चर्चा में क्यों?
हाल ही में दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में उठा फेंगल तूफान, चक्रवात में बदल गया है और अगले दो दिनों में तमिलनाडु तक पहुंचने की संभावना है।
- इस दौरान 75-80 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना।
संभावित चक्रवात ‘फेंगल’ की जानकारी (Information on potential cyclone ‘Fengal’):
- नामकरण और उत्पत्ति:
- संभावित चक्रवात ‘फेंगल’ का नाम सऊदी अरब द्वारा दिया गया है।
- यह बंगाल की खाड़ी से बना है।
- शुरुआत: यह प्रणाली 21 नवंबर को दक्षिण अंडमान सागर के पास चक्रवाती परिसंचरण के रूप में शुरू हुई।
- अनुमानित मार्ग: यह चक्रवात पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की दिशा में तमिलनाडु और श्रीलंका की ओर बढ़ने की संभावना है, और 26–27 नवंबर के आसपास तट से टकरा सकता है। इसके तट तक पहुँचने से पहले इसकी शक्ति कम होने की संभावना है।
- वर्षा का पूर्वानुमान: दक्षिणी तमिलनाडु में 25 से 27 नवंबर तक भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना है। केरल, रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश में भी मध्यम वर्षा हो सकती है।
- पिछले प्रभाव: यह चक्रवात अक्टूबर 2024 में ओडिशा को प्रभावित करने वाले चक्रवात ‘दाना’ के बाद बन रहा है।
तूफान का नाम ‘फेंगल‘ और इसका महत्व:
- नामकरण:
- सऊदी अरब द्वारा प्रस्तावित तूफान का नाम ‘फेंगल’ रखा गया है।
- यह एक अरबी शब्द है, जो सांस्कृतिक पहचान और भाषाई परंपरा का मिश्रण है।
- नामकरण पैनल:
- ‘फेंगल’ नाम वर्ल्ड मीटियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) के नामकरण पैनल द्वारा स्वीकृत किया गया है।
- यह नाम क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है।
चक्रवात (cyclone): मौसम विज्ञान में, चक्रवात एक ऐसी शक्तिशाली वायवीय प्रणाली होती है, जो कम वायुमंडलीय दबाव के केंद्र के चारों ओर घूमती है। यह हवाएँ भूमध्य रेखा के उत्तर में वामावर्त (anticlockwise) और दक्षिण में दक्षिणावर्त (clockwise) चलती हैं। चक्रवातों का निर्माण समुद्रों या अन्य बड़े जल निकायों के ऊपर होता है, जहाँ गर्म जल वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ऊर्जा प्रदान करता है।
चक्रवात कैसे बनते हैं (How cyclones are formed)?
चक्रवात के बनने की प्रक्रिया को समझने के लिए नीचे दिए गए चरणों को देखें:
- गर्म और आर्द्र हवा का ऊपर उठना: महासागर के ऊपर गर्म और आर्द्र हवा हल्की होती है, इस कारण यह ऊपर की ओर उठती है। इससे महासागर की सतह के पास हवा की कमी होती है, जिससे निम्न दबाव (Low Pressure) क्षेत्र बनता है।
- उच्च दबाव क्षेत्रों से हवा का आना: आसपास के उच्च दबाव क्षेत्रों से हवा इस निम्न दबाव क्षेत्र की ओर बहती है और गर्म हो जाती है, जिससे एक चक्र बनता है।
- गर्म हवा का निरंतर उन्नति और वाष्पन: गर्म हवा के निरंतर ऊपर उठने और वाष्पन प्रक्रिया के कारण, बादल और हवा का यह सिस्टम घूमने लगता है और बढ़ने लगता है।
- चक्रवात की आँख का बनना: जब हवा की गति तेज़ होती है, तो चक्रवात का केंद्र, जिसे चक्रवात की “आँख” कहते हैं, बनना शुरू होता है। यह क्षेत्र सबसे कम दबाव का होता है और यहाँ मौसम शांत और स्पष्ट होता है। ऊपर से उच्च दबाव वाली हवा इस क्षेत्र की ओर बहती है।
- तापीय तूफान और चक्रवात का गठन: जब हवा की गति 63 किमी/घंटा तक पहुँचती है, तो इसे ‘ट्रॉपिकल स्टॉर्म’ (उष्णकटिबंधीय तूफान) कहा जाता है। लेकिन जब हवा की गति 119 किमी/घंटा तक पहुँचती है, तब इसे ‘ट्रॉपिकल साइक्लोन’ (उष्णकटिबंधीय चक्रवात) कहा जाता है।
चक्रवात की विशेषताएँ:
- वायुमंडलीय दबाव: चक्रवातों के केंद्र में वायुमंडलीय दबाव कम होता है।
- हवाओं की दिशा: यह हवाएँ एक केंद्र के चारों ओर घुमती हैं, उत्तर में वामावर्त और दक्षिण में दक्षिणावर्त होती हैं।
- मौसम पर प्रभाव: चक्रवातों के कारण भारी बारिश, तूफान, और कभी-कभी बर्फबारी भी हो सकती है।
- ऊर्जा का प्रवाह: चक्रवात समुद्र से भारी मात्रा में ऊर्जा को वायुमंडल में ले जाते हैं, जिससे हिंसक तूफान और खराब मौसम उत्पन्न होता है।
चक्रवातों का प्रभाव अधिकतर समुद्री क्षेत्रों में होता है, लेकिन यह विषुवतीय पट्टी के अलावा अधिकांश हिस्सों में देखे जा सकते हैं।
चक्रवात के प्रकार (Types of cyclones):
चक्रवातों के दो मुख्य प्रकार होते हैं, जो उनकी अवस्थिति और उत्पत्ति के आधार पर वर्गीकृत किए जाते हैं:
- शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Temperate Cyclones)
- उत्पत्ति एवं प्रभाव क्षेत्र: शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात शीतोष्ण क्षेत्र (35° से 65° अक्षांश) में उत्पन्न होते हैं, जो मुख्यतः उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु के दौरान पाए जाते हैं। दक्षिणी गोलार्ध में, इनका प्रभाव अधिक रहता है क्योंकि यहाँ जलमंडल अधिक है और ये वर्ष भर उत्पन्न होते रहते हैं।
- आकार: ये चक्रवात अंडाकार, गोलाकार, अर्द्ध-गोलाकार या ‘V’ आकार के होते हैं, जिन्हें ‘निम्न गर्त’ या ‘ट्रफ’ भी कहा जाता है।
- उत्पत्ति: इनकी उत्पत्ति ठंडी और गर्म वायुराशियों के मिलने से होती है।
- गति: इन चक्रवातों की गति पश्चिम से पूर्व की ओर रहती है, और ये शीत ऋतु में अधिक सक्रिय होते हैं।
- मुख्य क्षेत्र:
- उत्तरी अटलांटिक महासागर
- भूमध्य सागर
- उत्तरी प्रशांत महासागर
- चीन सागर
- उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)
- उत्पत्ति एवं प्रभाव क्षेत्र: उष्ण कटिबंधीय चक्रवात मुख्य रूप से 5° से 30° उत्तर और 5° से 30° दक्षिणी अक्षांशों के बीच उत्पन्न होते हैं। ये चक्रवात गर्म महासागरों में बनते हैं और भूमध्य रेखा के पास, खासकर कर्क और मकर रेखाओं के बीच होते हैं।
- उत्पत्ति प्रक्रिया: ITCZ (इंटर-ट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन) के प्रभाव से, वायुदाब के निम्न केंद्र में पवनों का अभिसरण होता है और वे कोरिऑलिस बल के कारण वृत्ताकार मार्ग का पालन करते हुए ऊपर उठते हैं। इससे चक्रवात का निर्माण होता है।
- गति: इनकी गति सामान्यतः पूर्व से पश्चिम की ओर होती है, क्योंकि इन पर व्यापारिक पूर्वी पवनों का प्रभाव अधिक होता है।
- व्यक्तिगत गुण: ये चक्रवात बहुत ही विनाशकारी होते हैं, और कभी-कभी एक ही स्थान पर कई दिनों तक स्थिर रहते हैं, जिससे भारी बारिश होती है।
- मुख्य क्षेत्र:
- कैरेबियन
- चीन सागर
- हिंद महासागर
- ऑस्ट्रेलिया
चक्रवात का नामकरण (Naming of cyclones):
- चक्रीय आधार पर नामकरण: चक्रवातों का नाम देशों द्वारा एक पूर्व-निर्धारित सूची से चक्रीय आधार पर चुने जाते हैं, ताकि नामकरण व्यवस्थित और समान हो।
- क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (RSMC): विश्व में 6 RSMC और 5 TCWC चक्रवातों के परामर्श और नामकरण का कार्य करते हैं।
- IMD की भूमिका: IMD, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर सहित उत्तरी हिंद महासागर के लिए परामर्श और नामकरण प्रदान करने वाला उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (RSMC) है।
- सदस्य देश: IMD, WMO/ESCAP पैनल के तहत 13 देशों को सेवा प्रदान करता:
- बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, यमन।
- वर्तमान सूची में नाम: कुल 169 नामों की सूची है, जिनमें 13 नाम प्रत्येक सदस्य देश द्वारा दिए गए हैं।
- चक्रवात नामकरण की प्रक्रिया:
- चक्रवातों के नाम चयन में यह सुनिश्चित किया जाता है कि नामों का उच्चारण आसान हो, याद रखने में सरल हो, और सांस्कृतिक रूप से निष्पक्ष हो।
- नामों का चयन इस प्रकार किया जाता है कि वे विभिन्न क्षेत्रों और भाषाओं के बीच कोई विवाद उत्पन्न न करें और किसी का अपमान न हो।
चक्रवातों का प्रभाव (Effects of cyclones):
- तूफानी हवाएँ: चक्रवात के दौरान तेज़ हवाएँ चलती हैं, जो पेड़, इमारतों और इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुँचाती हैं। इससे जीवन का संकट बढ़ सकता है।
- भारी वर्षा: चक्रवात के साथ भारी बारिश होती है, जिससे बाढ़ आ सकती है। जलभराव से घर, सड़कें और कृषि भूमि प्रभावित हो सकती हैं।
- समुद्र का उफान: चक्रवात समुद्र की सतह को उठाकर लहरों को तेज़ कर देता है, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ और जलीय जीवन को खतरा होता है।
- आर्थिक नुकसान: चक्रवातों के कारण कृषि, उद्योग और निर्माण कार्यों में भारी नुकसान होता है। इससे आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है।
- मानव जीवन पर प्रभाव: चक्रवातों के कारण लोगों की जान को खतरा हो सकता है। घरों के गिरने, बिजली के तारों के गिरने और बाढ़ जैसी घटनाएँ जान-माल की हानि का कारण बन सकती हैं।
- पर्यावरण पर असर: चक्रवात के कारण प्राकृतिक पर्यावरण जैसे जंगल, वन्य जीवन और जल स्रोतों को भी नुकसान हो सकता है।
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