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Indian Air Force (IAF) successfully tested portable hospital cubes ‘BHISHM’

हाल ही में भारतीय वायुसेना (IAF) ने आगरा में युद्ध क्षेत्रीय स्वास्थ्य सूचना प्रणाली चिकित्सा सेवाओं (BHISHMA) पोर्टेबल अस्पताल की तैनाती का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। परीक्षण आगरा के मालपुरा ड्रॉपिंग ज़ोन में किया गया था।

720 किलो वजनी यह पोर्टेबल अस्पताल, भारतीय वायुसेना के एक परिवहन विमान से 1500 फीट की ऊंचाई से गिराया गया था। इसे गिराने में दो विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए पैराशूट इस्तेमाल किए गए, जिन्हें आगरा स्थित वायुसेना आपूर्ति अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ADRDE) द्वारा विकसित किया गया था।

BHISHM क्यूब (BHISHM Cube):

जिसका पूरा नाम “भारत हेल्थ इनिशिएटिव फॉर सहयोग, हित एंड मैत्री” (Bharat Health Initiative for Sahayog, Hit aur Maitri) है, एक अत्याधुनिक स्वदेशी मोबाइल अस्पताल है।

यह विशेष रूप से आपदा स्थितियों के लिए बनाया गया है और चिकित्सा सहायता प्रदान करने में तेजी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।

BHISHM क्यूब की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • 200 लोगों तक का उपचार: यह बड़े पैमाने पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए सुसज्जित है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डेटा विश्लेषण: यह क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं के समन्वय, वास्तविक समय की निगरानी और कुशल प्रबंधन में सहायता करता है।
  • इनोवेटिव उपकरण: यह आपदा प्रतिक्रिया और चिकित्सा सहायता बढ़ाने के लिए कई नवीनतम उपकरणों से लैस है।

Aerial Delivery Research and Development Establishment (ADRDE)

ADRDE (वायुसेना आपूर्ति अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान) DRDO की एक प्रमुख शोध एवं विकास प्रयोगशाला है, जो वायुगतिकीय अवरोधी और हवाई पोत प्रणालियों के डिजाइन और विकास के लिए जानी जाती है।

इस संस्थान के दायित्वों में शामिल हैं:

  • पैराट्रूपर पैराशूट प्रणाली
  • वायुसेना कर्मियों के लिए पैराशूट प्रणाली
  • गोला बारूद ले जाने के लिए पैराशूट प्रणाली
  • ब्रेक पैराशूट
  • रिकवरी पैराशूट प्रणाली
  • हवाई आपूर्ति के लिए पैराशूट प्रणाली 
  • भारी सामान गिराने की प्रणाली
  •  फुलाने वाली प्रणालियाँ
  • हवाई पोत तकनीक और विमान अवरोधक अवरोध प्रणाली आदि का विकास करना।

ADRDE एक ISO 9001:2015 प्रमाणित प्रयोगशाला है। यह संस्थान अत्याधुनिक प्रणालियों को विकसित करके सशस्त्र बलों और अंतरिक्ष संगठन की लगातार बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रहा है।

ADRDE ने राष्ट्र की सेवा के 50 गौरवशाली वर्षों को यादगार बनाने के लिए 20 जनवरी 2019 को अपना स्वर्ण जयंती समारोह मनाया।

परियोजना की शुरुआत –

  • परियोजना भीष्म की घोषणा फरवरी 2022 में की गई थी, जिसके बाद रक्षा मंत्रालय ने इस पहल के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया था।
  • जनवरी 2023 में ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में, प्रधान मंत्री मोदी ने ‘आपदा प्रबंधन के लिए आरोग्य मैत्री’ परियोजना की घोषणा की, जिसके तहत भारत प्राकृतिक आपदाओं या मानवीय संकटों से प्रभावित किसी भी विकासशील देश को आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करेगा।

प्राण-प्रतिष्ठा में हॉस्पिटल ने बचाई थी बुजुर्ग की जान –

  • 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भीष्म प्रोजेक्ट की यूनिट को लगाया गया था। डॉक्टरों की टीम को भी तैनात किया गया था। इसी हॉस्पिटल से एक व्यक्ति की जान भी बचाई गई थी। हुआ यूं था कि प्राण प्रतिष्ठा के वक्त एक बुजुर्ग की अचानक तबीयत बिगड़ गई।
  • वो गिर पड़े। फिर बेहोश हो गए। वहां मौजूद एयरफोर्स के जवानों ने उन्हें तुरंत उठाया। 1 मिनट के भीतर उन्हें परिसर से बाहर निकाला। फिर परिसर में ही बने भीष्म क्यूब हॉस्पिटल में इलाज किया। जिससे व्यक्ति की जान बच गई थी।

जल्दी इस्तेमाल और लचीलापन –

यह क्यूब 36 आसानी से ले जाने वाले भागों से बना है, जिन्हें सिर्फ 12 मिनट में तैयार किया जा सकता है। इसे हाथ से, साइकिल से या यहाँ तक कि ड्रोन के जरिए भी ले जाया जा सकता है। आपदा के समय मरीज को जल्द से जल्द इलाज पहुँचाने में यह बहुत अहम भूमिका निभाता है।

सहायता क्यूब की विशेषताएं

  • मजबूत, जलरोधी और हल्का डिज़ाइन
  • हवाई जहाज से गिराने से लेकर जमीनी परिवहन तक आपदा के विभिन्न स्थितियों के लिए इसे बदला जा सकता है।
  • आधुनिक चिकित्सा उपकरणों में RFID टैग लगे होते हैं ताकि इन्हें दोबारा पैक करने और इस्तेमाल करने में आसानी हो।
  • सामान को जल्दी ढूंढने और निगरानी रखने के लिए इसमें अत्याधुनिक “भीष्म सॉफ्टवेयर” शामिल है।

दुनिया का पहला चलता फिरता आपदा अस्पताल –

भारत में विकसित किया गया यह चलने फिरने वाला आपदा अस्पताल, “मिनी-क्यूब” के सेट से बना है, जिसे दुनिया का पहला ऐसा अस्पताल माना जाता है। इसे पूरी दुनिया में इस्तेमाल करने की तैयारी इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बनाती है।

जीवन रक्षक क्षमताएं –

पोर्टेबल अस्पताल “प्रोजेक्ट भीष्म” में कई जीवन रक्षक चीजें शामिल हैं:

  • पूरी तरह से सुसज्जित ऑपरेशन थिएटर
  • मिनी-आईसीयू और वेंटिलेटर
  • ब्लड टेस्ट करने के उपकरण और एक्स-रे मशीन
  • आत्मनिर्भरता के लिए रसोई बनाने का स्टेशन
  • विभिन्न तरह की चोटों का इलाज करने की क्षमता, जिनमें गोली लगना, जलना, सिर में चोट, रीढ़ की हड्डी में चोट, सीने में चोट, फ्रैक्चर और अत्यधिक खून बहना शामिल है।

मॉड्यूलर सेटअप – 

  • जीवन रक्षक उपकरण “मिनी-क्यूब” में पैक किए जाते हैं और इन्हें “आपदा प्रबंधन के लिए आरोग्य मैत्री क्यूब केज” में ले जाया जाता है।
  • इन क्यूब्स का इस्तेमाल एक मोबाइल अस्पताल बनाने के लिए किया जाता है, जिससे जगह के हिसाब से इसे लगाने में आसानी होती है।
  • दो “आपदा प्रबंधन के लिए आरोग्य मैत्री” मुख्य क्यूब मिलकर एक पूरा सेट बनाते हैं, जो पानी और जंगरोधी भंडारण सुनिश्चित करता है।

वैश्विक मानवीय प्रयास –

“प्रोजेक्ट भीष्म” के तहत, भारत प्राकृतिक आपदाओं या मानवीय संकटों का सामना करने वाले विकासशील देशों को महत्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करने के लिए तैयार है। श्रीलंका और म्यांमार में इसकी तैनाती वैश्विक मानवीय प्रयासों के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।

भविष्य की योजनाएं –

भारत दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में इन मोबाइल अस्पतालों को तैनात करने की सक्रिय रूप से योजना बना रहा है, जो कठिन इलाकों में स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच बढ़ाने के लिए व्यापक अनुप्रयोगों की क्षमता को प्रदर्शित करता है।

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