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हरिकेन हेलेन तूफान: अमेरिका में तबाही का तांडव

Mains GS II – राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन और योजना

चर्चा में क्यों?

इस वर्ष सितंबर 2024 में अमेरिका के दक्षिणपूर्वी हिस्सों में ‘हरिकेन हेलेन‘ नामक तूफान ने भारी तबाही मचाई। यह चक्रवाती तूफान 27 सितंबर को फ्लोरिडा तट से टकराया और अपनी ताकतवर हवाओं, बवंडर और बाढ़ के कारण पांच राज्यों में तबाही का कारण बना। 30 सितंबर 2024 के अनुसार राष्ट्रीय तूफान केंद्र ने चेतावनी दी है कि हेलेन अब उत्तर-उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में टेनेसी घाटी के ऊपर मंडरा रहा है। इस प्राकृतिक आपदा से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।

हरिकेन हेलेन तूफान: मुख्य बिंदु

  • हेलेन तूफान को श्रेणी 4 के तूफान के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • हेलेन तूफान की हवाएं 225 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलीं।
  • इससे फ्लोरिडा, जॉर्जिया, नॉर्थ कैरोलिना, साउथ कैरोलिना, और वर्जीनिया जैसे राज्यों में भारी तबाही हुई।
  • पश्चिमी उत्तरी कैरोलिना में भूस्खलन और बाढ़ के कारण कई प्रमुख अंतरराज्यीय सड़कें बंद कर दी गई।
  • तूफान के कारण करीब 45 लाख लोगों के घरों में बिजली की आपूर्ति बाधित हुई।
  • फाइनेंशियल कंपनी मूडी के मुताबिक, तूफान के कारण देश को 2.51 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
  • तूफान के कारण 12 राज्यों में लगभग 1.20 करोड़ लोग प्रभावित हुए।
  • मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह तूफान पिछले 100 सालों का सबसे बड़ा तूफान है।
  • इससे पहले शक्तिशाली तूफान 2017 में इरमा, 2005 में विल्मा, और 1995 में ओपल आए थे।

हेलेन तूफान की उत्पत्ति और विकास की प्रक्रिया

  • हेलेन तूफान की उत्पत्ति 2024 में पश्चिमी कैरेबियन सागर के एक निम्न दबाव क्षेत्र से हुई थी, जिसे पहली बार 17 सितंबर को देखा गया।
  • 24 सितंबर तक यह निम्न दबाव एक उष्णकटिबंधीय तूफान में बदल गया, जिसे हेलेन नाम दिया गया।
  • युकाटन प्रायद्वीप के पास यह तूफान धीरे-धीरे और शक्तिशाली होता गया। 25 सितंबर को यह एक गंभीर तूफान में परिवर्तित हो गया।
  • 26 सितंबर को मैक्सिको की खाड़ी में प्रवेश करते हुए श्रेणी 4 की तीव्रता तक पहुंच गया। अपनी अधिकतम तीव्रता पर यह तूफान फ्लोरिडा के बिग बेंड क्षेत्र में 220 किमी/घंटा की रफ्तार से भूस्खलन करता हुआ आगे बढ़ा, जिससे व्यापक तबाही हुई।

हरिकेन क्या है?

हरिकेन (Hurricane) एक प्रकार का उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) होता है, जो अटलांटिक महासागर और पूर्वी प्रशांत महासागर के गर्म जल क्षेत्रों में विकसित होता है। यह शक्तिशाली चक्रवाती तूफान अत्यधिक तेज़ हवाओं, भारी बारिश, और तटीय क्षेत्रों में ऊँची समुद्री लहरों (तूफानी लहरें) के साथ आता है, जिससे व्यापक विनाश हो सकता है।

  • हरिकेन की प्रमुख विशेषताएँ: हरिकेन में हवाओं की गति 74 मील प्रति घंटे या इससे अधिक होती है। यह तूफान धरती के घूर्णन के कारण उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की उल्टी दिशा में घूमता है। हरिकेन के केंद्र में एक शांत क्षेत्र होता है जिसे “आँख” कहा जाता है, जिसके चारों ओर सबसे तेज़ हवाएं होती हैं। हरिकेन तटीय क्षेत्रों में बाढ़, पेड़ उखाड़ने और इमारतों को नष्ट करने की क्षमता रखता है।
  • यह तूफान तब बनता है जब महासागर का पानी गर्म हो, और नमी से भरी हवाएं ऊपर की ओर उठती हैं, जिससे निम्न दबाव क्षेत्र विकसित होता है और यह चक्रवात बनकर हरिकेन का रूप ले लेता है।

हरिकेन हेलेन जैसा तूफान कैसे बनता है?

हेलेन जैसा तूफान बनने की प्रक्रिया कई चरणों में होती है और इसके लिए विशेष वातावरणीय स्थितियाँ आवश्यक होती हैं। तूफान बनने के मुख्य चरण इस प्रकार हैं:

  • समुद्र की गर्मी: उष्णकटिबंधीय तूफान बनने के लिए समुद्र की सतह का तापमान लगभग 26.5°C या उससे अधिक होना चाहिए। गर्म पानी हवा को ऊपर की ओर धकेलता है, जिससे उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में दबाव का एक निम्न क्षेत्र विकसित होता है।
  • निम्न दबाव क्षेत्र: गर्म पानी वाष्पित होकर हवा में नमी बढ़ाता है, जिससे हवा ऊपर उठती है। जब हवा ऊँचाई पर पहुँचकर ठंडी होती है, तो यह संघनित होकर बादल और गरज वाले तूफान पैदा करती है। ये तूफान निम्न दबाव वाले क्षेत्र को और मजबूत बनाते हैं।
  • घूर्णन (Coriolis प्रभाव): धरती के घूमने के कारण निम्न दबाव वाला क्षेत्र घूमना शुरू करता है। उत्तरी गोलार्ध में यह घड़ी की उल्टी दिशा में घूमता है। यह घूर्णन प्रक्रिया धीरे-धीरे तेज़ होकर तूफान का रूप ले लेती है।
  • वातावरणीय स्थितियाँ: तूफान बनने के लिए हवा की गति में ऊपर की ओर बहुत ज्यादा बदलाव नहीं होना चाहिए, जिसे “वर्टिकल विंड शियर” कहा जाता है। अगर विंड शियर कम हो, तो तूफान का विकास स्थिर और शक्तिशाली हो सकता है।
  • ऊर्जा का संचय: जैसे-जैसे तूफान समुद्र की गर्मी से ऊर्जा खींचता है, यह और अधिक मजबूत होता जाता है। हवाओं की गति बढ़ती है और तूफान की आँख (center) बनने लगती है, जो एक शांत और स्पष्ट क्षेत्र होता है।

हरिकेन तूफान के प्रकार (तीव्रता और श्रेणी आधार पर)

सामान्यत तूफान की तीव्रता को सैफिर-सिम्पसन तूफान पैमाने (Saffir-Simpson Hurricane Scale) के आधार पर मापा जाता है, जो एक तूफान की हवाओं की गति पर आधारित होती है। यह श्रेणी 1 से 5 तक विभाजित है, जहां श्रेणी 1 सबसे कमजोर और श्रेणी 5 सबसे ताकतवर तूफान को दर्शाती है।

  • श्रेणी 1: हवाओं की गति 74-95 मील प्रति घंटा (119-153 किमी/घंटा) होती है। यह हल्का नुकसान पहुंचाने वाला तूफान होता है।
  • श्रेणी 2: हवाओं की गति 96-110 मील प्रति घंटा (154-177 किमी/घंटा) होती है। यह तूफान महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचा सकता है।
  • श्रेणी 3: हवाओं की गति 111-129 मील प्रति घंटा (178-208 किमी/घंटा) होती है। इसे “प्रमुख तूफान” माना जाता है और इससे बड़ी संपत्ति हानि और जान-माल का खतरा हो सकता है।
  • श्रेणी 4: हवाओं की गति 130-156 मील प्रति घंटा (209-251 किमी/घंटा) होती है। यह गंभीर नुकसान का कारण बनता है, जिससे इमारतें और ढांचे नष्ट हो सकते हैं।
  • श्रेणी 5: हवाओं की गति 157 मील प्रति घंटा (252 किमी/घंटा) या इससे अधिक होती है। यह विनाशकारी तूफान होता है, जिससे व्यापक स्तर पर तबाही होती है।

तूफान हेलेन श्रेणी 4 का तूफान था, जिसकी हवाएं 140 मील प्रति घंटा (220 किमी/घंटा) की रफ्तार से चल रही थीं, जो इसे अत्यधिक खतरनाक और विध्वंसकारी बनाता है।

हरिकेन के नामकरण की प्रक्रिया

  • हरिकेन (चक्रवाती तूफान) के नामकरण की ज़िम्मेदारी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की होती है।
  • यह संगठन विभिन्न महासागरीय और क्षेत्रीय मौसम विज्ञान संगठनों के साथ मिलकर हरिकेन, चक्रवात, और तूफानों के नाम तय करता है।
  • 1953 के बाद से, विश्व मौसम संगठन (WMO) ने उष्णकटिबंधीय तूफानों और हरिकेन को नाम देने के लिए एक सख्त प्रणाली का पालन करना शुरू किया।
  • इस प्रणाली में 21-लेटर की नामों की सूची होती है, जिसमें पुरुष और महिला नामों का वैकल्पिक क्रम होता है, और यह छह वर्षों के लिए दोहराई जाती है।
  • इस सूची में Q, U, X, Y, और Z के अक्षर शामिल नहीं होते हैं।
  • हर सातवें वर्ष, नामों को फिर से बदल दिए जाते है।
  • WMO द्वारा ही कोई नाम जोड़ने या हटाने का निर्णय लिया जाता है।
  • हर क्षेत्र के लिए अलग-अलग नामों की सूची बनाई जाती है, जो क्रमवार उपयोग होती है।
  • उदाहरण के लिए, अटलांटिक महासागर, उत्तरी हिंद महासागर, और प्रशांत महासागर के लिए अलग-अलग नामों की सूची होती है।
  • इन नामों का चयन संबंधित देशों द्वारा किया जाता है, और यह नाम आमतौर पर उन देशों के लिए स्थानीय और सामान्य होते हैं, ताकि लोग इन्हें आसानी से समझ सकें।

विभिन्न क्षेत्रों में हरिकेन (Hurricane) का मौसम

  • अटलांटिक महासागर और कैरेबियाई सागर में हरिकेन का मौसम 1 जून से 30 नवंबर तक होता है। यह समय अमेरिका, कैरेबियन देशों, मैक्सिको और कनाडा के कुछ हिस्सों को प्रभावित करता है।
  • पूर्वी प्रशांत महासागर में हरिकेन का मौसम 15 मई से 30 नवंबर तक रहता है। यह मेक्सिको और सेंट्रल अमेरिका के पश्चिमी तटों पर असर डालता है।
  • पश्चिमी प्रशांत महासागर में सबसे सक्रिय समय मई से अक्टूबर तक होता है। यह जापान, फिलीपींस, चीन, और दक्षिणपूर्वी एशिया के देशों में प्रभावित करता है।
  • भारतीय महासागर में उत्तरी भारतीय महासागर में हरिकेन का मौसम अप्रैल से दिसंबर तक रहता है। यह भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, और श्रीलंका को प्रभावित करता है।

प्रमुख हरिकेन तूफान के उदाहरण

  • ग्रेट लेबर डे हरिकेन (1935): यह श्रेणी 5 का तूफान था, जिसने फ्लोरिडा कीज़ में विनाशकारी हवाओं और भारी बारिश के साथ हमला किया।
  • तूफान कैमिली (1969): यह भी श्रेणी 5 का तूफान था, जिसने मिसिसिपी में पहुंचकर तेज हवाओं और बाढ़ के कारण व्यापक नुकसान पहुंचाया।
  • तूफान कैटरीना (2005): यह अमेरिकी इतिहास का सबसे महंगा तूफान था, जिसने लुइसियाना और मिसिसिपी में भयंकर बाढ़ लाकर 192.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान किया।
  • तूफान इयान (2022): इस तूफान ने फ्लोरिडा के खाड़ी तट को तबाह किया और बाद में दक्षिण कैरोलिना में पहुंचा, जिसके कारण 114 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हरिकेन निगरानी तंत्र

हरिकेन की निगरानी और भविष्यवाणी के लिए कई अंतरराष्ट्रीय संगठन और तंत्र काम करते हैं। इनका उद्देश्य तूफानों के विकास, गति, और उनके प्रभावों की सटीक जानकारी प्रदान करना है। यहाँ कुछ प्रमुख तंत्र का उल्लेख किया गया है:

  • विश्व मौसम संगठन (WMO) विश्वभर में मौसम की स्थिति की निगरानी करता है और हरिकेन की पहचान, ट्रैकिंग और भविष्यवाणी के लिए मानक संचालन स्थापित करता है।
  • राष्ट्रीय तूफान केंद्र (NHC) अमेरिका में हरिकेन की निगरानी और भविष्यवाणी के लिए जिम्मेदार है। यह नियमित रूप से हरिकेन के आंकड़े और चेतावनियाँ जारी करता है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के अनुसंधान केंद्र विभिन्न देशों में कई अनुसंधान केंद्र होते हैं जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के अध्ययन और उनकी निगरानी के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग करते हैं।
  • उपग्रह तकनीक आधुनिक उपग्रह प्रणालियाँ जैसे कि GOES (Geostationary Operational Environmental Satellites) और NOAA (National Oceanic and Atmospheric Administration) उपग्रह, तूफानों की वास्तविक समय में निगरानी करने में सहायक होते हैं।
  • मौसम पूर्वानुमान मॉडल ये कंप्यूटर आधारित मॉडल मौसम की स्थितियों का पूर्वानुमान लगाने के लिए उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की गतिविधियों का विश्लेषण करते हैं, जिससे हरिकेन की तीव्रता और दिशा का अनुमान लगाया जा सके।

इन तंत्रों का संयुक्त प्रयास हरिकेन की प्रभावी निगरानी और संभावित खतरों के बारे में समय पर जानकारी प्रदान करने में सहायक होता है, जिससे जोखिम को कम किया जा सके।

UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न PYQ

प्रश्न: उष्णकटिबंधीय चक्रवात बड़े पैमाने पर दक्षिण चीन सागर, बंगाल की खाड़ी और मैक्सिको की खाड़ी तक ही सीमित हैं। क्यों? (2014)

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