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नेपाल में बाढ़ का कहर

चर्चा में क्यों?

नेपाल इन दिनों भारी बारिश और बाढ़ की विनाशकारी स्थिति का सामना कर रहा है। अब तक बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में आर्थिक और सामाजिक स्तर पर बहुत नुकसान हुआ। काठमांडू में इस पैमाने पर बाढ़ पहले कभी नहीं देखी गई थी, जिससे नेपाल में स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

मुख्य बिंदु:

  • प्रभावित क्षेत्र: नेपाल में आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन ने देशभर में व्यापक तबाही मचाई। इस आपदा ने नेपाल के पहाड़ी और मैदानी इलाकों को अपनी चपेट में लिया। मध्य और पूर्वी नेपाल के अधिकांश हिस्से, खासकर काठमांडू घाटी, भक्तपुर, ललितपुर, धाडिंग, मकवानपुर और पूर्वी नेपाल इससे प्रभावित हुए। बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया, जिससे बड़े पैमाने पर जलभराव हुआ।
  • प्रभाव: नेपाल में बाढ़ के कारण मानवीय, संपत्ति और बुनियादी ढांचे का बहुत नुकसान हुआ। इसमें लगभग 3,626 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। मकानों के ढहने और बाढ़ में बहने के कारण सैकड़ों परिवार बेघर हो गए। 322 से अधिक मकान पूरी तरह से ध्वस्त हुए और 16 पुल बाढ़ में बह गए। (As on: 30/09/2024)
  • यह बाढ़ नेपाल के लिए हाल के वर्षों की सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक मानी जा रही है।

नेपाल में आई बाढ़ के मुख्य कारण

  • इस वर्ष लगातार हो रही भारी बारिश बाढ़ का मुख्य कारण है। साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश के पैटर्न में बदलाव आया है, जो इसका मुख्य कारण है। इसी के साथ नेपाल की भौगोलिक स्थिति और अतिक्रमण जैसे मानवीय कारक नेपाल में बाढ़ आने का मुख्य कारण है।

नेपाल सरकार द्वारा राहत और बचाव कार्य

  • नेपाल के जल तथा मौसम विज्ञान विभाग द्वारा नियमित रूप से बाढ़ बुलेटिन जारी किए गए। नेपाल सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए विशेष दलों का गठन किया। साथ ही नेपाल सरकार ने आपदा राहत के लिए एक फ्लड रिलीफ फंड की स्थापना की, जिसके माध्यम से प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

बाढ़ क्या है (What is Flood)?

  • बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसमें अत्यधिक मात्रा में पानी किसी क्षेत्र की भूमि को पूरी तरह से ढक लेता है, जो सामान्य रूप से सूखी रहती है।
  • यह जलभराव विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे कि भारी बारिश, बर्फ पिघलने, तूफान या समुद्री लहरों की वृद्धि। जब पानी का प्रवाह किसी नदी, झील, या अन्य जलस्रोत के किनारों को पार कर जाता है और आसपास के इलाके में फैल जाता है, तो इसे बाढ़ कहा जाता है।
  • बाढ़ की घटनाएं आमतौर पर उन क्षेत्रों में होती हैं जो नदियों के पास स्थित होते हैं या जहां भारी वर्षा होती है।
  • विशेष: भारत बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है, जिसमें असम, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सबसे अधिक प्रभावित राज्य हैं। इंडो-गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान, विशेष रूप से उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में, बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र हैं।

बाढ़ के प्रकार

बाढ़ की घटनाएँ विभिन्न प्रकार की होती हैं, जो विभिन्न कारणों और पर्यावरणीय परिस्थितियों के आधार पर वर्गीकृत की जा सकती हैं। यहाँ बाढ़ के मुख्य प्रकारों का वर्णन किया गया है:

  • नदियों की बाढ़ (River Floods): यह तब होती है जब नदियों में पानी का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे वे अपने किनारों से बाहर निकलकर आसपास के क्षेत्रों में फैल जाती हैं।
  • तटीय बाढ़ (Coastal Floods): यह बाढ़ समुद्र या महासागर के किनारे के क्षेत्रों में होती है, जो समुद्र के जल स्तर में वृद्धि या चक्रवातों के कारण उत्पन्न होती है।
  • सामुद्रिक बाढ़ (Estuarine Floods): यह तब होती है जब समुद्र का पानी नदियों के मुहाने में बहकर उन क्षेत्रों में प्रवेश करता है।
  • शहरी बाढ़ (Urban Floods): शहरी बाढ़ मुख्यतः शहरीकरण और शहरी विकास के कारण होती है, जिसमें खराब जल निकासी और जल संग्रहण की प्रणाली की कमी होती है। भारी बारिश के दौरान, जल निकासी व्यवस्था पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे पानी जमा हो जाता है।
  • आधिकारिक बाढ़ (Flash Floods): यह अचानक और तीव्र बाढ़ होती है, जो कई कारणों जैसे बादल फटना, तात्कालिक भारी बारिश, या बांधों के टूटने से उत्पन्न होती है। ये बाढ़ मिनटों या घंटों के भीतर आती हैं और बहुत विनाशकारी हो सकती हैं।
  • बर्फबारी बाढ़ (Snowmelt Floods): यह तब होती है जब बर्फ पिघलने के कारण नदियों का जल स्तर बढ़ता है। यह आमतौर पर वसंत के मौसम में होता है, जब तापमान अचानक बढ़ता है।

बाढ़ आने के कारण

बाढ़ के कारणों को मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: प्राकृतिक कारण और मानवजनित कारण। इन दोनों प्रकार के कारण बाढ़ की घटनाओं को जन्म देते हैं, जो कई क्षेत्रों में गंभीर तबाही का कारण बन सकते हैं।

  • प्राकृतिक कारण:
    • बाढ़ का सबसे प्रमुख कारण अत्यधिक वर्षा है। जब किसी क्षेत्र में बारिश की मात्रा सामान्य स्तर से कहीं अधिक हो जाती है, तो नदियाँ, झीलें और अन्य जलस्रोत ओवरफ्लो हो जाते हैं, जिससे बाढ़ आती है।
    • बादल फटना एक तीव्र मौसम घटना है, जिसमें एक ही स्थान पर बहुत अधिक वर्षा होती है। यह आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में होता है और इसके परिणामस्वरूप अचानक बाढ़ आ जाती है। हिमालय क्षेत्र में ऐसे घटनाएँ आम हैं, जो बाढ़ की स्थिति को गंभीर बना देती हैं।
    • समुद्री चक्रवात भारी वर्षा और समुद्र की लहरों के उछाल के साथ आते हैं, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। भारत के पूर्वी तट पर चक्रवातों का प्रभाव अधिक होता है, जो बाढ़ लाते हैं।
    • ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालयी ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। जब ये ग्लेशियर पिघलते हैं, तो अधिक मात्रा में जल निकलता है, जो नदियों के जलस्तर को बढ़ा देता है और बाढ़ की स्थिति पैदा करता है।
    • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मौसम की मौसमी चरित्रता पर पड़ता है, जिससे अधिक तीव्र और अनियमित वर्षा होती है। यह प्राकृतिक घटनाएँ जैसे तूफान और चक्रवातों को भी बढ़ाती हैं, जिससे बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो जाती है।
  • मानवजनित कारण
    • वनों की कटाई से भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है। वृक्ष जड़ें वर्षा के पानी को सोखने में मदद करती हैं; जब ये वृक्ष गायब हो जाते हैं, तो पानी सतह पर बहने लगता है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
    • शहरीकरण और बुनियादी ढाँचे के विकास में जल निकासी प्रणाली की अनदेखी की जाती है। जब जल निकासी व्यवस्था खराब होती है, तो पानी जमा होकर बाढ़ की स्थिति पैदा कर सकता है, जैसे हाल ही के बेंगलुरु में हुई बाढ़।
    • बाढ़ मैदानों पर अतिक्रमण के कारण प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली बाधित होती है। जब लोग बाढ़ मैदानों में बसने लगते हैं, तो बाढ़ के समय पानी का प्रवाह रुकता है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।

बाढ़ के व्यापक प्रभाव

बाढ़ का प्रभाव समाज और पर्यावरण पर गहरा और विविध होता है। इसे नकारात्मक और सकारात्मक दोनों दृष्टिकोण से समझा जा सकता है।

  • नकारात्मक प्रभाव
    • बाढ़ के दौरान भारी वर्षा और जलस्तर बढ़ने से हजारों लोगों की जानें चली जाती हैं। घरों और संपत्ति को भी नुकसान पहुँचता है, जिससे लोग बेघर हो जाते हैं।
    • बाढ़ के दौरान जल स्रोतों का प्रदूषित होना जलजनित बीमारियों जैसे हैजा, टाइफाइड, और दस्त के मामलों में वृद्धि कर सकता है। यह स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है।
    • बाढ़ के कारण बुनियादी ढांचे को व्यापक क्षति होती है, जिसमें सड़कें, पुल, और अन्य निर्माण शामिल हैं। इससे उद्योग और व्यवसाय ठप हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक नुकसान होता है।
    • बाढ़ भूमि की कटाई, मिट्टी के क्षरण, और पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश का कारण बनती है। यह कृषि उत्पादन और जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • सकारात्मक प्रभाव
    • बाढ़ के दौरान जल का संचय होता है, जो भूजल स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। यह दीर्घकालिक जल संसाधनों के लिए फायदेमंद होता है।
    • बाढ़ के पानी में मिट्टी के पोषक तत्व होते हैं, जो खेतों में फैलकर कृषि भूमि की उर्वरता को बढ़ाते हैं। इस प्रक्रिया से फसलों का उत्पादन बढ़ सकता है।

भारत की बाढ़ के लिए तैयारी से संबंधित विभिन्न संस्थाएं और नीतियां

  • बाढ़ के प्रबंधन के लिए नए तटबंधों का निर्माण किया जा रहा है, जल निकासी चैनलों का विस्तार किया जा रहा है, और बाढ़ के बाद पुनर्वास के लिए त्वरित कार्रवाई योजनाएँ बनाई गई हैं।
  • भारत के प्रमुख नदियों पर बाढ़ की भविष्यवाणी करने के लिए एक फ्लड फोरकास्टिंग नेटवर्क स्थापित किया गया है, जिससे समय पर सूचनाएँ प्राप्त होती हैं और उचित कदम उठाए जा सकते हैं।
  • राष्ट्रीय जल नीति (2012) इस नीति में बाढ़ प्रबंधन, जलाशयों के संचालन, और प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली को पुनर्स्थापित करने पर विशेष जोर दिया गया है, जिससे दीर्घकालिक समाधान की दिशा में कदम उठाए जा सकें।
  • केंद्रीय जल आयोग (CWC) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ये संस्थाएं बाढ़ प्रबंधन के लिए नीतियों और योजनाओं को विकसित करती हैं, जो विभिन्न आपदा प्रबंधन उपायों को सुनिश्चित करने में मदद करती हैं।

भारत में बाढ़ प्रबंधन की चुनौतियाँ

  • जटिल भौगोलिक संरचना: भारत की पहाड़ी और अनियमित भौगोलिक संरचना बाढ़ प्रबंधन को कठिन बनाती है। इन क्षेत्रों में पहुंचना और निगरानी करना चुनौतीपूर्ण होता है, जिससे आपदा प्रबंधन के उपायों को लागू करना मुश्किल हो जाता है।
  • तकनीकी समस्याएँ: आधुनिक तकनीकों का उपयोग बाढ़ प्रबंधन में मददगार हो सकता है, लेकिन इन तकनीकों को लागू करना हमेशा आसान नहीं होता है। इसके अलावा, विभिन्न राज्य सरकारों में एकरूपता की कमी और नीति में भिन्नताएँ भी समस्या पैदा करती हैं।
  • नई बाढ़-प्रवण क्षेत्रों का उदय: जलवायु परिवर्तन और मानवजनित गतिविधियों के कारण नए बाढ़-प्रवण क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं। यह चुनौती अधिकारियों को नए क्षेत्रों में प्रभावी योजनाएं विकसित करने की आवश्यकता को दर्शाती है।

UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न PYQ

प्रश्न) पिछले कुछ वर्षों में भारी बारिश के कारण शहरी बाढ़ की आवृत्ति बढ़ रही है। शहरी बाढ़ के कारणों पर चर्चा करते हुए, ऐसी घटनाओं के दौरान जोखिम को कम करने के लिए तैयारियों के तंत्र पर प्रकाश डालें। [200 शब्द]

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