समझौते के अनुसार, मराठों को कई किले मुगलों को सौंपने पड़े और शिवाजी, औरंगज़ेब से आगरा में मिलने के लिए सहमत हुए। शिवाजी ने अपने पुत्र संभाजी को भी आगरा भेजने के लिए तैयार हो गए।
- जब शिवाजी वर्ष 1666 में आगरा में मुगल सम्राट से मिलने गए, तो मराठा योद्धा को लगा कि औरंगज़ेब ने उनका अपमान किया है जिससे वे दरबार से बाहर आ गए।
- जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर बंदी बना लिया गया।
- उसके बाद शिवाजी और उनके पुत्र का आगरा से मुग़ल सेना को चकमा देकर फ़रार हो गये।
- इसके बाद वर्ष 1670 तक मराठों और मुगलों के बीच शांति बनी रही।
- मुगलों द्वारा संभाजी को दी गई बरार की जागीर उनसे वापस ले ली गई थी।
- इसके जवाब में शिवाजी ने चार महीने की छोटी सी अवधि में मुगलों के कई क्षेत्रों पर हमला कर उन्हें वापस ले लिया। शिवाजी ने अपनी सेना रणनीति के माध्यम से दक्षिण और पश्चिमी भारत में भूमि का एक बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया।
शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक –
6 जून 1674 को, शिवाजी महाराज का रायगढ़ में राज्याभिषेक हुआ था। यह एक ऐतिहासिक घटना थी जिसने मराठा साम्राज्य की स्थापना को चिह्नित किया। इस भव्य समारोह में देश भर के कई राजा, रानी, और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए थे।
उपाधि –
- शिवाजी को 6 जून, 1674 को रायगढ़ में मराठों के राजा के रूप में ताज पहनाया गया।
- इन्होंने छत्रपति, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत और हैंदव धर्मोधारक की उपाधि धारण की थी।
मृत्यु –
- 3 अप्रैल 1680 को, शिवाजी महाराज का 50 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी मृत्यु मराठा साम्राज्य के लिए एक बड़ा झटका थी।
शासन और नीतियाँ –
- प्रशासनिक संरचना
- स्वराज्य: शिवाजी ने “स्वराज्य” की अवधारणा दी, जिसका अर्थ था स्व-शासन, जिसका उद्देश्य था स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उन्हें सहायता प्रदान करना। इस विकेन्द्रीकृत दृष्टिकोण ने कुशल प्रशासन को संभव बनाया और स्थानीय मुद्दों पर त्वरित प्रतिक्रियाएँ दी।
- अष्टप्रधान मंडल: अष्टप्रधान मंडल, या आठ मंत्रियों की परिषद, शिवाजी के प्रशासन का एक महत्वपूर्ण विचार था। प्रत्येक मंत्री को एक विशिष्ट विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी, जैसे वित्त, विदेशी मामले, न्याय, और रक्षा। इस विभाजन ने सरकार की विशेषज्ञता और कुशल कार्यप्रणाली को सुनिश्चित किया।
- राजस्व प्रशासन
- भू-राजस्व प्रणाली: शिवाजी ने एक समर्थ और उचित भू-राजस्व प्रणाली लागू की, जिसे “रैयतवारी” कहा जाता था। इस प्रणाली के अनुसार, किसानों को उनकी भूमि का पूर्ण स्वामित्व माना जाता था, जिन्हें अपनी कृषि उपज का निश्चित प्रतिशत राजस्व के रूप में देना था। इस दृष्टिकोण ने कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया और कृषक समुदाय को स्थिरता प्रदान की।
- कराधान सुधार: शिवाजी ने अपनी प्रजा के भोज को कम करने के लिए विभिन्न कराधान सुधार किए। उन्होंने तीर्थयात्रा और बेगार जैसे अन्यायपूर्ण कार्यों को समाप्त किया और व्यापार और वाणिज्य पर उचित कर लगाए। इन कदमों से आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिला और उनके राज्य में समृद्धि को बढ़ावा मिला।
- सैन्य प्रशासन
- सुसंगठित सेना: शिवाजी ने एक प्रभावी सेना का निर्माण किया, जिसे “मराठा नौसेना और पैदल सेना” के रूप में जाना जाता है। उन्होंने सेना को अच्छी तरह से अनुशासित प्रशिक्षण, उच्च गुणवत्ता के हथियार और रणनीतिक योजना प्रदान करके मजबूत बनाया, जिससे उनकी सेना निर्देशक विरोधियों पर काबू पाने में सफल रही।
- नौसैनिक शक्ति: नौसैनिक शक्ति के महत्व को समझते हुए शिवाजी ने कोंकण तट पर एक प्रबल नौसैनिक बेड़ा स्थापित किया। इस बेड़े ने व्यापार मार्गों की सुरक्षा, तटीय क्षेत्रों की रक्षा और अपने प्रभाव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- न्याय प्रणाली और नागरिक प्रशासन
- न्यायिक सुधार: शिवाजी ने एक उचित और कुशल न्यायिक प्रणाली की स्थापना की, जिसे “हिंदवी स्वराज्य” के नाम से जाना जाता है। इस प्रणाली ने कानून के शासन और निष्पक्षता पर बल दिया, जिससे सभी को न्याय तक समान पहुंच प्रदान की गई। जमीनी स्तर पर विवादों को सुलझाने के लिए “न्यायालय” के नाम से जानी जाने वाली स्थानीय अदालतों स्थापित की गईं।
- स्थानीय शासन: शिवाजी ने पंचायतों या ग्राम परिषदों की एक प्रणाली शुरू की, जिसने स्थानीय शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शिवाजी महाराज के प्रशासन के कुछ अन्य प्रमुख पहलू
प्रशासनिक सुधार:
- विकेंद्रीकृत शासन:
- शिवाजी महाराज ने एक विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली स्थापित की थी जिसमें राज्य को प्रांतों में विभाजित किया गया था, और प्रत्येक प्रांत में एक प्रधान होता था जो स्थानीय मामलों का प्रबंधन करता था।
- इस प्रणाली ने स्थानीय समुदायों को अधिक शक्ति और स्वायत्तता प्रदान की, जिससे उन्हें अपने मामलों में अधिक भागीदारी मिली।
- स्थानीय सशक्तिकरण:
- उन्होंने ग्राम स्वराज की अवधारणा को लागू किया, जिसके तहत प्रत्येक गांव में एक ग्राम सभा होती थी जो गांव के मामलों का प्रबंधन करती थी।
- इस प्रणाली ने स्थानीय लोगों को अपने गांवों के विकास और शासन में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया।
रणनीतिक किलेबंदी:
- रणनीतिक स्थानों पर किलों का निर्माण:
- शिवाजी महाराज ने राज्य की रक्षा के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर कई किलों का निर्माण किया।
- इन किलों ने दुश्मन सेनाओं को राज्य में प्रवेश करने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- सैन्य अड्डों और प्रशासनिक केंद्रों के रूप में किले:
- इन किलों का उपयोग न केवल सैन्य अड्डों के रूप में किया जाता था, बल्कि वे प्रशासनिक केंद्र भी थे।
- किलों से आसपास के क्षेत्रों का प्रशासन और नियंत्रण किया जाता था।
व्यापार और वाणिज्य:
- बाजारों की स्थापना:
- शिवाजी महाराज ने राज्य में कई बाजारों की स्थापना की ताकि व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा दिया जा सके।
- इन बाजारों ने किसानों और कारीगरों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए एक स्थान प्रदान किया।
- उद्योगों को बढ़ावा:
- उन्होंने राज्य में विभिन्न उद्योगों को बढ़ावा दिया, जैसे कि कपड़ा उद्योग, कृषि उद्योग और धातुकर्म उद्योग।
- इन उद्योगों ने राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- व्यापार मार्गों को सुविधाजनक बनाना:
- उन्होंने व्यापार मार्गों को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए कई उपाय किए।
- उन्होंने व्यापारियों को करों और शुल्कों से छूट भी प्रदान की।
बुनियादी ढांचे का विकास:
- सड़कों, पुलों और जल प्रबंधन प्रणालियों का निर्माण:
- शिवाजी महाराज ने राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया।
- उन्होंने राज्य में कई सड़कों, पुलों और जल प्रबंधन प्रणालियों का निर्माण किया।
- इन बुनियादी ढांचे के विकास ने राज्य में कनेक्टिविटी, व्यापार और समग्र विकास को बढ़ावा दिया।
कला और साहित्य:
- मराठी साहित्य और संस्कृति का संरक्षण:
- शिवाजी महाराज मराठी साहित्य और संस्कृति के संरक्षक थे।
- उन्होंने मराठी भाषा के विकास और प्रचार के लिए कई प्रयास किए।
- उन्होंने कई विद्वानों और कवियों को भी संरक्षण दिया।
- ऐतिहासिक खातों का संरक्षण:
- उन्होंने राज्य के इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए कई प्रयास किए।
- उन्होंने कई ऐतिहासिक ग्रंथों और अभिलेखों को भी संरक्षित किया।
राजनयिक संबंध:
- क्षेत्रीय शक्तियों के साथ संबंधों का निर्माण:
- शिवाजी महाराज ने क्षेत्रीय शक्तियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे।
- उन्होंने कई संधियों और गठबंधनों पर हस्ताक्षर किए।
- इन संबंधों ने राज्य की सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण
युद्ध रणनीति –
युद्ध के तरीके:
- गुरिल्ला युद्ध: शिवाजी महाराज गुरिल्ला युद्ध के लिए प्रसिद्ध थे। यह रणनीति दुश्मन को छापामार हमले करने, पहाड़ी इलाकों का फायदा उठाने और घात लगाकर हमला करने पर आधारित थी।
- गतिशीलता: शिवाजी महाराज की सेना गतिशील थी। वे घोड़ों पर सवार होते थे और जल्दी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते थे।
- नौसेना: शिवाजी महाराज ने एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया। उन्होंने समुद्र तट पर किले बनाए और व्यापारिक जहाजों से कर वसूल किया।
- गुप्तचर: शिवाजी महाराज के पास एक कुशल गुप्तचर तंत्र था। वे दुश्मन की योजनाओं और गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करते थे।
रणनीति:
- भौगोलिक ज्ञान: शिवाजी महाराज को महाराष्ट्र के भूगोल का गहन ज्ञान था। उन्होंने इसका उपयोग अपनी रणनीति बनाने के लिए किया।
- आश्चर्य: शिवाजी महाराज अक्सर दुश्मन पर आश्चर्यजनक हमले करते थे।
- मनोवैज्ञानिक युद्ध: शिवाजी महाराज मनोवैज्ञानिक युद्ध का उपयोग करते थे। वे दुश्मन को डराने और हतोत्साहित करने के लिए प्रचार करते थे।
- जनसमर्थन: शिवाजी महाराज को जनता का समर्थन प्राप्त था। लोगों ने उन्हें अपना नेता माना और उनकी सेना में शामिल हुए।
उत्तराधिकारी –
- उनके दो पुत्र थे – संभाजी और राजाराम।
- संभाजी महाराज शिवाजी महाराज के उत्तराधिकारी बने।
- संभाजी महाराज के बाद राजाराम महाराज मराठा साम्राज्य के शासक बने।
- राजाराम महाराज के बाद उनके पुत्र शिवाजी द्वितीय महाराज गद्दी पर बैठे।
- शिवाजी द्वितीय महाराज की मृत्यु के बाद उनकी सौतेली माँ ताराबाई ने मराठा साम्राज्य की रानी के रूप में शासन किया।
- ताराबाई के बाद उनके पुत्र राजाराम द्वितीय महाराज मराठा साम्राज्य के शासक बने।
- राजाराम द्वितीय महाराज के बाद उनके पुत्र शाहूजी महाराज मराठा साम्राज्य के शासक बने।
बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ’s):
1. शिवाजी महाराज का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर – शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था।
2. शिवाजी महाराज के माता-पिता कौन थे?
उत्तर – शिवाजी महाराज के पिता शाहजी भोसले थे, जो बीजापुर सल्तनत के सेनापति थे। उनकी माता जीजाबाई थीं, जो एक महान भक्त और वीरांगना थीं।
3. शिवाजी महाराज ने किस राज्य की स्थापना की?
उत्तर – शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की स्थापना की।
4. शिवाजी महाराज की राजधानी क्या थी?
उत्तर – शिवाजी महाराज की राजधानी रायगढ़ थी।
5. शिवाजी महाराज की उपाधि क्या थी?
उत्तर – शिवाजी महाराज की उपाधि “छत्रपति” थी।
6. शिवाजी महाराज की मृत्यु कब और कहाँ हुई थी?
उत्तर – शिवाजी महाराज की मृत्यु 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ किले में हुई थी।
7. शिवाजी महाराज को “हिंदू स्वराज” का संस्थापक क्यों कहा जाता है?
उत्तर – शिवाजी महाराज को “हिंदू स्वराज” का संस्थापक कहा जाता है क्योंकि उन्होंने मुगलों और अन्य मुस्लिम शासकों से हिंदुओं की रक्षा के लिए मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी।
8. शिवाजी महाराज की युद्ध नीति क्या थी?
उत्तर – शिवाजी महाराज की युद्ध नीति “गनीमी कावा” थी, जिसका अर्थ है “गुरिल्ला युद्ध”।
9. शिवाजी महाराज की कुछ प्रमुख उपलब्धियां क्या हैं?
उत्तर – शिवाजी महाराज की कुछ प्रमुख उपलब्धियां हैं:
- उन्होंने मुगलों और अन्य मुस्लिम शासकों से हिंदुओं की रक्षा के लिए मराठा साम्राज्य की स्थापना की।
- उन्होंने “गनीमी कावा” नामक एक प्रभावी युद्ध नीति विकसित की।
- उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्ध जीते, जैसे कि तोरणा, प्रतापगढ़, विशालगढ़, और पन्हाळा।
- उन्होंने मराठा नौसेना का निर्माण किया।
- उन्होंने एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की।
10. शिवाजी महाराज आज भी क्यों प्रासंगिक हैं?
उत्तर – शिवाजी महाराज आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि वे साहस, वीरता, नेतृत्व, और राष्ट्रवाद के प्रतीक हैं। वे हमें सिखाते हैं कि हमें अपने देश और धर्म की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
पिछली परीक्षाओं में पूछें गए प्रश्न –
प्रश्न – शिवाजी को छत्रपति की उपाधि कब प्राप्त हुई?
(अ) 1680 ई.
(ब) 1674 ई.
(स) 1665 ई.
(द) 1657 ई.
उत्तर – (ब) 1674 ई.
प्रश्न – मराठों द्वारा “चौथ” और “सरदेशमुखी” के संग्रह का सबसे महत्वपूर्ण कारण _______ था?
(अ) आय के स्रोत को बढ़ाना
(ब) अपने प्रदेशों का विस्तार करना
(स) अपने राजनीतिक प्रभाव को मजबूत करना
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (अ) आय के स्रोत को बढ़ाना
प्रश्न – निम्नलिखित में से कौन सा साहित्यकार बुंदेला शासक छत्रसाल के दरबार में और शिवाजी और औरंगजेब के दरबार में था?
(अ) केशव दास
(ब) पद्माकर
(स) भूषण
(द) बालिकृष्ण शर्मा
उत्तर – (स) भूषण
प्रश्न – पंत प्रतिनिधि और हुकुमत पन्हा नामक दो नए पदों की अवधि किसके ‘अष्टप्रधान मंडल’ में जोड़ी गई?
(अ) छत्रपति संभाजी
(ब) छत्रपति राजाराम
(स) पेशवा बालाजी विश्वनाथ
(द) पेशवा बाजीराव प्रथम
उत्तर – (स) पेशवा बालाजी विश्वनाथ
प्रश्न – निम्नलिखित कथनों में से कौन सा कथन सही नहीं है?
(अ) अहिल्याबाई होल्कर ने काशीविश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।
(ब) नानासाहेब पेशवा ने सुंदरनारायण मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।
(स) नानासाहेब ने महेश्वर का दुर्ग बनवाया था।
(द) नाना फड़नवीस ने भीमशंकर मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ करवाया था।
उत्तर – (स) नानासाहेब ने महेश्वर का दुर्ग बनवाया था।
प्रश्न – छत्रपति शिवाजी किस मराठा घराने से सम्बन्धित हैं?
(अ) होल्कर
(ब) गायकवाड़
(स) सिंधिया
(द) भोंसले
उत्तर – (द) भोंसले
प्रश्न – मराठा शासन में ‘सरदेशमुखी’ क्या था?
(अ) पेशवा के समकक्ष पदनाम
(ब) मराठा शासन के दौरान एक सिक्का
(स) राजस्व पर लगाया गया कर
(द) छत्रपति शिवाजी को दिया गया नाम
उत्तर – (स) राजस्व पर लगाया गया कर
प्रश्न – मराठा प्रशासन के तहत, प्रधानमंत्री के लिए शीर्षक था:
(अ) पेशवा
(ब) सुमंत
(स) पंडित राव
(द) सर-ए-नौबत
उत्तर – (अ) पेशवा
प्रश्न – मुग़ल सेना के विरुद्ध लड़ने वाले सिंहगढ़ किले के सफल बचाव में किस मराठा योद्धा की मृत्यु हुई?
(अ) चिमाजी अप्पा
(ब) बाजी प्रभु देशपांडे
(स) तानाजी मालुसरे
(द) बाजी पसालकर
उत्तर – (स) तानाजी मालुसरे
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