केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है। दरअसल, केंद्र की ओर से इस साल एक जनवरी 2024 से महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) को मौजूदा 46 प्रतिशत से बढ़ाकर मूल वेतन का 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ होगा।
महंगाई भत्ता (DA) क्या होता हैं?
महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मिलने वाला एक भत्ता है। यह उन्हें महंगाई से राहत देने और जीवनयापन की बढ़ती लागत को पूरा करने में मदद करता है। यह मूल वेतन (basic salary) के अतिरिक्त दिया जाता है। महंगाई भत्ता मूल वेतन का एक प्रतिशत होता है। यह समय-समय पर बदलता रहता है, ताकि महंगाई के साथ तालमेल बनाया जा सके। महंगाई भत्ता हर जगह अलग-अलग होता है, क्योंकि रहन-सहन का खर्च हर जगह अलग होता है। निजी कंपनियों में DA देना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कुछ कंपनियां अन्य नामों से इसे देती हैं।
महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) की गणना कैसे होती है?
केंद्र सरकार के कर्मचारी –
महंगाई भत्ता (DA) = [(पिछले 12 महीनों के लिए ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI) का औसत (आधार वर्ष 2001 = 100) – 115.76)/115.76] x 100 |
सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी –
महंगाई भत्ता (DA) = [(पिछले 3 महीनों के लिए ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI) का औसत (आधार वर्ष 2001 = 100) – 126.33)/126.33] x 100 |
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स क्या है?
महंगाई भत्ते की गणना कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित खुदरा महंगाई दर पर होती है। इसे आम उपभोक्ता वहन करता है। जबकि थोक महंगाई दर उत्पादक की ओर से अदा की गई कीमत होती है। खुदरा महंगाई दर सीधे तौर पर आम लोगों को प्रभावित करती है इसलिए महंगाई भत्ते की गणना इसी आधार पर तय होती है।
महंगाई भत्ते के प्रकार –
महंगाई भत्ते की गणना के लिए दो अलग-अलग श्रेणियां हैं औद्योगिक और परिवर्तनीय महंगाई भत्ता।
औद्योगिक महंगाई भत्ता –
- औद्योगिक महंगाई भत्ता (Industrial Dearness Allowance), सार्वजनिक क्षेत्र के व्यवसायों के स्टाफ सदस्यों को उपलब्ध लाभ है। भारत सरकार ने हाल ही में इस उद्योग के लिए आईडीए 5% बढ़ाया है। केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के सभी बोर्ड-स्तरीय अधिकारियों, अधिकारियों और स्टाफ सदस्यों को इस फैसले से लाभ होगा।
- देश की बढ़ती मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए, सरकारी क्षेत्र के व्यवसायों के लिए आईडीए को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer price index) में बदलाव के आधार पर त्रैमासिक समायोजित किया जाता है।
परिवर्तनीय महंगाई भत्ता –
परिवर्तनीय महंगाई भत्ता (Variable Dearness Allowance) वह भत्ता है जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए हर छह महीने में संशोधन के परिणामस्वरूप आता है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, सीपीआई में वृद्धि या कमी को ध्यान में रखने के परिणामस्वरूप जो परिवर्तित नया आंकड़ा प्राप्त होता है, उसे परिवर्तनीय महंगाई भत्ता कहा जाता है। इस आंकड़े के आधार पर कर्मचारियों का DA संशोधित और जारी किया जाता है।
तीन घटक परिवर्तनीय महंगाई भत्ता बनाते हैं।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
- आधार सूचकांक और
- भारत सरकार द्वारा निर्धारित परिवर्तनीय DA राशि।
भारत सरकार द्वारा निर्धारित परिवर्तनीय DA राशि तब तक स्थिर रहता है जब तक सरकार न्यूनतम मजदूरी में संशोधन नहीं करती। उसी प्रकार आधार सूचकांक भी एक विशेष अवधि के लिए निश्चित रहता है। केवल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) हर महीने बदलता है और परिवर्तनीय महंगाई भत्ते के समग्र मूल्य को प्रभावित करता है।
पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ता –
पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ते को डियरनेस रिलीफ (DR) भी कहा जाता है। जब भी वेतन आयोग नया वेतन ढांचा बनाता है, उसमें बदलाव का असर रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन पर भी पड़ता है। अगर महंगाई भत्ता बढ़ता है तो पेंशनर्स की डीआर भी बढ़ जाती है।
महंगाई भत्ते पर टैक्स –
सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को महंगाई भत्ता पर टैक्स देना पड़ता है। इनकम टैक्स रूल्स के मुताबिक कर्मचारियों को महंगाई भत्ता का हिस्सा Income Tax Return (ITR) में अलग से भरना पड़ता है।
महंगाई भत्ता और HRA में अंतर –
अक्सर लोग DA और House Rent Allowance (HRA) को एक ही समझ लेते हैं। लेकिन दोनों में अंतर है। इनकम टैक्स के मुताबिक दोनों पर टैक्स देनदारी अलग-अलग होती है। HRA प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर कर्मचारी दोनों को मिलता है जबकि DA सिर्फ पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के लिए है। HRA के लिए कुछ टैक्स छूट भी है, लेकिन महंगाई भत्ता पर कोई टैक्स छूट नहीं है। इस पर पूरा टैक्स लगता है।
महंगाई भत्ते का इतिहास –
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान महंगाई भत्ता देने की शुरुआत हुई थी। उस वक्त सैनिकों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए तनख्वाह से अलग यह पैसा दिया जाता था। उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस (Dearness food allowance) कहा जाता था। भारत में मुंबई से 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते देने की शुरुआत हुई थी। इसके बाद केंद्र सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा।
केंद्रीय कर्मचारियों की महंगाई भत्ते में 4 फीसदी की बढ़ोतरी –
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जनवरी, 2024 से केंद्र सरकार के कर्मचारियों को महंगाई भत्ते (DA) और पेंशनभोगियों को महंगाई राहत (DR) की एक अतिरिक्त किस्त जारी करने की मंजूरी दे दी है, जो मौजूदा 46 प्रतिशत की दर से 4 फीसदी अधिक है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि मूल वेतन/पेंशन,में बदलाव मंहगाई की भरपाई के लिए है।
कितनी बढ़ेगी सैलरी –
केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ता, मूल वेतन (Basic Pay) का 50 फीसदी करने का फैसला किया है। पहले यह 46 फीसदी था लेकिन इसमें 4 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 30 हजार रुपये है तो 50 फीसदी के हिसाब से महंगाई भत्ता 15000 रुपये होगा।
DA, HRA बढ़ने के साथ मिलेंगे ये अतिरिक्त लाभ –
महंगाई भत्ता में बढ़ोतरी के साथ परिवहन भत्ता, कैंटीन भत्ता और प्रतिनियुक्ति भत्ता समेत अन्य भत्ते में 25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। मकान किराया भत्ता मूल वेतन के 27 प्रतिशत, 19 प्रतिशत और 9 प्रतिशत से बढ़ाकर क्रमश: 30 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 10 प्रतिशत कर दिया गया है। ग्रेच्युटी के तहत लाभ में मौजूदा 20 लाख रुपये से 25 लाख रुपये की बढ़ोतरी के साथ 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
सरकार उठाएगी इतना खर्च –
महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दोनों के कारण सरकारी खजाने पर संयुक्त प्रभाव 12,869 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगा।
लाखों कर्मचारियों को होगा लाभ –
महंगाई भत्ता और डीआर में वृद्धि 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित है। इस फैसले से केंद्र सरकार के 49.18 लाख कर्मचारियों के अलावा 67.95 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होने की संभावना है, क्योंकि महंगाई राहत (DR) में भी उसी दर से बढ़ोतरी की गई है।
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