भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने 1 अप्रैल 2024 से अपना ‘एक वाहन, एक फास्टैग’ नियम लागू कर दिया है। इस पहल का उद्देश्य कई वाहनों के लिए एक ही फास्टैग के उपयोग तथा एक ही वाहन में कई फास्टैग को जोड़ने को हतोत्साहित करना है।
फास्टैग (FASTag) क्या हैं?
फास्टैग भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली है। फास्टैग योजना को “वन नेशन वन टैग – FASTag” की टैगलाइन के साथ भारत में एकीकृत इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के साथ आगे बढ़ने के लिए पेश किया गया था। इसे वर्ष 2014 में लॉन्च किया गया था और यह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा संचालित है।
- FASTag एक RFID निष्क्रिय टैग है जिसका उपयोग ग्राहक के लिंक्ड प्रीपेड या बचत/चालू खाते से सीधे टोल भुगतान करने के लिए किया जाता है।
- यह वाहन की विंडस्क्रीन पर चिपका होता है और ग्राहक को बिना किसी टोल भुगतान के टोल प्लाजा से वाहन चलाने में सक्षम बनाता है।
- ग्राहक के लिंक किए गए खाते से टोल शुल्क के लिए तुरंत डेबिट किया जाता है।
- इसे किसी भी राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (NTEC) सदस्य बैंकों से खरीदा जा सकता है।
- यदि यह प्रीपेड खाते से जुड़ा है तो इसे ग्राहक के उपयोग के अनुसार रिचार्ज या टॉप अप किया जाना चाहिए।
- यदि उपभोक्ता पर्याप्त बैलेंस रखने में विफल रहता है तो उसे टोल प्लाजा पर ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है। यदि कोई ग्राहक इस स्थिति में बिना रिचार्ज के टोल प्लाजा में प्रवेश करता है, तो वह NETC सेवाओं का उपयोग नहीं कर पाएगा और उसे टोल का भुगतान नकद में करना होता है।
फास्टैग कैसे काम करता हैं?
- FASTag रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग कैशलेस टोल भुगतान को सीधे चलते वाहनों से करने में सक्षम बनाता है।
- यह उपयोगकर्ता के प्रीपेड खाते से कनेक्ट होने के बाद उसके वाहन के विंडस्क्रीन से जुड़ा होता है।
- FASTag स्कैनर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग करके कार से जुड़े टैग को स्कैन करता है और फिर संबंधित प्रीपेड खाते से टोल भुगतान को तुरंत काट लेता है।
- कार के टोल गेट से गुजरते ही टोल शुल्क काट लिया जाता है, जिससे वाहन को वहां रुकने की जरूरत नहीं पड़ती।
- इसके बाद लेन-देन को वाहन के मालिक के प्रीपेड FASTag खाते से चार्ज किया जाएगा।
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID):
- RFID एक प्रकार की निष्क्रिय वायरलेस तकनीक है जो किसी वस्तु या व्यक्ति की ट्रैकिंग और मैचिंग की अनुमति देती है।
- सिस्टम के दो बुनियादी हिस्से हैं: टैग और रीडर।
- रीडर द्वारा रेडियो तरंगों को छोड़ दिया जाता है तथा RFID टैग द्वारा सिग्नल को वापस प्राप्त किया जाता है, जबकि टैग अपनी पहचान एवं अन्य जानकारी को संप्रेषित करने के लिये रेडियो तरंगों का उपयोग करता है।
- यह टैग कई फीट दूर से वस्तु की पहचान कर सकता है और इसे ट्रैक करने के लिये वस्तु के प्रत्यक्ष ‘लाइन-ऑफ-साइट’ (Line-of-Sight) के भीतर होने की आवश्यकता नहीं है।
- प्रौद्योगिकी को 1970 के दशक से पहले मंज़ूरी दी गई है, लेकिन हाल के वर्षों में वैश्विक आपूर्ति शृंखला प्रबंधन औरघरेलू माइक्रोचिपिंग जैसी वस्तुओं में इसके उपयोग के कारण यह बहुत अधिक प्रचलित हो गई है।
फास्टैग का भारत में इतिहास व विकास
- इस प्रणाली को शुरुआत में 2014 में अहमदाबाद और मुंबई के बीच स्वर्णिम चतुर्भुज के विस्तार पर एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्थापित किया गया था।
- यह प्रणाली 4 नवंबर 2014 को चतुर्भुज की दिल्ली – मुंबई शाखा पर लागू की गई थी।
- जुलाई 2015 में, स्वर्णिम चतुर्भुज के चेन्नई – बैंगलोर खंड पर टोल प्लाजा ने FASTag भुगतान स्वीकार करना शुरू कर दिया।
- अप्रैल 2016 तक, FASTag को पूरे भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 247 टोल प्लाजा पर लागू कर दिया गया था, जो उस समय देश के सभी टोल प्लाजा का 70% था।
- 23 नवंबर 2016 तक, देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 366 में से 347 शुल्क प्लाजा FASTag भुगतान स्वीकार करते हैं।
- 1 अक्टूबर 2017 को, NHAI ने अपने दायरे में आने वाले सभी 370 टोल प्लाजा में FASTag लेन लॉन्च की।
- 8 नवंबर 2017 को, दिसंबर 2017 के बाद भारत में बेचे जाने वाले सभी नए वाहनों पर FASTag अनिवार्य कर दिया गया।
- 19 अक्टूबर 2019 को, यह घोषणा की गई कि 1 दिसंबर 2019 से सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर FASTag अनिवार्य होगा और गैर-FASTag उपयोगकर्ताओं से दोगुना टोल लिया जाएगा।
- नवंबर के दौरान, GMR हैदराबाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने FASTag कार पार्क सुविधा शुरू की।
- 15 दिसंबर 2019 को पूरे भारत में FASTag अनिवार्य हो गया।
- 1 फरवरी, 2024 से, NHAI ने कहा कि केवल सबसे हालिया FASTag खाता चालू रहेगा, जबकि पहले वाले टैग निष्क्रिय या ब्लैकलिस्ट कर दिए जाएंगे।
फास्टैग के लाभ –
- समय और ईंधन की बचत: गाड़ी की रफ्तार कम करने की जरुरत नहीं पड़ती, जिससे ईंधन और समय बचता है। टोल नाके पर लंबी लाइनों से बचा जा सकता है.
- ट्रैफिक जाम से राहत: गाड़ियों को रुकने या धीमी गति से चलने की जरुरत नहीं होती, इसलिए टोल नाकों पर जाम कम लगता है।
- नकद भुगतान की झंझट खत्म: यात्रा के दौरान कई टोल नाके आते हैं। फास्टैग से कैशलेस भुगतान का फायदा मिलता है और पूरी यात्रा सुखद रहती है। फास्टैग खुद ही सारे टोल भुगतान का ध्यान रख लेता है।
- खर्च का लेखा-जोखा: फास्टैग से हर टोल भुगतान का पता चलता है। हर भुगतान पर इन-ऐप सूचना और एसएमएस मिलते हैं। पासबुक में भी खर्च का पता लगाया जा सकता है।
- पर्यावरण के अनुकूल: फास्टैग कागज और ईंधन के इस्तेमाल को कम करके पर्यावरण को फायदा पहुंचाता है।
- मासिक पास की सुविधा: नियमित यात्री अपने मासिक पास को फास्टैग पास में बदल सकते हैं। कंपनियों और फ्लीट मालिकों के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया है।
- ऑनलाइन रिचार्ज की आसानी: कई ऐप से फास्टैग को मिनटों में रिचार्ज किया जा सकता है।
- नियमित सूचनाएं: फास्टैग खाते को ऐप से लिंक करने पर सभी लेनदेन और कटौती की सूचना मिलती है। यात्रा के दौरान टोल पर खर्च हुए धन का पता लगाने में आसानी होती है।
- लंबी वैधता: एक फास्टैग की वैधता 5 साल होती है। यानी 5 साल तक बिना किसी परेशानी के उसी फास्टैग का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- आसान रजिस्ट्रेशन: फास्टैग के लिए रजिस्ट्रेशन आसान और तेज है। ऐप, टोल बूथ, बैंक या चुनिंदा दुकानों से फास्टैग प्राप्त किया जा सकता है।
एक वाहन, एक फास्टैग के उद्देश्य –
- इस पहल का उद्देश्य कई वाहनों के लिए एकल फास्टैग का उपयोग अथवा एक विशेष वाहन के लिए कई फास्टैग को जोड़ने जैसे उपयोगकर्ताओं के व्यवहार को हतोत्साहित करना है।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण फास्टैग उपयोगकर्ताओं को भारतीय रिजर्व बैंक दिशानिर्देशों के अनुसार केवाईसी (KYC) अपडेट करके अपने नवीनतम फास्टैग की ‘अपने ग्राहक को जानें’ (केवाईसी) प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहा है।
- NHAI के अनुसार फास्टैग उपयोगकर्ताओं को’एक वाहन, एक फास्टैग’ का भी अनुपालन करना होगा और अपने बैंकों के माध्यम से पहले जारी किए गए सभी फास्टैग को छोड़ना होगा।
- NHAI के अनुसार किसी भी सहायता के लिएफास्टैग उपयोगकर्ता निकटतम टोल प्लाजा या जारीकर्ता बैंकों के टोल-फ्री ग्राहक सेवा नंबर से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
‘एक वाहन, एक फास्टैग’ पहल का कारण
- कई वाहनों के लिए एक फास्टैग का इस्तेमाल करने या किसी एक वाहन से कई फास्टैग को जोड़ने से रोकना
- भारतीय रिजर्व बैंक के आदेश का पालन करना
- टोल प्लाजा पर अनावश्यक देरी से बचना
- इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम की दक्षता को बढ़ाना
- टोल प्लाजा पर बेरोक आवाजाही प्रदान करना
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1988 “राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, अनुरक्षण और प्रबंध के लिए एक प्राधिकरण का गठन करने तथा उससे संबद्ध या उसके आनुषंगिक विषयों के लिए उपबंध करने हेतु अधिनियम” के द्वारा किया गया था।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को, अन्य छोटी परियोजनाओं सहित, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना का काम सौंपा गया है जिसमें 50,329 कि.मी. राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास, अनुरक्षण और प्रबंधन करना शामिल है।
- फिलहाल देश में राष्ट्रीय राजमार्गों (एक्सप्रसे मार्गों सहित) की कुल लम्बाई 1,32,499 कि.मी. है जबकि राजमार्ग/एक्सप्रसे मार्ग सडकों की कुल लम्बाई का केवल लगभग 7% है और इन सड़कों पर 40% यातायात चलता है।
NHAI का मिशन
- केंद्र सरकार द्वारा निहित राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन करना।
- उचित प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने वाले वाहनों को नियमित और नियंत्रित करना।
- भारत और विदेशों में परामर्श और निर्माण सेवाएं विकसित करना और प्रदान करना और राजमार्गों या किसी भी अन्य सुविधाओं के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के संबंध में अनुसंधान गतिविधियों को पूरा करना।
- हाइवे का प्रयोग करने वालों के लिए ऐसी सुविधाएं और आराम प्रदान करना, जो प्राधिकरण के विचार में निहित है या सौंपी गई है, जो ऐसे राजमार्गों पर यातायात के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक है;
- कार्यालयों या वॉर्कशॉपों का निर्माण और उन राजमार्गों पर या आसपास होटल, मोटल, रेस्तरां और रेस्ट-रूम को स्थापित करना और उन्हें बनाए रखना या उन्हें सौंपना;
- राजमार्गों से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह देना।
- राजमार्ग विकास के लिए योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन में किसी भी राज्य सरकार से ऐसे नियमों और शर्तों पर आपसी सहमति के लिए सहायता प्रदान करना।
FAQ’s
Q. फास्टैग क्या है?
उत्तर :फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है जो आपको बिना रुके टोल प्लाजा से गुजरने की सुविधा देता है। यह आपके वाहन के विंडस्क्रीन पर चिपकाया जाता है और टोल प्लाजा से गुजरते समय RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक का उपयोग करके टोल शुल्क स्वचालित रूप से काट लिया जाता है।
Q. फास्टैग प्रणाली को किसने विकसित और कार्यान्वित किया है?
उत्तर : FASTag को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित किया गया है और भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHMCL) द्वारा कार्यान्वित किया गया है। IHMCL एक बिजनेस मॉडल कंपनी है जो NHAI द्वारा समर्थित है।
Q. फास्टैग कैसे प्राप्त करें?
उत्तर : आप बैंकों, NBFCs, और ऑनलाइन पोर्टल जैसे Paytm, Amazon, Flipkart, आदि के माध्यम से फास्टैग प्राप्त कर सकते हैं। आपको वाहन का पंजीकरण प्रमाण पत्र (RC), पहचान प्रमाण और पते का प्रमाण जमा करना होगा।
Q. फास्टैग का रिचार्ज कैसे करें?
उत्तर : आप बैंकों, NBFCs, UPI, ऑनलाइन पोर्टल, और FASTag मोबाइल ऐप के माध्यम से फास्टैग का रिचार्ज कर सकते हैं।
PYQ’s
Q. टोल गेट पर FASTag किस तरंग का उपयोग करता है?
(A) इन्फ्रा रेड वेव्स
(B) रेडियो फ्रीक्वेंसी तरंगें
(C) पराबैंगनी तरंगें
(D) सूक्ष्म तरंगें
उत्तर : (B) रेडियो फ्रीक्वेंसी तरंगें
Q. सरकार ने देश भर में राजमार्ग टोल प्लाजा पर उपयोगकर्ताओं को किसी भी प्रकार की छूट का लाभ उठाने के लिए फास्टैग (FASTag) अनिवार्य कर दिया है। फास्टैग (FASTag) किस तकनीक का उपयोग करता है?
(A) एनएफसी
(B) आरएफआईडी
(C) लिडार
(D) सोडार
उत्तर : (B) आरएफआईडी
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