चर्चा में क्यों?
राजस्थान का आदिवासी समुदाय ‘भील प्रदेश’ (Bhil Pradesh) नामक एक नए राज्य की स्थापना की मांग कर रहा है। इस प्रस्तावित राज्य में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के 49 जिलों को मिलाया जाएगा, जिसमें राजस्थान के 33 जिलों में से 12 जिले शामिल होंगे।
भील समुदाय के सबसे बड़े समूह आदिवासी परिवार संस्था समेत 35 संगठनों ने मिलकर एक रैली का आयोजन किया। बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में आयोजित इस बैठक में मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से भी आदिवासी लोग शामिल हुए थे।
राजस्थान (Rajasthan) में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में जनजाति समुदाय का एक धड़ा लंबे समय से भील प्रदेश की मांग कर रहा है. इसके चलते भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) सहित कई सामाजिक-राजनीतिक संगठन इस मांग का सपोर्ट कर रहे है। इसमे 4 प्रदेशों के 42 जिलों के अनुसूचित क्षेत्रों को मिलाकर अलग भील प्रदेश बनाने की मांग कर रहे हैं।
आदिवासी परिवार संस्था (Adivasi Parivar Sanstha) की संस्थापक सदस्य मेनका डामोर (Maneka Damor) ने क्या कहा ?
मेनका डामोर रद कग आदिवासी परिवार संस्था की संस्थापक सदस्य मे से एक है उन्होंने कहा कि आदिवासी महिलाएं पंडितों के बताए अनुसार न चलें। आदिवासी परिवार में सिंदूर नहीं लगाते, मंगलसूत्र नहीं पहनते। आदिवासी समाज की महिलाएं-बालिकाएं शिक्षा पर फोकस करें। अब से सब व्रत-उपवास बंद कर दें।
बीएपी (BAP) सांसद राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) ने क्या कहा ?
भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) का इस मांग मे महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बांसवाड़ा (Banswara) से बीएपी के सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि Bhil Pradesh की मांग लंबे समय से चली आ रही है यह कोई नई मांग नहीं है । रोत ने कहा की इस मांग को लेकर हम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से संपर्क करेंगे ।
इन 4 राज्यों के कौन कौन से जिलों (districts) को शामिल किया गया है ?
- राजस्थान (Rajasthan) : बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालोर, सिरोही, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां, पाली।
- गुजरात (Gujarat) : अरवल्ली, महीसागर, दाहोद, पंचमहल, सूरत, बड़ोदरा, तापी, नवसारी, छोटा उदेपुर, नर्मदा, साबरकांठा, बनासकांठा, भरूच, वलसाड़।
- मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) : इंदौर, गुना, शिवपुरी, मंदसौर, नीमच, रतलाम, धार, देवास, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, अलीराजपुर।
- महाराष्ट्र (Maharashtra): नासिक, ठाणे, जलगांव, धुले, पालघर, नंदुरबार।
भील प्रदेश (Bhil Pradesh) :
पश्चिमी भारत (Western India) में एक अलग आदिवासी राज्य की मांग पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) जैसी क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा (regional parties) रखी गई थी। बीटीपी (BTP) का गठन 2017 में गुजरात (Gujarat)में हुआ था।
लेकिन इससे पहले भील समाज सुधारक (Bhil social reformer) और आध्यात्मिक नेता (spiritual leader) गोविंद गुरु ने पहली बार 1913 में आदिवासियों के लिए अलग राज्य की मांग उठाई थी।
मांगें (Demands):
- भील प्रदेश का गठन (Formation of Bhil Pradesh)
- आरक्षण में वृद्धि (Increase in reservation)
- रोजगार के अवसर (Employment opportunities)
- शैक्षिक सुविधाएं (Educational facilities)
- बेहतर स्वास्थ्य सेवा और पोषण (Better health care and nutrition)
- भूमि अधिकारों का संरक्षण (Protection of land rights)
सांसद राजकुमार रौत ने ट्वीट कर मानगढ़ (Mangarh) में आदिवासियों के बलिदान का जिक्र किया, क्या था मानगढ़ नरसंहार (Mangarh massacre)?
मानगढ़ नरसंहार 17 नवंबर 1913 को हुआ था, जब ब्रिटिश भारतीय सेना ने राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित मानगढ़ पहाड़ी पर एकत्र हुए भील आदिवासियों पर गोलियां चलाईं। इस घटना में सैकड़ों भील आदिवासियों की मौत हो गई थी।
यह नरसंहार निम्नलिखित कारणों से हुआ था (This massacre took place due to the following reasons):
- सामाजिक और आर्थिक शोषण (Social and economic exploitation): ब्रिटिश शासन और स्थानीय ज़मींदारों द्वारा भील आदिवासियों का सामाजिक और आर्थिक शोषण हो रहा था। भील आदिवासी समुदायों पर अत्यधिक कर (taxes) लगाए जा रहे थे, और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा था।
- गोविंद गुरु का नेतृत्व (Leadership of Govind Guru): गोविंद गुरु, एक समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी, ने भील समुदाय के अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया था। उन्होंने भील आदिवासियों को संगठित किया और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। गोविंद गुरु ने भील आदिवासियों को शराब छोड़ने (give up alcohol), सामाजिक बुराइयों से बचने (avoid social evils) और संगठित होने के लिए प्रेरित किया।
- असंतोष और विद्रोह (Discontent and Revolt): गोविंद गुरु के नेतृत्व में भील आदिवासियों ने ब्रिटिश शासन (against the British rule) और ज़मींदारों के अत्याचारों के खिलाफ (atrocities of the landlords) विद्रोह करना शुरू कर दिया। इस विद्रोह से ब्रिटिश शासन को खतरा महसूस हुआ, और उन्होंने इस आंदोलन को दबाने के लिए कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया।
- ब्रिटिश सेना का हमला (Attack by the British Army): ब्रिटिश अधिकारियों ने इस एकत्रीकरण को विद्रोह के रूप में देखा और इसे तुरंत दबाने का निर्णय लिया। 17 नवंबर 1913 को, ब्रिटिश भारतीय सेना ने मानगढ़ पहाड़ी पर गोलियां चलाईं, जिसमें सैकड़ों भील आदिवासियों की मौत हो गई।
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नये राज्यों के गठन के लिए संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions):
भारतीय संविधान में नए राज्यों के गठन के लिए स्पष्ट संवैधानिक प्रावधान हैं। इन प्रावधानों के तहत भारत के राज्यों की सीमाओं को पुनर्गठित (the boundaries of the states of India can be reorganized) किया जा सकता है, नए राज्य (new states) बनाए जा सकते हैं, और मौजूदा राज्यों को विभाजित या मिलाया (divided or merged) जा सकता है। ये प्रावधान निम्नलिखित हैं:
अनुच्छेद 2 (Article 2):
संसद का नया राज्य स्वीकार करने का अधिकार (Parliament’s right to admit a new state): संसद के पास यह अधिकार है कि वह विधि द्वारा किसी भी नए राज्य को संघ (Union) में शामिल कर सकती है। इसमें नए राज्यों का निर्माण करना भी शामिल है।
अनुच्छेद 3 (Article 3):
राज्यों का पुनर्गठन (Reorganization of States): संसद के पास यह अधिकार है कि वह विधि द्वारा निम्नलिखित कार्य कर सकती है:
- किसी भी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन करना।
- किसी भी राज्य का विभाजन करना या उसके क्षेत्र को कम करना।
- किसी भी राज्य के क्षेत्र में वृद्धि करना।
- दो या अधिक राज्यों या उनके किसी भाग को मिलाकर नया राज्य बनाना।
- किसी भी राज्य का नाम बदलना।
राज्य विधानमंडल की सहमति (Assent of State Legislature): संसद द्वारा किसी भी विधेयक को प्रस्तुत करने से पहले, जो अनुच्छेद 3 के तहत उल्लिखित किसी भी कार्य को करता है, राष्ट्रपति को संबंधित राज्य के विधानमंडल को उस विधेयक पर अपनी राय व्यक्त करने का अवसर देना चाहिए। हालांकि, राष्ट्रपति द्वारा दी गई समय सीमा के भीतर राय नहीं मिलने पर भी विधेयक को संसद में पेश किया जा सकता है।
विधायी प्रक्रिया (Legislative Process):
संविधान संशोधन की आवश्यकता नहीं (No need for Constitutional Amendment): नए राज्यों के गठन या मौजूदा राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करने के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता नहीं होती। यह संसद द्वारा एक साधारण विधेयक (ordinary bill) के माध्यम से किया जा सकता है।
राष्ट्रपति की सहमति (President’s Assent): संसद में विधेयक पारित होने के बाद, इसे राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करनी होती है। राष्ट्रपति की सहमति के बाद यह कानून बन जाता है और नया राज्य या सीमाओं का परिवर्तन प्रभावी हो जाता है।
भील समुदाय (Bhil community):
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