चर्चा में क्यों ?
“31 जुलाई, 2024 को राज्यसभा (Rajya Sabha) में विपक्ष द्वारा वायनाड़ (Wayanad) मे भूस्खलन को लेकर केंद्र सरकार के ध्यानाकर्षण की बात कही गई थी उसी के जवाब में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केरल सरकार को पूर्व चेतावनी (warning) दी जाने का दावा किया, उन्होंने कहा था की केंद्र सरकार (central government) द्वारा भूस्खलन से पहले ही अलर्ट जारी किए जाने के बावजूद भी केरल सरकार ने उस पर ध्यान नहीं दिया ।
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) इस बयान के खिलाफ में राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन (privilege motion) का प्रस्ताव पेश किया।
अमित शाह पर “राज्यसभा को गुमराह करने” (misleading the Rajya Sabha) का आरोप लगाया गया है।
विशेषाधिकार प्रस्ताव (Privilege Motion) क्या है?
विशेषाधिकार प्रस्ताव (privilege motion) एक संसदीय प्रणाली में उपयोग किया जाने वाला प्रक्रियात्मक साधन है जिसका उद्देश्य किसी सदस्य या सदस्यों द्वारा संसदीय विशेषाधिकार के उल्लंघन (breach of parliamentary) को संबोधित करना होता है।
संसदीय विशेषाधिकार (Parliamentary privilege) उन अधिकारों और स्वतंत्रताओं (rights and freedoms) को संदर्भित करता है जो संसद के सदस्यों के पास होते हैं, जो बिना हस्तक्षेप (interference) के उनके विधायी कार्यों को संपन्न करने के लिए आवश्यक हैं।
सटीक विशेषाधिकारों की कोई संहिताबद्ध सूची नहीं (no codified list) है, लेकिन अनुच्छेद 105 में स्पष्ट रूप से केवल दो प्रकार के विशेषाधिकारों (privileges) का उल्लेख किया गया है,
- संसद में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of speech in Parliament)
- सदन की कार्यवाही प्रकाशित करने का अधिकार। (Right to publish the proceedings of the House)
सांसदों को इसके लिए अदालती कार्यवाही (court proceedings) का सामना नहीं करना पड़ेगा।
विशेषाधिकार को नियंत्रित करने वाले नियम (Rules governing privileges):
लोकसभा (Lok Sabha) नियम पुस्तिका (Rule Book) के अध्याय 20 में नियम संख्या 222 और राज्यसभा (Rajya Sabha) नियम पुस्तिका (Rule Book) के अध्याय 16 में नियम 187 के अनुरूप विशेषाधिकार को नियंत्रित करती है।
- नियम कहते हैं कि कोई भी सदस्य (any member), अध्यक्ष (Speaker) या चेयरपर्सन (Chairperson) की सहमति से किसी सदस्य या सदन या उससे संबंधित समिति के विशेषाधिकार (privilege) के उल्लंघन के संबंध में प्रश्न उठा सकता है।
विशेषाधिकार का उल्लंघन:
विशेषाधिकार का उल्लंघन कई प्रकार की कार्रवाइयों को शामिल कर सकता है, जैसे (Breach of privilege: Breach of privilege can involve a wide range of actions, such as):
- संसद के सदस्यों के बारे में अनादरजनक (Disrespectful) या अपमानजनक (insulting) टिप्पणियाँ।
- संसद या इसकी समितियों के कार्य को बाधित करने वाली कार्रवाइयाँ।
- संसद को प्रदान की गई गलत जानकारी या झूठी जानकारी (Incorrect or false information)।
- संसदीय प्रक्रियाओं या सुविधाओं (parliamentary procedures or facilities) का दुरुपयोग।
प्रस्ताव का आरंभ (Initiation of a motion):
किसी भी सदस्य द्वारा विशेषाधिकार प्रस्ताव ( privilege motion) आरंभ किया जा सकता है जो मानता है कि विशेषाधिकार का उल्लंघन हुआ है। सदस्य को उल्लंघन के विशिष्ट विवरण और साक्ष्य प्रस्तुत करना होता है।
प्रक्रिया (Procedure):
- एक बार जब विशेषाधिकार प्रस्ताव (privilege motion) पेश किया जाता है, तो
- यह सामान्यतः निम्नलिखित चरणों का पालन करता है:
- संसद के अध्यक्ष या पीठासीन अधिकारी (Speaker or presiding officer) प्रस्ताव की समीक्षा करते हैं और यह निर्धारित करते हैं कि यह स्वीकार्य है या नहीं।
- यदि स्वीकार्य है, तो प्रस्ताव को विशेषाधिकार समिति (Privileges Committee) या एक समकक्ष निकाय (equivalent body) को आगे की जांच के लिए भेजा जाता है।
- समिति जांच (committee investigates) करती है, साक्ष्य (evidence) एकत्र करती है, और संबंधित पक्षों से सुनवाई करती है।
- निष्कर्षों के आधार पर, समिति संसद को सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत करती है।
विशेषाधिकार समिति (Privileges Committee)
- यह एक स्थायी समिति (permanent committee) है।
- यह सदन और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जाँच (investigates) करती है तथा उचित कार्रवाई की सिफारिश करती है।
- लोकसभा समिति (Lok Sabha Committee) में 15 सदस्य होते हैं, जबकि राज्यसभा समिति (Rajya Sabha Committee) में 10 सदस्य होते हैं।
- राज्य सभा में उपसभापति को विशेषाधिकार समिति के प्रमुख के रूप में (राज्यसभा के सभापति द्वारा) नियुक्त किया जाता है।
जांच प्रक्रिया (Inquiry procedure):
- समिति (Committee) गवाहों (witnesses) को बुला सकती है और उनसे साक्ष्य ले सकती है।
- समिति (Committee) दस्तावेजों (documents) की मांग कर सकती है और उन्हें जांच सकती है।
- समिति (Committee) सदस्यों को स्पष्टीकरण (explanations) देने के लिए बुला (summon) सकती है।
निष्कर्ष और सिफारिशें (Findings and Recommendations):
- समिति (Committee) अपनी जांच के निष्कर्षों के आधार पर संसद को सिफारिशें प्रस्तुत करती है।
- ये सिफारिशें विशेषाधिकार के उल्लंघन के मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई (disciplinary action), माफी (pardon), निलंबन (suspension), या अन्य उचित कार्रवाइयों को शामिल कर सकती हैं।
- संसद समिति की रिपोर्ट पर चर्चा करती है और आवश्यक कार्रवाई का निर्णय लेती है।
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