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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यूरोप यात्रा

विषय सूची (Table of Content)

  1. शी जिनपिंग के फ्रांस दौरे के मायने
  2. यात्रा का समय: यूरोप, चीन और अमेरिका के बीच तनाव
  3. चीन और अमेरिका के बीच प्रतिस्पर्धा
  4. यूरोप और चीन का हालिया सहयोग 
  5. चीन तथा यूरोप के मध्य व्यापार 
  6. चीन और फ्रांस के 60 साल: मजबूत व्यापार संबंध
  7. चीन-तिब्बत विवाद (China-Tibet dispute)
  8. यूरोप और चीन: दोस्ती के साथ-साथ मतभेद भी

हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग फ्रांस और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे का जश्न मनाने के लिए फ्रांस पहुंचे। शी जिनपिंग 2 दिन के फ्रांस दौरे पर हैं। उनकी यात्रा के दौरान पेरिस में तिब्बतियों ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए। तिब्बत की आजादी की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के काफिले को ‘फ्री तिब्बत’ के झंडे दिखाए। साथ ही उइगर मुस्लिम समुदाय ने भी जिनपिंग पर मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाकर उनके फ्रांस दौरे का विरोध किया। वो अपनी इस यात्रा के बाद हंगरी और सर्बिया भी जाएंगे।

शी जिनपिंग के फ्रांस दौरे के मायने –

  • शी जिनपिंग ने अपनी यात्रा के पहले पड़ाव में फ्रांस की राजधानी पेरिस में रके, जहां उन्होंने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और यूरोपियन कमीशन की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन से मुलाकात की। हालांकि, जिनपिंग को पेरिस में तिब्बत की आजादी की मांग करने वालों का विरोध भी झेलना पड़ा।
  • पिछले साल 2023 में, पांच से सात अप्रैल के बीच, मैक्रों ने उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ चीन की यात्रा की थी। इन यात्राओं का उद्देश्य यूरोपियन यूनियन और चीन के बीच व्यापार को बढ़ाना था।

यात्रा का समय: यूरोप, चीन और अमेरिका के बीच तनाव

  • शी जिनपिंग की यूरोप यात्रा पश्चिमी देशों के साथ चीन के नाजुक रिश्तों का परीक्षण करेगी।
  • यह संभावना है कि अमेरिका के सहयोगियों को चीन से दूर करने के लिए शी इस यात्रा का इस्तेमाल करेंगे।
  • शी की यात्रा का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कोसोवो युद्ध के दौरान बेलग्रेड में चीनी दूतावास पर नाटो द्वारा किए गए बम विस्फोट की 25वीं वर्षगांठ के साथ मेल खाता है।
  • इस बमबारी में तीन चीनी पत्रकार मारे गए थे, जिसके कारण चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया था।
  • यह देखना बाकी है कि शी की यात्रा के दौरान क्या होता है, लेकिन यह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना होगी।

बेलग्रेड यात्रा:

  • यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की जानका ओर्टेल का मानना है कि शी जिनपिंग की बेलग्रेड यात्रा यह जानने का एक तरीका है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय कानून को कितनी गंभीरता से लेता है।
  • ओर्टेल का कहना है कि नाटो की बमबारी अन्य देशों के लिए एक संकेत है कि अमेरिका नियमों से ऊपर है।
  • चीनी सरकार बेलग्रेड बमबारी का उपयोग पश्चिमी पाखंड और आक्रामकता को उजागर करने के अवसर के रूप में करती रही है।

चीन और अमेरिका के बीच प्रतिस्पर्धा:

  • बीजिंग के विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और अर्थशास्त्र संस्थान के डीन तू झिनक्वान का मानना है कि अमेरिका खुद को वैश्विक नेता मानता है और चीन को एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखता है जो उसकी शक्ति को चुनौती देता है।

यूरोप और चीन का हालिया सहयोग

  • यूरोपीय संघ (यूरोप के 27 देशों का समूह) चीन को “सहयोग के लिए भागीदार, आर्थिक प्रतिस्पर्धी और व्यवस्थागत प्रतिद्वंद्वी” के रूप में देखता है। ये शब्द थोड़े जटिल लग सकते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि यूरोप इस दुविधा में है कि चीन के साथ व्यापार के फायदों का लाभ उठाए या राष्ट्रीय सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और अपने उद्योगों के लिए खतरे को चुने।
  • कुछ समय पहले, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि यूरोप का ये नजरिया कामयाब नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि “यह ऐसे चौराहे पर गाड़ी चलाने जैसा है जहां लाल, पीली और हरी बत्ती एक साथ जल रही हों। ऐसे में गाड़ी कैसे चला सकते हैं?”
  • अब, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इन बत्तियों को हरी बत्ती की तरफ मोड़ना चाहते हैं।

चीन तथा यूरोप के मध्य व्यापार –

  • साल 2022 में, फ्रांस ने चीन को 4 बिलियन डॉलर के मानवीय, तकनीकी और उद्योगिक उत्पादों का निर्यात किया था, जिसमें हवाई जहाज, हेलिकॉप्टर, स्पेसक्राफ्ट, ट्रंक, केसेज, और ब्यूटी प्रोडक्ट्स शामिल थे।
  • इस निर्यात में 54 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी, जो कि पिछले 27 सालों में हो रही सालाना दर की सबसे बड़ी है। साल 1995 में फ्रांस से चीन को 2.7 बिलियन डॉलर के मानवीय उत्पादों का निर्यात हुआ था, जो कि साल 2022 में 25.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
  • इसी बीच, सर्बिया ने भी चीन को साल 2022 में 3 बिलियन डॉलर के मानवीय और उद्योगिक उत्पादों का निर्यात किया था, जिसमें कॉपर ओर, रिफाइंड कॉपर, और अन्य कच्ची धातुएं शामिल थे।
  • सर्बिया की इस एक्सपोर्ट में सालाना 36 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है, जो साल 2006 में 5 मिलियन डॉलर से बढ़कर साल 2022 में 1.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है।
  • चीन ने भी सर्बिया को 2022 में 47 बिलियन डॉलर के ब्रॉडकास्टिंग उपकरण, स्टीम ब्वायलर, और एयर पम्प इत्यादि का निर्यात किया था। यह साझेदारी सर्बिया को मध्य और पूर्वी यूरोप में चीन का पहला रणनीतिक साझेदार बनाती है।
  • हंगरी ने बेल्ट एंड रोड पहल के निर्माण में चीन का मुख्य सहयोगी बना है। हंगरी से चीन को निर्यात होने वाले प्रमुख उत्पादों में नेविगेशन उपकरण, कार, और कंप्यूटर शामिल हैं। साल 2022 में हंगरी ने चीन को 89 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया था। वहीं, चीन से हंगरी को निर्यात होने वाले प्रमुख उत्पादों में टेलीफोन, इलेक्ट्रिक बैटरी, और ब्रॉडकास्टिंग उपकरण शामिल हैं। चीन ने 2022 में हंगरी को 10.5 बिलियन डॉलर के सामान का एक्सपोर्ट किया था।
  • यूरोप और चीन के बीच व्यापार के संबंधों में विशेष उल्लेख करते हुए, एक रिपोर्ट का हवाला दिया जा सकता है जिसमें बताया गया है कि यूरोप रोजाना चीन को 600 मिलियन यूरो के मूल्य का सामान एक्सपोर्ट करता है, जबकि चीन यूरोप को 3 अरब यूरो के सामान भेजता है। इससे स्पष्ट होता है कि यूरोप के मुकाबले चीन उस पर ज्यादा निर्भर है।
  • चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यूरोप यात्रा का मुख्य उद्देश्य इस बात को बढ़ावा देना है कि इस संबंध में आगे कारोबार को विकसित किया जाए। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है क्योंकि यूरोप में बदलते हालात चीनी अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव डाल सकते हैं।Bottom of Form

चीन और फ्रांस के 60 साल: मजबूत व्यापार संबंध

चीन और फ्रांस ने 60 साल पहले राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। फ्रांस ऐसा करने वाला पहला बड़ा पश्चिमी देश था। तब से दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापार सहयोग का काफी विस्तार हुआ है। द्विपक्षीय व्यापार और निवेश लगातार बढ़ रहा है।

Image Credit- CGTN

  • फ्रांस यूरोपीय संघ में चीन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है। 2023 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 78.9 बिलियन डॉलर रहा।

Image Credit- CGTN

  • चीन भी एशिया में फ्रांस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है। पिछले साल के पहले आठ महीनों में, चीन में फ्रांस का वास्तविक निवेश सालाना आधार पर 105.6 प्रतिशत बढ़ा।
  • फ्रांस चीन में सबसे ज्यादा निवेश करने वाला यूरोपीय देश है। चीन में इसकी 2,000 से अधिक विदेशी निवेश वाली कंपनियां हैं जिनमें 300,000 से अधिक लोग कार्यरत हैं।

चीन के विशाल बाजार में 40 करोड़ मध्यमवर्गीय लोग हैं। सीसीआई पेरिस इले-डे-फ्रांस की उपाध्यक्ष सौमिया मालिनबाम के अनुसार, हाल के वर्षों में चीनी बाजार में खपत बढ़ने से फ्रांस के उपभोक्ता सामानों और सेवा उद्योगों के लिए नए अवसर पैदा हुए हैं।

चीनी निवेशकों का फ्रांस में भी स्वागत है, खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरी और ऊर्जा परिवर्तन के क्षेत्र में। फ्रांस में चीन के राजदूत लू शाये का कहना है कि हाई-एंड मैन्युफैक्चरिंग, आधुनिक सेवा उद्योगों, डिजिटल अर्थव्यवस्था और अन्य क्षेत्रों में चीन-फ्रांस सहयोग की अपार संभावनाएं हैं।

चीन-तिब्बत विवाद (China-Tibet dispute):

चीन और तिब्बत के बीच विवाद एक जटिल और लंबा इतिहास वाला मुद्दा है। सदियों से चीन तिब्बत पर अपना दावा करता रहा है, जबकि तिब्बत स्वतंत्रता चाहता है।

मुख्य बिंदु:

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
    • चीन का दावा है कि तिब्बत 13वीं शताब्दी से ही उसका हिस्सा रहा है।
    • 1912 में 13वें दलाई लामा ने तिब्बत को स्वतंत्र घोषित किया।
  • चीन का आक्रमण और 17 सूत्रीय समझौता:
    • 1950 में चीन ने तिब्बत पर आक्रमण किया और 8 महीने बाद कब्जा कर लिया।
    • 1951 में दलाई लामा ने 17 सूत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत तिब्बत चीन का स्वायत्त क्षेत्र बन गया।
    • दलाई लामा इस समझौते को मानते नहीं हैं, उनका कहना है कि यह दबाव में हस्ताक्षर किए गए थे।
  • विद्रोह और दलाई लामा का निर्वासन:
    • 1955 से तिब्बत में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हिंसक विद्रोह होने लगे।
    • 1959 में चीन ने दलाई लामा को बंधक बनाने की कोशिश की, जिसके बाद वे भारत भाग गए।
    • भारत सरकार ने उन्हें शरण दी।
  • निर्वासित सरकार (government in exile):
    • दलाई लामा ने भारत में निर्वासित तिब्बती सरकार की स्थापना की, जिसका मुख्यालय धर्मशाला में है।
    • इस सरकार का चुनाव दुनियाभर के तिब्बती शरणार्थी करते हैं।
    • चुने गए राष्ट्रपति को ‘सिकयोंग’ कहा जाता है।

विवाद के पहलू (aspects of the dispute):

  • स्वतंत्रता बनाम संप्रभुता (independence vs sovereignty):
    • तिब्बत स्वतंत्रता चाहता है, जबकि चीन इसे अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता है।
  • मानवाधिकार (human rights):
    • तिब्बती लोगों पर चीन द्वारा किए गए मानवाधिकार हनन के आरोप लगते हैं। चीन इन आरोपों को खारिज करता है।
  • धार्मिक स्वतंत्रता (religious freedom):
    • दलाई लामा बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता हैं। चीन पर धार्मिक स्वतंत्रता का दमन करने का आरोप है।

यूरोप और चीन: दोस्ती के साथ-साथ मतभेद भी

चीन और यूरोप के बीच संबंध जटिल हैं। वे व्यापार और निवेश के मामले में महत्वपूर्ण साझेदार हैं, लेकिन कई मुद्दों पर उनके बीच मतभेद भी हैं।

मित्रता के पहलू (aspects of friendship):

  • चीन और यूरोप दोनों ही वैश्विक शक्तियां हैं जिनके व्यापक आर्थिक और राजनीतिक हित हैं।
  • वे जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम करते हैं।
  • यूरोपीय संघ चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और चीन यूरोपीय संघ का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
  • चीन यूरोप में बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी में भारी निवेश कर रहा है।

मतभेदों के पहलू (Aspects of differences):

  • अर्थव्यवस्था (economy): चीन की अर्थव्यवस्था अब यूरोपीय संघ से काफी बड़ी है, जिससे शक्ति का संतुलन बदल गया है।
  • व्यापार (व्यापार): यूरोपीय संघ का मानना ​​है कि चीन अनुचित व्यापार प्रथाओं का उपयोग करता है, जैसे कि सब्सिडी और बौद्धिक संपदा का उल्लंघन।
  • मानवाधिकार (human rights): यूरोपीय संघ ने चीन में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता जताई है, खासकर उइगर मुसलमानों के इलाज को लेकर।
  • प्रौद्योगिकी (Technology): यूरोपीय संघ को डर है कि चीन 5G जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों पर हावी हो रहा है।

जर्मनी पर विशेष प्रभाव:

  • जर्मनी यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा सदस्य देश है और चीन के साथ उसके घनिष्ठ व्यापारिक संबंध हैं।
  • वोक्सवैगन जैसी जर्मन कंपनियों के लिए चीन एक महत्वपूर्ण बाजार है।
  • चीन से आयात पर यूरोपीय संघ के टैरिफ लगाने से जर्मन अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।

Disclaimer: The article may contain information pertaining to prior academic years; for further information, visit the exam’s “official or concerned website”.

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