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National Quantum Mission

चर्चा में क्यों हैं?

हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में सामने आया है कि क्वांटम प्रौद्योगिकी (Quantum Technology) के क्षेत्र में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश भारत की तुलना में बहुत आगे हैं। भारत नें भी 2023 में National Quantum Mission शुरू किया था।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन  (National Quantum Mission):

  • भारत सरकार ने 19 अप्रैल 2023 को National Quantum Mission (NQM) को मंजूरी दी थी।
  • इस मिशन को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology – DST) द्वारा संचालित किया जाता है।
  • National Quantum Mission (NQM) को 2023-24 से 2030-31 तक की अवधि के लिए कुल 65 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
  • अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, फ्राँस, कनाडा और चीन के बाद भारत, समर्पित क्वांटम मिशन वाला सातवाँ देश बन गया है।

National Quantum Mission का उद्देश्य:

  • इस मिशन का उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकी (Quantum Technology) के क्षेत्र में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास Scientific and Industrial Research and Development) का बीजारोपण करना एवं उसेविकसित करना व आगे बढ़ाना और इससे संबंधित एक जीवंत एवं रचनात्मक इकोसिस्टम (Vibrant and Creative Ecosystem) तैयार करना है।
  • यह मिशन क्वांटम प्रौद्योगिकी (Quantum Technology) पर आधारित आर्थिक विकास को गति देगा, देश में एक अनुकूल इकोसिस्टम विकसित (Develop a favorable ecosystem) करेगा और क्वांटम प्रौद्योगिकियों एवं अनुप्रयोगों (Quantum Technologies and Applications) के विकास के क्षेत्र में भारत को एक अग्रणी देश बनाएगा।

National Quantum Mission की विशेषताएँ :

  • यह मिशन सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक तकनीक (Superconducting and Photonic Technologies) जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों में आठ वर्षों में 50-1000 भौतिक क्यूबिट Physical Qubit) की क्षमता वाला मध्यवर्ती स्तर का क्वांटम कंप्यूटर Quantum computers) विकसित करने का लक्ष्य रखता है।

सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक (Superconducting and Photonic) तकनीक के बारे में:

Quantum Computing, कंप्यूटिंग के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है। इसमें Superconducting and Photonic तकनीक, दो प्रमुख दृष्टिकोण हैं जो क्वांटम बिट्स (Quantum Bits) यानी “क्यूबिट्स (Qubits)” को बनाने और हेरफेर करने के लिए अलग-अलग तरीकों का उपयोग करते हैं।

‘Qubits’ और ‘Quantum Bits’ क्वांटम कंप्यूटरों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रक्रिया की इकाइयाँ हैं, जैसे कि बिट्स (1 और 0) बुनियादी इकाइयाँ हैं जिनके द्वारा कंप्यूटर सूचना को संसाधित करते हैं।

सुपरकंडक्टिंग तकनीक (Superconducting Technology):

·   क्यूबिट्स का निर्माण (Creation of Qubits): सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स, अतिचालक सर्किट superconducting circuit) से बने होते हैं जो बहुत कम तापमान पर काम करते हैं। ये सर्किट विद्युत धारा के प्रवाह के लिए शून्य प्रतिरोध (zero resistance) प्रदान करते हैं, जिससे क्यूबिट्स को लंबे समय तक अपनी क्वांटम अवस्था बनाए रखने में मदद मिलती है।

·   लाभ (Profit): सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स को नियंत्रित करना और उनमें हेरफेर करना अपेक्षाकृत आसान होता है। इसके अलावा, सुपरकंडक्टिंग तकनीक को मौजूदा माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक निर्माण प्रक्रियाओं के साथ एकीकृत किया जा सकता है।

·   चुनौतियाँ (Challenges): सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स को अत्यधिक कम तापमान पर ठंडा करने की आवश्यकता होती है, जिसके लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, ये क्यूबिट्स बाहरी शोर के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिससे त्रुटियाँ हो सकती हैं।

फोटोनिक तकनीक (Photonic Technology):

  • क्यूबिट्स का निर्माण (Creation of Qubits): फोटोनिक क्यूबिट्स, प्रकाश के कणों यानी फोटॉनों से बने होते हैं। इन क्यूबिट्स को ऑप्टिकल उपकरणों जैसे कि बीम स्प्लिटर्स, मिरर्स और फोटॉन डिटेक्टरों (Beam Splitters, Mirrors and Photon Detectors) का उपयोग करके बदलाव किया जाता है।
  • लाभ (Profit): फोटोनिक क्यूबिट्स कमरे के तापमान पर काम कर सकते हैं और बाहरी शोर के प्रति कम संवेदनशील होते हैं। इसके अलावा, फोटॉनों को लंबी दूरी तक आसानी से प्रेषित किया जा सकता है, जो क्वांटम संचार के लिए फायदेमंद है।
  • चुनौतियाँ (Challenges): फोटोनिक क्यूबिट्स को नियंत्रित करना और उनमें हेरफेर करना सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, फोटोनिक क्यूबिट्स को बनाने और एकीकृत करने के लिए विशेष तकनीकों की आवश्यकता होती है।
  • भारत के भीतर 2000 किलोमीटर की सीमा में ग्राउंड स्टेशनों के बीच उपग्रह आधारित सुरक्षित क्वांटम संचार (Secure quantum communication), 
  • अन्य देशों के साथ लंबी दूरी का सुरक्षित क्वांटम संचार (Secure quantum communication), 
  • 2000 किलोमीटर से अधिक के दायरे में अंतर-शहरी (Intercity) ‘क्वांटम की (Quantum Key)’ वितरण
  • क्वांटम मेमोरी से लैस मल्टी-नोड क्वांटम नेटवर्क (Multi-node quantum networks)
  • यह मिशन सटीक समय, संचार और नेविगेशन (Precise timing, communications, and navigation) के लिए परमाणु प्रणालियों और परमाणु घड़ियों (Atomic systems and atomic clocks) में उच्च संवेदनशीलता (high Sensitivity) से लैस मैग्नेटोमीटर विकसित करने में मदद करेगा।
  • यह क्वांटम उपकरणों के निर्माण के लिए सुपरकंडक्टर्स, नवीन सेमीकंडक्टर संरचनाओं और सांस्थितिक (टोपोलॉजिकल) सामग्रियों आदि जैसी क्वांटम सामग्रियों के डिजाइन और संश्लेषण में भी सहायता करेगा।
  • इसके तहत क्वांटम संचार, संवेदन और मौसम विज्ञान संबंधी अनुप्रयोगों (Quantum communication, sensing and meteorological applications) के लिए एकल फोटॉन स्रोत/डिटेक्टर औरउलझे हुए फोटॉन स्रोत भी विकसित किए जायेंगे।

क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शीर्ष शैक्षणिक और राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में चार थीमैटिक हब (Thematic Hubs) स्थापित किये जाएंगे:

  • क्वांटम कंप्यूटिंग
  • क्वांटम संचार
  • क्वांटम सेंसिंग और मेट्रोलॉजी
  • क्वांटम सामग्री और उपकरण

ये केन्द्र (हब) मौलिक एवं अनुप्रयुक्त अनुसंधान (Basic and Applied Research) के माध्यम से नए ज्ञान के सृजन पर ध्यान केन्द्रित करेंगे और साथ ही उन क्षेत्रों में भी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देंगे जिसकी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी जाएगी।

National Quantum Mission का महत्त्व:

  • National Quantum Mission (NQM) देश में प्रौद्योगिकी विकास से संबंधित इकोसिस्टम को वैश्विक प्रतिस्पर्धी स्तर (Global competitive level) पर ले जा सकता है।
  • इस मिशन से संचार, स्वास्थ्य, वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्रों के साथ-साथ दवाओं के निर्माण और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों (Drug Manufacturing and Space Applications) को बहुत लाभ होगा।
  • यह डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं (National Priorities) को व्यापक रूप से बढ़ावा देगा।

क्वांटम तकनीक (Quantum Technology):

Quantum Technology विज्ञान और अभियांत्रिकी (Science and Engineering) का एक ऐसा क्षेत्र है जो पदार्थ और ऊर्जा के सूक्ष्मतम स्तर पर व्यवहार का अध्ययन करने वाले क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर आधारित है।

क्वांटम यांत्रिकी भौतिकी की वह शाखा है जो परमाणु और उससे भी छोटे कणों के स्तर पर पदार्थ और ऊर्जा के व्यवहार की व्याख्या करती है।

Quantum Technology के फायदे:

·   बढ़ी हुई कंप्यूटिंग शक्ति (Increased computing power): क्वांटम कंप्यूटर वर्तमान कंप्यूटरों की तुलना में अत्यधिक तेज और शक्तिशाली हैं। ये जटिल समस्याओं को हल करने में सक्षम हैं जो अभी तक हमारी पहुंच से बाहर हैं।

·   बेहतर सुरक्षा (Better Security): क्वांटम एन्क्रिप्शन तकनीक, क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर आधारित होने के कारण, पारंपरिक एन्क्रिप्शन विधियों की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं।

·   तेज संचार (Fast communication): क्वांटम संचार नेटवर्क पारंपरिक नेटवर्क की तुलना में तेजी से और अधिक सुरक्षित रूप से सूचना प्रसारित कर सकते हैं, इनमें पूरी तरह से अभेद्य (Unhackable) संचार की क्षमता है।

·   उन्नत AI (Advanced AI): क्वांटम मशीन लर्निंग एल्गोरिदम संभावित रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल के अधिक कुशल और सटीक प्रशिक्षण को सक्षम कर सकते हैं।

·   बेहतर संवेदन और मापन (Improved sensing and measurement): क्वांटम सेंसर पर्यावरण में बहुत सूक्ष्म परिवर्तनों का पता लगा सकते हैं, जिससे वे चिकित्सा निदान, पर्यावरण निगरानी और भूवैज्ञानिक अन्वेषण (Medical diagnosis, Environmental monitoring and Geological exploration) जैसे क्षेत्रों में उपयोगी होते हैं।

Quantum Technology के नुकसान:

·   महंगी (Expensive): इस तकनीक के लिए विशेष उपकरणों और सामग्रियों की आवश्यकता होती है जो इसे पारंपरिक तकनीकों की तुलना में अधिक महंगा बनाती है।

·   सीमित अनुप्रयोग (Limited applications): वर्तमान में Quantum Technology केवल विशिष्ट अनुप्रयोगों जैसे क्रिप्टोग्राफी, क्वांटम कंप्यूटिंग और क्वांटम संचार के लिए उपयोगी है।

·   पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता (Sensitivity to the environment): Quantum Technology पर्यावरणीय हस्तक्षेप, जैसे तापमान परिवर्तन, चुंबकीय क्षेत्र और कंपन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। क्यूबिट्स अपने परिवेश से आसानी से प्रभावित हो जाते हैं जिससे वे अपने क्वांटम गुणों को खो सकते हैं और गणना में त्रुटियां कर सकते हैं।

·   सीमित नियंत्रण (Limited Control): क्वांटम सिस्टम को नियंत्रित करना और इसमें परिवर्तन करना मुश्किल है।

·   क्वांटम-संचालित AI के परिणाम अप्रत्याशित (Unexpected) हो सकते हैं: क्वांटम-संचालित AI के परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं क्योंकि वे उन सिद्धांतों पर काम करते हैं जो पारंपरिक कंप्यूटिंग से मौलिक रूप से अलग हैं।

National Quantum Mission को लागू करने में भारत के सामने चुनौतियाँ:

  • धन की कमी (lack of funds): भारत का $0.75 बिलियन का निवेश चीन के $15 बिलियन और अमेरिका के लगभग $4 बिलियन की तुलना में बहुत कम है।
  • शोध का अभाव (Lack of research): भारत क्वांटम शोध पत्र प्रकाशित करने में पीछे है। 2000 से 2018 के बीच, भारतीय शोधकर्ताओं ने 1,711 शोधपत्र प्रकाशित किए, जबकि चीन में 12,110 और अमेरिका में 13,489 प्रकाशित हुए।
  • पेटेंट पंजीकरण में कमी (Decrease in patent registration): भारतीय शोधकर्ताओं ने 2015 से 2020 के बीच केवल 339 क्वांटमसंबंधित पेटेंट पंजीकृत किए, जबकि चीन ने 23,335 और अमेरिका ने 8,935 पेटेंट पंजीकृत किए।
  • प्रतिभा पूल का अभाव (Lack of talent pool): 2018 में, भारत में प्रति दस लाख लोगों पर 253 शोधकर्ता थे, जो इटली के शोधकर्ता घनत्व का लगभग 11% है।
  • तकनीकी निर्भरता (Technological dependence): भारत अभी भी क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक के लिए विकसित देशों पर निर्भर है।
  • तकनीकी निर्माण में कम कंपनियां (Fewer companies in technical manufacturing): भारत में केवल 3% डीप टेक स्टार्ट-अप क्वांटम प्रौद्योगिकियों से संबंधित निर्माण या सामग्री में शामिल हैं।

आगे की राह :

  • क्वांटम शोध में निवेश बढ़ाएँ (Increase investment in quantum research): Quantum Technology पर शोध के लिए सरकार को और पैसा लगाना होगा।
  • शोध को बढ़ावा (Promote research): नए आविष्कारों के लिए शोधकर्ताओं को मदद और प्रोत्साहन देना होगा। साथ ही, अलग-अलग संस्थानों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाना होगा।
  • पेटेंट को बढ़ावा (Promoting Patents): Quantum Technology से जुड़े नए आविष्कारों को पेटेंट कराने के लिए प्रोत्साहन और सुरक्षा देनी होगी।
  • प्रतिभा को निखारें (Hone Your talent): Quantum Technology में पढ़ाई करने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति देकर और विशेष कार्यक्रम चलाकर उनकी प्रतिभा को निखारना होगा।
  • सहयोग बढ़ाएँ (Increase collaboration): सरकार, शिक्षण संस्थानों और कंपनियों को मिलकर काम करना होगा।
  • महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान (Focus on key areas): कंप्यूटिंग, संचार, सेंसर और सामग्री जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
  • साझेदारी (Partnership): Quantum Technology को आगे बढ़ाने के लिए सरकार और निजी कंपनियों को मिलकर काम करना होगा।
  • Quantum Technology के कुछ खास क्षेत्रों में बेहतरीन काम करके भारत को दुनिया में आगे रखना होगा।

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