चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी की गई ‘रोगजनक प्राथमिकता’ (Pathogens Prioritization) रिपोर्ट में दुनिया के सामने उभरते नए रोगाणुओं के खतरों को उजागर किया गया है। इस रिपोर्ट में 30 से अधिक रोगाणुओं की पहचान की गई है, जो भविष्य में वैश्विक महामारियों का कारण बन सकते हैं। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब दुनिया कोविड-19 से उबरने की कोशिश कर रही है और पेरिस में 2024 ओलंपिक में 40 से अधिक एथलीटों के कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने से यह स्पष्ट होता है कि महामारी का खतरा अभी भी बरकरार है।
रिपोर्ट में जिन रोगाणुओं का उल्लेख किया गया है, उनमें कुछ प्रमुख उदाहरण इन्फ्लूएंजा ए वायरस, डेंगू, और एमपॉक्स जैसे सुप्रसिद्ध खतरों के साथ-साथ निपाह वायरस जैसे उभरते वायरस भी शामिल हैं। यह सूची दिखाती है कि विश्व स्तर पर स्वास्थ्य खतरों का स्वरूप बदलता रहता है और नए-नए रोगाणु उभर सकते हैं, जो इंसानों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। WHO द्वारा इस सूची को अद्यतन करने का उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों को तैयार करना है ताकि वे इन उभरते खतरों से निपटने में सक्षम हो सकें।
इस चेतावनी के पीछे का प्रमुख कारण यह है कि ये रोगाणु न केवल वैश्विक स्तर पर फैल सकते हैं, बल्कि इनकी संक्रामकता और घातकता भी उन्हें एक महामारी के रूप में उभरने की क्षमता प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, निपाह वायरस, जो कुछ साल पहले तक केवल एक क्षेत्रीय समस्या माना जाता था, अब वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है। इसके अलावा, डेंगू जैसी बीमारियों के फैलाव में वृद्धि भी एक संकेत है कि दुनिया को सतर्क रहना होगा।
WHO द्वारा जारी रिपोर्ट के महत्वपूर्ण बिंदु:
- WHO ने Coalition for Epidemic Preparedness Innovations (CEPI) के साथ मिलकर एक मजबूत वैश्विक प्रतिक्रिया का आह्वान करते हुए इस रिपोर्ट को प्रस्तुत किया है। CEPI के CEO, डॉ. रिचर्ड हैचेट, WHO के इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं और इसके महत्व पर जोर देते हैं।
- इस रिपोर्ट में डेंगू, इन्फ्लूएंजा ए, और एमपॉक्स (पूर्व में मंकीपॉक्स) जैसे रोगजनकों को जोड़ा गया है, जो बढ़ते खतरे के स्तर को दर्शाता है। ये नए रोगजनक पहले से शामिल निपाह वायरस और इबोला जैसे खतरनाक रोगजनकों की सूची में शामिल हो गए हैं, जिन्हें अब भी अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) का कारण बनने वाले उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- रिपोर्ट में कोविड-19 के खतरे के बावजूद इसके संबंधित रोगजनकों के बने रहने की बात कही गई है। सर्बेकोवायरस सबजेनस, जिसमें SARS-CoV-2 शामिल है, अब प्राथमिकता सूची में ‘उच्च’ वर्ग में है, क्योंकि इसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट का खतरा बना रहता है। इसके अलावा, मर्सबेकोवायरस सबजेनस (जिसमें MERS-CoV शामिल है) भी इस सूची में शामिल है, जो कोरोना वायरस के खिलाफ सतर्कता की आवश्यकता को और अधिक बढ़ा देता है।
- पहले की रिपोर्टों में जैसे केवल SARS और MERS को अलग-अलग रोगजनक के रूप में देखा जाता था, इस बार पूरे सबजेनस को शामिल किया गया है, जो महामारी की तैयारी के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- रिपोर्ट में क्षेत्रीय चिंताओं पर भी प्रकाश डाला गया है, विशेषकर भारत में। केरल में निपाह वायरस ने हाल ही में एक 14 वर्षीय लड़के की जान ले ली, जो इस वायरस के गंभीर खतरे को दर्शाता है। इसी तरह, महाराष्ट्र के पुणे में 70 से अधिक ज़ीका वायरस के मामले सामने आए हैं, जिसने निगरानी और चिंता को बढ़ा दिया है। डेंगू, जो भारत में लंबे समय से एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या रहा है, अब आधिकारिक रूप से एक प्राथमिकता वाला रोगजनक माना गया है, जिससे इसके निगरानी और नियंत्रण उपायों में वृद्धि की आवश्यकता है।
- रिपोर्ट में केवल वायरल रोगजनकों पर ही नहीं, बल्कि बैक्टीरियल खतरों पर भी ध्यान दिया गया है। इसमें उन बैक्टीरिया को भी शामिल किया गया है जो प्लेग, हैजा, निमोनिया, पेचिश और गैर-टाइफॉइडल साल्मोनेला जैसी गंभीर बीमारियों के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन बैक्टीरियल रोगजनकों की सूची में शामिल किए जाने से पता चलता है कि एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से उत्पन्न हो रहे खतरों का मुकाबला करना भी एक बड़ी चुनौती है, जो वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है।
- सर्बेकोवायरस, जिसे ‘उच्च’ वर्ग में वर्गीकृत किया गया है, का मुख्य कारण यह है कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का कारण बन सकता है।
- इसी प्रकार, मर्सबेकोवायरस सबजेनस, जिसमें मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस (MERS-CoV) शामिल है, भी इस सूची में है। डेंगू वायरस और इन्फ्लूएंजा ए वायरस, जिसमें एच5 सबटाइप भी शामिल है, जिसने भारत में एक एवियन इन्फ्लूएंजा का प्रकोप उत्पन्न किया था और जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका में मवेशियों को भी प्रभावित किया था, अब इस सूची में हैं।
- दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में, रिपोर्ट के अनुसार, बैक्टीरियल रोगजनक जैसे कि विब्रियो कोलेरा O139 (हैजा) और शिगेला डिसेंटेरिया सेरोटाइप 1 (पेचिश) भी प्राथमिकता में हैं।
‘रोगजनक प्राथमिकता’ (Pathogens Prioritization) रिपोर्ट क्या हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी ‘रोगजनक प्राथमिकता’ (Pathogens Prioritization) रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, जो भविष्य में संभावित महामारियों से निपटने के लिए तैयारियों और सावधानियों पर जोर देती है।
इस रिपोर्ट को 50 से अधिक देशों के 200 से अधिक वैज्ञानिकों के सहयोग से तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य उन रोगाणुओं की पहचान करना है, जो वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं।
रिपोर्ट में 28 वायरल परिवारों और बैक्टीरिया के एक मुख्य समूह से संबंधित 1,652 रोगजनकों का गहन मूल्यांकन किया गया। इन वैज्ञानिकों ने इन रोगजनकों के संक्रमण की गंभीरता, उनकी फैलने की क्षमता, और उनके द्वारा उत्पन्न किए गए स्वास्थ्य खतरों का विश्लेषण किया। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य उन रोगजनकों की पहचान करना था, जो निकट भविष्य में वैश्विक स्तर पर महामारी का कारण बन सकते हैं। अंततः, रिपोर्ट में 30 से अधिक ‘प्राथमिकता वाले रोगाणु’ सूचीबद्ध किए गए, जिन्हें विशेष रूप से खतरनाक माना गया है। इस रिपोर्ट में महामारी और वैश्विक महामारी के विरुद्ध वैश्विकता प्राप्त करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की अनिवार्य प्रकृति पर भी बल दिया गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO):● यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार और बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए काम करता है। ● इसकी स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गई थी, और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। ● WHO का नेतृत्व एक महानिदेशक (Director-General) करते हैं, जो विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) द्वारा चुने जाते हैं। ● WHO संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है और इसका उद्देश्य सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देना और स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करना है। ● WHO का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में बीमारियों के प्रसार को रोकना और महामारी जैसे खतरों से निपटने के लिए तत्पर रहना है। ● WHO ने कोविड-19, इबोला, ज़ीका, और एचआईवी जैसी महामारियों के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ● WHO ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस और फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (FCTC) जैसी पहल की हैं। |
WHO द्वारा जारी रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण रोगाणुओं की सूची:
- इन्फ्लूएंजा ए वायरस (Influenza A Virus)
- डेंगू वायरस (Dengue Virus)
- एमपॉक्स (Mpox, पूर्व में मंकीपॉक्स)
- निपाह वायरस (Nipah Virus)
- इबोला वायरस (Ebola Virus)
- सर्बेकोवायरस सबजेनस (जिसमें SARS-CoV-2 शामिल है)
- मर्सबेकोवायरस सबजेनस (Merbecovirus Subgenus, जिसमें MERS-CoV शामिल है)
- ज़ीका वायरस (Zika Virus)
- हेंटावायरस (Hantavirus)
- लेसा वायरस (Lassa Virus)
- रेबीज वायरस (Rabies Virus)
- वेस्ट नाइल वायरस (West Nile Virus)
- कोरोनावायरस (जिनमें SARS और MERS भी शामिल हैं)
- चिकनगुनिया वायरस (Chikungunya Virus)
- मारबर्ग वायरस (Marburg Virus)
- विब्रियो कोलेरा O139
- शिगेला डिसेंटेरिया सेरोटाइप 1
- यर्सिनिया पेस्टिस (Yersinia Pestis)
रोगाणु क्या होते हैं?
रोगाणु (Pathogens) वे सूक्ष्मजीव होते हैं जो मनुष्यों, जानवरों, या पौधों में बीमारियाँ उत्पन्न करते हैं। ये सूक्ष्मजीव विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें वायरस, बैक्टीरिया, फंगी (कवक), और प्रोटोजोआ शामिल हैं।
रोगाणुओं के प्रकार:
- वायरस (Virus): वायरस अति सूक्ष्म जीव होते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के बिना नहीं देखा जा सकता।
- ये अपने आप जीवित नहीं रहते, बल्कि जीवित कोशिकाओं में प्रवेश करके उनकी जैविक प्रक्रियाओं का उपयोग करके अपनी संख्या बढ़ाते हैं।
- उदाहरण: HIV (जो AIDS का कारण बनता है), इन्फ्लूएंजा वायरस, SARS-CoV-2 (जो COVID-19 का कारण बनता है)।
- बैक्टीरिया (Bacteria): बैक्टीरिया एकल-कोशिकीय जीव होते हैं, जो विभिन्न वातावरणों में पाए जाते हैं।
- कुछ बैक्टीरिया हमारे लिए लाभदायक होते हैं, जबकि कुछ बीमारियाँ पैदा कर सकते हैं।
- उदाहरण: यर्सिनिया पेस्टिस (जो प्लेग का कारण बनता है), साल्मोनेला (जो फूड पॉइज़निंग का कारण बनता है)।
- फंगी (Fungi): फंगी में यीस्ट, मोल्ड और कवक शामिल होते हैं। ये सजीवों और निर्जीव पदार्थों पर पनप सकते हैं।
- फंगी संक्रमण अक्सर त्वचा, नाखून, और फेफड़ों में होते हैं।
- उदाहरण: कैंडिडा (जो थ्रश और अन्य संक्रमण का कारण बनता है), एस्परगिलस (फेफड़ों का संक्रमण)
- प्रोटोजोआ (Protozoa): एकल-कोशिकीय (single-celled) सूक्ष्मजीव होते हैं, जो पानी, मिट्टी, या अन्य जीवों के शरीर में रहते हैं।
- ये सूक्ष्मजीव अधिकतर स्वतंत्र रूप से जीवन यापन करते हैं, लेकिन इनमें से कुछ परजीवी (parasites) भी होते हैं, जो अन्य जीवों में बीमारियाँ उत्पन्न कर सकते हैं
- उदाहरण: प्लास्मोडियम (Plasmodium), जो मलेरिया का कारण बनता है।
रोगाणु रोग कैसे उत्पन्न करते हैं?
रोगाणु (Pathogens) हमारे शरीर में प्रवेश करके और हमारे ऊतकों (tissues) या अंगों (organs) को नुकसान पहुँचाकर रोग उत्पन्न करते हैं। रोगाणु शरीर में विभिन्न मार्गों से प्रवेश करते हैं, जैसे दूषित भोजन या पानी, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क, या मच्छर के काटने से। एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद, वे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को कमजोर करते हैं और विषैले पदार्थ (toxins) उत्पन्न करते हैं, जो विभिन्न बीमारियों का कारण बनते हैं।
रोगाणुओं से बचाव के उपाय:
- स्वच्छता: नियमित हाथ धोना, साफ पानी का सेवन, और स्वच्छ भोजन खाना।
- टीकाकरण: विभिन्न बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण कराना, जैसे मलेरिया, टाइफाइड, और इन्फ्लूएंजा।
- स्वस्थ जीवनशैली: पोषक आहार, नियमित व्यायाम, और पर्याप्त नींद से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना।
- संक्रमित व्यक्तियों से दूरी: संक्रमित लोगों से उचित दूरी बनाए रखना और मास्क पहनना।
- मच्छर नियंत्रण: मच्छरदानी का उपयोग, मच्छर निरोधक का प्रयोग, और पानी के ठहराव से बचना।
‘प्रोटोटाइप रोगजनक और ‘पारिवारिक दृष्टिकोण’ की अवधारणा:
2024 की WHO रिपोर्ट में पहली बार ‘प्रोटोटाइप पैथोजन’ और ‘पारिवारिक दृष्टिकोण’ की अवधारणा को शामिल किया गया है। इस दृष्टिकोण के तहत, एक ही रोगजनक परिवार के भीतर समानताओं और आनुवंशिक सामग्री के साझा होने को ध्यान में रखते हुए, एक परिवार के किसी एक सदस्य के लिए विकसित किए गए उपचार या टीका को उसी परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।
प्रोटोटाइप रोगजनक (Prototype Pathogens) उन रोगजनकों (Pathogens) को संदर्भित करते हैं जिन्हें किसी विशेष परिवार के प्रतिनिधि के रूप में चुना जाता है। इन रोगजनकों का उपयोग मौलिक अनुसंधान (Basic Research) और चिकित्सीय उपायों (Therapeutic Interventions) के विकास के लिए किया जाता है। ‘प्रोटोटाइप’ शब्द का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि ये रोगजनक उस परिवार के अन्य रोगजनकों का प्रतिनिधित्व करते हैं, और उन पर किए गए शोध से प्राप्त ज्ञान को परिवार के अन्य सदस्यों पर भी लागू किया जा सकता है।
प्रोटोटाइप रोगजनक एक मॉडल के रूप में काम करते हैं, जिससे व्यापक अनुसंधान और विकास के प्रयासों को तेज किया जा सकता है। इस दृष्टिकोण से न केवल व्यक्तिगत रोगजनकों को नियंत्रित करना आसान होता है, बल्कि महामारी और वैश्विक स्वास्थ्य संकटों के प्रति तैयारियों को भी मजबूत किया जा सकता है।
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