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रिलायंस-डिज्नी विलय (Merger)

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, 27 सितंबर को सरकार ने वायाकॉम18 मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के नॉन-न्यूज और करंट न्यूज चैनलों के लाइसेंस को स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी। यह मंजूरी कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) द्वारा निर्धारित मर्जर शर्तों के अनुसार दी गई है।

रिलायंस-डिज्नी विलय के मुख्य बिन्दु:

  • 28 फरवरी 2024 को रिलायंस और डिज्नी ने भारत में अपने एंटरटेनमेंट ब्रांड्स को एक साथ लाने के लिए स्ट्रैटेजिक जॉइंट वेंचर की घोषणा की थी।
  • इस डील के तहत रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी वायाकॉम18 का मर्जर डिज्नी की भारतीय यूनिट स्टार इंडिया के साथ किया जाएगा।
  • मर्जर के बाद, नई कंपनी देश की सबसे बड़ी टेलीविजन और डिजिटल स्ट्रीमिंग कंपनी बनेगी।
  • नई कंपनी के पास लगभग 75 करोड़ दर्शकों की पहुंच होगी।
  • 30 अगस्त को CCI ने डिज्नी और रिलायंस एंटरटेनमेंट के मर्जर को मंजूरी दी थी।

देश का सबसे बड़ा मीडिया नेटवर्क (The largest media network in the country):

  • डिज्नी के 80 और वायाकॉम18 के 40 चैनलों के संयोजन से कुल 120 से अधिक टीवी चैनल बनेंगे।
  • इस मर्जर के बाद, यह नेटवर्क देश का सबसे बड़ा मीडिया नेटवर्क होगा।
  • इसके अलावा, यह समूह दो प्रमुख ओटीटी प्लेटफॉर्म्स (OTT platforms)—डिज्नी+ हॉटस्टार और जियो सिनेमा (Disney+ Hotstar and Jio Cinema) के साथ भी अपनी उपस्थिति दर्ज करेगा।
  • वायकॉम18 मीडिया और डिजिटल 18 मीडिया के मर्जर की स्कीम को 30 अगस्त को NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल) से मंजूरी मिली थी।
  • ये डील 8.5 बिलियन डॉलर (करीब 71 हजार करोड़ रुपए) की है। विलय के बाद बनी कंपनी में रिलायंस की 63.16% और डिज्नी की 36.84% हिस्सेदारी होगी।
  • RIL के चेयरमैन (Chairman) मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी (Nita Ambani) जॉइंट यूनिट की चेयरपर्सन होंगी और उदय शंकर इसके वाइस-चेयरपर्सन होंगे।
  • इस विलय से दर्शकों को मनोरंजन के क्षेत्र में व्यापक और विविध विकल्प मिलेंगे।
  • यह डिजिटल और टेलीविजन मीडिया में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरेगा।

(Competition Commission of India – CCI):

Competition Commission of India (CCI) भारत में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और व्यापार में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्थापित एक वैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना 2003 में प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत की गई थी।

मुख्य उद्देश्य (Main Objectives):

  • प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा (Promoting Competition): CCI का मुख्य उद्देश्य व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और बाजार में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाना है।
  • विपरीत प्रतिस्पर्धा को रोकना (Preventing adverse competition): यह उन प्रथाओं का पता लगाने और रोकने का कार्य करता है जो प्रतिस्पर्धा को हानि पहुंचाती हैं।
  • अधिग्रहण और विलय की समीक्षा (Review of acquisitions and mergers): CCI यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी कंपनी का अधिग्रहण या विलय प्रतिस्पर्धा को नुकसान नहीं पहुंचाता।
  • उपभोक्ता संरक्षण (Consumer Protection): यह उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाने का प्रयास करता है।

संरचना (Structure):

  • अध्यक्ष (Chairman): CCI का नेतृत्व एक अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, जो आयोग के सदस्यों के साथ मिलकर कार्य करता है।
  • सदस्य (Members): CCI में अधिकतम छह सदस्य होते हैं, जिनमें से प्रत्येक की विशेषज्ञता व्यापार, अर्थशास्त्र, कानून या उपभोक्ता मामले में होती है।

कार्य (Functions):

  • अनुसंधान और अध्ययन (Research and studies): CCI बाजार के विभिन्न क्षेत्रों का अध्ययन करता है और प्रतिस्पर्धा से संबंधित मुद्दों पर रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
  • प्रकरणों की सुनवाई (Hearing of cases): यह प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत दायर शिकायतों और प्रकरणों की सुनवाई करता है और आवश्यक कार्रवाई करता है।
  • निर्देश और सिफारिशें (Directions and recommendations): CCI आवश्यकतानुसार सरकारी नीतियों के संबंध में सुझाव और सिफारिशें भी प्रदान करता है।

महत्व (Importance):

CCI का कार्य न केवल व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उपभोक्ताओं के लिए बेहतर सेवाओं और उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। इसकी भूमिका आर्थिक विकास और बाजार की पारदर्शिता में भी महत्वपूर्ण है।

 

NCLT के बारे मे (About NCLT):

NCLT (National Company Law Tribunal) भारत में एक विशेष न्यायाधिकरण है, जिसे कंपनी कानून से संबंधित मामलों का समाधान करने के लिए स्थापित किया गया है। यह भारत सरकार के अंतर्गत कार्य करता है और इसकी स्थापना 2016 में कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत की गई थी।

मुख्य विशेषताएँ (Key Feature):

संरचना (Structure):

  • NCLT की अध्यक्षता एक अध्यक्ष द्वारा की जाती है, जो न्यायाधीश होता है। इसके अलावा, इसमें कई अन्य सदस्य भी होते हैं, जिनमें कानूनी और वित्तीय विशेषज्ञ (legal and financial experts) शामिल होते हैं।

कार्य (Functions):

  • यह मुख्य रूप से कंपनियों के दिवालियापन (bankruptcy) और पुनर्गठन से संबंधित मामलों को देखता है।
  • कंपनी अधिनियम के तहत विभिन्न आवेदन, जैसे कि कंपनी की रजिस्ट्रेशन, पुनर्गठन, और कंपनियों के बीच विवादों का समाधान।
  • इसके अलावा, यह राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के निर्णयों के खिलाफ अपीलों की सुनवाई भी करता है।

दिवालियापन प्रक्रिया (Insolvency Process):

  • NCLT भारतीय दिवालियापन (bankruptcy) और दिवालियापन संहिता (IBC) के अंतर्गत व्यवसायों के दिवालियापन मामलों का समाधान करता है। इसमें यह तय करता है कि किसी कंपनी को दिवालिया घोषित किया जाए या नहीं।

सुनवाई (Hearing):

  • NCLT की सुनवाई केवल व्यापारिक मामलों (business matters) पर होती है, और इसका निर्णय त्वरित होता है। इसका उद्देश्य समयबद्ध तरीके से मामलों का निपटारा करना है।

NCLAT:

  • NCLT के निर्णयों के खिलाफ अपील NCLAT में की जा सकती है, जो कि एक उच्च न्यायालय के समान कार्य करता है।

महत्व: NCLT का गठन भारत में कॉर्पोरेट शासन को बेहतर बनाने और व्यवसायों के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। इसका उद्देश्य कंपनी के मामलों को तेजी से और प्रभावी तरीके से हल करना है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ सके और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जा सके।

 

भारतीय मीडिया क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव (Significant impact on the Indian media sector):

इस मर्जर का भारतीय मीडिया क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। नई साझेदारी से निम्नलिखित बदलाव देखने को मिल सकते हैं:

  • बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा (Increased competition): इस साझेदारी से भारतीय मीडिया स्पेस में खासकर Sony, Netflix, और Amazon जैसी दिग्गज कंपनियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा में तेजी आएगी।
  • दर्शकों पर बढ़ा प्रभुत्व (Increased dominance over audience): Reliance-Disney का संयुक्त संसाधन और व्यापक दर्शक पहुंच उन्हें व्यूअरशिप शेयर में प्रमुख बना सकता है, जिससे ये कंपनियां टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म दोनों में प्रमुख भूमिका निभा सकेंगी।
  • स्ट्रिमिंग सेवाओं का विस्तार (Increased dominance over audience): इस मर्जर से उनकी स्ट्रीमिंग सेवाओं का विस्तार होगा, जिससे डिज्नी+ हॉटस्टार और जियो सिनेमा की दर्शक संख्या और बाजार में हिस्सेदारी और बढ़ेगी।
  • कंटेंट खपत पर प्रभाव (Impact on content consumption): इस मर्जर से कंटेंट खपत के पैटर्न में बदलाव आएगा, क्योंकि यह नई कंपनी कंटेंट की विविधता और क्वालिटी में सुधार कर सकती है, जिससे दर्शकों को मनोरंजन के लिए और अधिक विकल्प मिलेंगे।
  • मीडिया की प्रमुख शक्ति (Dominant force in media): इस विलय के बाद, रिलायंस-डिज्नी डिजिटल और टेलीविजन मीडिया में एक प्रमुख शक्ति बन जाएगी, जिससे उनके कंटेंट और प्लेटफॉर्म की पहुंच व्यापक हो जाएगी।

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