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चीन का मंगल मिशन 2028 में लॉन्च के लिए तैयार, 600 ग्राम मंगल मिट्टी वापस लाएगा

चर्चा मे क्यों ?

  • हाल ही में चीन ने घोषणा की है की वह अपने मंगल मिशन की समयसीमा को दो साल पहले ही लांच करेगा ।अब चीन 2028 में तियानवेन-3 मिशन को मंगल ग्रह की ओर भेजने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
  • यह घोषणा चीन के मंगल मिशन के मुख्य डिज़ाइनर लियू जिज़ोंग द्वारा, दूसरी अंतरराष्ट्रीय डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन कॉन्फ्रेंस के दौरान हुई।
  • इस मिशन के तहत लगभग 600 ग्राम मंगल ग्रह की मिट्टी को पृथ्वी पर वापस लाने की योजना है।
  • यह मिशन पहले 2030 में भेजा जाना था, लेकिन चीन ने इसे दो साल पहले ही 2028 में भेजने का निर्णय लिया है।
  • चीन, अमेरिका और सोवियत संघ के बाद मंगल ग्रह पर उतरने वाला तीसरा देश बन गया।
  • इससे पूर्व चीन का ‘यिंगहुओ -1′(Yinghuo-1) मंगल मिशन, जो एक रूसी अंतरिक्षयान द्वारा समर्थित था, वर्ष 2012 में अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा से बाहर नहीं निकलने के कारण तथा इसके प्रशांत महासागर के ऊपर विघटित होने के पश्चात् विफल हो गया था।

 चीन का तियानवेन-3 मिशन (China’s Tianwen-3 Mission):

चीन का तियानवेन-3 मिशन (China’s Tianwen-3 mission) चीन द्वारा मंगल ग्रह से नमूने (samples) वापस लाने के उद्देश्य से विकसित किया गया मिशन है। यह मिशन चीन के अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मुख्य बिंदु (Key Points):

  • मिशन का उद्देश्य (Objective of the mission) – मंगल ग्रह की सतह से चट्टानों और मिट्टी के नमूने वापस लाना। और 2045 तक मंगल ग्रह पर मानव बेस स्थापित करने के चीन के दीर्घकालिक लक्ष्य को भी गति दे सकता है।
  • समय सीमा (Time frame) – यह मिशन 2028 मे लांच होगा और 2031 तक मंगल से नमूने लाने की योजना का हिस्सा है।
  • तकनीकी विकास (Technological development) – मिशन में उन्नत लैंडर, रोवर, और ऑर्बिटर जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग (International cooperation)– तियानवेन-3 मिशन को चीन का राष्ट्रीय प्रयास बताया जा रहा है
  • वैज्ञानिक महत्त्व (Scientific importance)– मंगल के नमूनों का अध्ययन करके वैज्ञानिक सौरमंडल की उत्पत्ति और मंगल पर जीवन की संभावना का पता लगाएंगे।

लैंडिंग स्थलों का चयन (Selection of landing sites): ऐसे स्थलों को लक्षित किया गया है जहां जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हो सकती हैं, जैसे कि तलछटी या हाइड्रोथर्मल प्रणालियाँ।

संभावित लैंडिंग स्थल (Potential landing sites):

  • अमाज़ोनिस प्लैनिटिया
  • यूटोपिया प्लैनिटिया (जहां तियानवेन-1 रोवर उतरा था)
  • क्राइस प्लैनिटिया

चयन के कारण (Reasons for selection): इन स्थलों का चयन वैज्ञानिक महत्व, इंजीनियरिंग की दृष्टि से उपयुक्तता और स्थानीय वायुमंडलीय परिस्थितियों में सुरक्षा के आधार पर किया गया है।

तियानवेन-3 मिशन के तहत होंगे दो अलग-अलग लॉन्च (Tianwen-3 mission will have two separate launches):

  • लॉन्च की संख्या (Number of launches): तियानवेन-3 मिशन के तहत दो अलग-अलग लॉन्च किए जाएंगे।
  • रॉकेट (Rocket): दोनों लॉन्च के लिए लॉन्ग मार्च 5 रॉकेट का उपयोग होगा।
  • पहला लॉन्च (First launch): इसमें लैंडर और एसेंट वाहन भेजा जाएगा।
  • दूसरा लॉन्च (Second launch): इसमें ऑर्बिटर और रिटर्न मॉड्यूल भेजा जाएगा।
  • तकनीकी आधार (Technological basis): मिशन तियानवेन-1 रोवर की सफल लैंडिंग में इस्तेमाल की गई तकनीकों पर आधारित होगा।
  • संभावित उन्नतियाँ (Possible advancements): मिशन में एक हेलीकॉप्टर और छह पैरों वाला रोबोट शामिल हो सकता है, जो मंगल की विभिन्न जगहों से नमूने इकट्ठा करेगा।

 चीन के अन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम (Other space programs of China):

  • चांग ई-5 (Chang’e-5): चंद्रमा (Moon)
  • तियानहे (Tianhe): चीन का स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन

विभिन्न मंगल मिशन (Various Mars missions):

  1. नासा के मिशन:
  • मार्स इंसाइट: मंगल पर लैंडर।
  • क्यूरियोसिटी और पर्सिवेरेंस: मंगल पर रोवर्स।
  • मार्स रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर, मार्स ओडिसी, और MAVEN: मंगल के चारों ओर परिक्रमा करने वाले ऑर्बिटर्स।
  1. एक्सोमार्स रोवर (2021): यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का मिशन।
  2. तियानवेन-1: चीन का मंगल मिशन (2021)
  3. होप मार्स मिशन: संयुक्त अरब अमीरात का पहला अंतरग्रहीय मिशन (2021)
  4. मंगलयान (MOM): भारत का मंगल ऑर्बिटर मिशन (2013)
  5. मार्स 2 और मार्स 3 (1971): सोवियत संघ के मिशन।

भारत का मंगल मिशन (India’s Mars Mission):

  • भारत का मंगल मिशन, जिसे मंगलयान (Mangalyaan) कहा जाता है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा लॉन्च किया गया पहला अंतरग्रहीय मिशन है।
  • इसे 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था और यह 24 सितंबर 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया।
  • इस मिशन ने भारत को दुनिया का पहला ऐसा देश बना दिया, जिसने अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया।

मुख्य बिंदु (Key Points):

  • लॉन्च तिथि (Launch Date): 5 नवंबर 2013
  • कक्षा में प्रवेश (Orbit): 24 सितंबर 2014
  • लॉन्च वाहन (Launch Vehicle): पीएसएलवी-सी25 (PSLV-C25)
  • लॉन्च स्थल (Launch Site): सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा

उद्देश्य (Objective):

  • मंगल की सतह और वातावरण का अध्ययन करना।
  • मंगल ग्रह पर मीथेन गैस और जीवन के संभावित संकेतों की खोज।
  • मंगल की सतह और उसकी संरचना के बारे में जानकारी इकट्ठा करना।

तियानवेन-3 मिशन: चुनौतियाँ (Tianwen -3 Mission: Challenges)

तियानवेन-3 मिशन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जैसे मंगल की सतह से नमूने एकत्र करना, एसेंट और कक्षा मिलन।

  • ग्रह सुरक्षा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाएगा ताकि मंगल और पृथ्वी दोनों को किसी भी प्रकार की संदूषण से बचाया जा सके।
  • चीन के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता मिशन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  • चीन की राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) वैश्विक वैज्ञानिकों के साथ नमूना विश्लेषण और डेटा साझा करने के लिए सहयोग करने की योजना बना रहा है।
  • चीन के चांग’e-5 और चांग’e-6 चंद्रमा मिशनों की सफलता के बाद, जिनसे अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान के लिए मूल्यवान नमूने प्राप्त हुए, तियानवेन-3 के लिए भी इसी तरह के सहयोग की उम्मीद है।
  • भविष्य में, तियानवेन-3 अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर भविष्य की मंगल अनुसंधान स्थलों की नींव रखने का काम करेगा और तकनीकी चुनौतियों को पार करने में मदद करेगा।

मंगल ग्रह (Mars):

आकार और दूरी (Size and distance):

  • मंगल सूर्य से चौथे स्थान पर है और सौरमंडल का दूसरा सबसे छोटा ग्रह है।
  • इसका आकार पृथ्वी के व्यास का लगभग आधा है।

पृथ्वी से समानता (Similarities to Earth):

  • मंगल सूर्य की परिक्रमा 687 पृथ्वी दिनों में पूरी करता है।
  • मंगल के दिन की अवधि लगभग 6 घंटे है, जो पृथ्वी के एक दिन (23.9 घंटे) के करीब है।
  • मंगल का अक्षीय झुकाव 25 डिग्री है, जो पृथ्वी (4 डिग्री) के समान है।
  • मंगल ग्रह पर मौसम की विविधता है, लेकिन ये मौसम पृथ्वी की तुलना में लंबे समय तक रहते हैं क्योंकि मंगल सूर्य की परिक्रमा में अधिक समय लेता है।
  • मंगल के दिन को ‘सोल’ कहा जाता है, जो ‘सौर दिवस’ का संक्षिप्त रूप है।

अन्य विशेषताएँ (Similarities to Earth):

  • मंगल की लाल रंगत उसकी सतह में मौजूद लोहे के ऑक्सीकरण (जंग) और धूल के कणों के कारण है, जिससे इसे ‘लाल ग्रह’ कहा जाता है।
  • मंगल पर सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी, ओलंपस मॉन्स (Olympus Mons) स्थित है।
  • मंगल के दो छोटे उपग्रह हैं: फोबोस और डीमोस।

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