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World Population Day 2024: UPSC के लिए प्रमुख तथ्य और विश्लेषण

World Population Day (विश्व जनसंख्या दिवस) प्रतिवर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य जनसंख्या संबंधित मुद्दों पर जागरूकता (Awareness) फैलाना और जनसंख्या नियंत्रण (Population control) के महत्व को रेखांकित करना है। यह दिवस पहली बार 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया गया था, जब वैश्विक जनसंख्या 5 अरब के आंकड़े को पार कर गई थी।

World Population Day का इतिहास

  • World Population Day का इतिहास 1987 से जुड़ा है जब 11 जुलाई को विश्व की जनसंख्या 5 अरब तक पहुंची थी। जिसने दुनिया भर में तेजी से बढ़ती आबादी की ओर ध्यान खींचा।
  • इस दिन ने स्थायी विकास (Sustainable development), संसाधन प्रबंधन (Resource Management) और बढ़ती आबादी (Population aging) से जुड़े मुद्दों पर वैश्विक बातचीत को बढ़ावा दिया। इस घटना में लोगों की इतनी दिलचस्पी देखकर यह साफ हो गया कि आबादी से जुड़ी चिंताओं पर नियमित रूप से बात करने के लिए एक खास मंच की जरूरत है।
  • “The Day of Five Billion” की वजह से मिले ध्यान को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने आबादी से जुड़े मुद्दों पर खास ध्यान देने की जरूरत को समझा।
  • इसीलिए, 1989 में, UNDP गवर्निंग काउंसिल ने हर साल 11 जुलाई को World Population Day के रूप में मनाने का फैसला किया। इसका मकसद आबादी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में लोगों को समझाना और जागरूक करना था, ताकि इन मुद्दों को नीतियों और कार्यक्रमों में शामिल किया जा सके।
  • दिसंबर 1990 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने एक प्रस्ताव (45/216) पारित किया, जिसने विश्व जनसंख्या दिवस को हर साल मनाने की बात को आधिकारिक बना दिया।
  • UNGA के इस आधिकारिक समर्थन ने आबादी में हो रहे बदलावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस दिशा में काम करने के लिए विश्व जनसंख्या दिवस को एक महत्वपूर्ण वैश्विक कार्यक्रम बना दिया।

World Population Day 2024 की थीम

विश्व जनसंख्या दिवस 2024 की थीम “Leave No One Behind, Count Everyone” है। इसका मतलब है कि किसी को भी पीछे न छोड़ें, सभी को गिनें। यह थीम इस बात पर जोर देती है कि जनसंख्या की गणना में सभी को शामिल किया जाए, चाहे उनकी पृष्ठभूमि (Background), राष्ट्रीयता (Nationality), भौगोलिक स्थिति (Geographical location) या सामाजिक-आर्थिक स्थिति (Socio-economic status) कुछ भी हो।

इस थीम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी को उनकी जरूरतों और अधिकारों के बारे में नीतियां बनाने में शामिल किया जाए। यह समावेशी डेटा संग्रह के महत्व पर भी प्रकाश डालता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर कोई आबादी की गणना में उचित रूप से प्रतिनिधित्व करता है।

Population growth data in the world

विश्व की जनसंख्या में अभूतपूर्व वृद्धि:

  • विश्व की जनसंख्या को एक अरब तक पहुंचने में लाखों साल लगे, लेकिन उसके बाद केवल 200 सालों में यह सात गुना बढ़ गई। 2011 में, विश्व की जनसंख्या 7 अरब तक पहुंच गई, 2021 में यह लगभग9 अरब हो गई और 2030 में 8.5 अरब, 2050 में 9.7 अरब और 2100 में 10.9 अरब तक पहुंचने का अनुमान है।

number of people living worldwide

  • इस तीव्र वृद्धि का मुख्य कारण लोगों का प्रजनन आयु तक जीवित रहना है। इसके साथ ही, प्रजनन दर में बड़े बदलाव, बढ़ता शहरीकरण और तेजी से बढ़ता प्रवास भी इस वृद्धि में योगदान दे रहे हैं। इन प्रवृत्तियों के आने वाली पीढ़ियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे।
  • हाल के दिनों में प्रजनन दर (Fertility rate) और जीवन प्रत्याशा (Life expectancy) में भारी बदलाव देखे गए हैं। 1970 के दशक की शुरुआत में, महिलाओं के औसतन5 बच्चे होते थे, लेकिन 2015 तक यह संख्या घटकर 2.5 से भी कम हो गई। इस बीच, वैश्विक औसत जीवनकाल 1990 के दशक की शुरुआत के 64.6 वर्ष से बढ़कर 2019 में 72.6 वर्ष हो गया।
  • इसके अलावा, दुनिया में शहरीकरण (Urbanization) और प्रवास (Migration) में तेजी देखी जा रही है। 2007 में पहली बार ऐसा हुआ जब शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक लोग रहने लगे। 2050 तक, दुनिया की लगभग 66% आबादी शहरों में रह रही होगी।
  • इन बड़े बदलावों के दूरगामी परिणाम हैं। ये आर्थिक विकास (Economic Development), रोजगार, आय वितरण (Income Distribution), गरीबी और सामाजिक सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। साथ ही, ये स्वास्थ्य सेवा, Education, आवास, स्वच्छता, Water, Food और ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने के प्रयासों को भी प्रभावित करते हैं।
  • लोगों की जरूरतों को अधिक स्थायी रूप से पूरा करने के लिए, नीति निर्माताओं को यह समझना होगा कि ग्रह पर कितने लोग रहते हैं, वे कहां हैं, उनकी उम्र क्या है, और उनके बाद कितने लोग आएंगे।

जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव

जनसंख्या वृद्धि के कई महत्वपूर्ण प्रभाव होते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  1. प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव (Pressure on natural resources): तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण जल, खाद्य और ऊर्जा जैसी प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ता है। इसका परिणाम यह होता है कि इन संसाधनों की उपलब्धता कम हो जाती है और उनकी गुणवत्ता में गिरावट आती है।
  2. पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental effect): अधिक जनसंख्या के कारण वनों की कटाई, भूमि के अतिक्रमण और प्रदूषण जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इससे जैव विविधता को खतरा होता है और जलवायु परिवर्तन की गति तेज होती है।
  3. आर्थिक प्रभाव (Economic impact): जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी, गरीबी और असमानता जैसी आर्थिक समस्याएं बढ़ती हैं। इसका सीधा प्रभाव देश की आर्थिक विकास दर पर पड़ता है।
  4. स्वास्थ्य और शिक्षा पर प्रभाव (Impact on health and education): बढ़ती जनसंख्या के कारण स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। इससे इन सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट आती है और लोग समुचित स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं से वंचित रह जाते हैं।

जनसंख्या नियंत्रण के उपाय

जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  1. परिवार नियोजन (Family Planning): परिवार नियोजन के साधनों का उपयोग बढ़ावा देना और उन्हें सुलभ बनाना आवश्यक है। इससे अनचाही गर्भधारण की संख्या कम होगी और जनसंख्या वृद्धि की दर नियंत्रित होगी।
  2. शिक्षा (Education): शिक्षा का स्तर बढ़ाना और विशेषकर महिलाओं की शिक्षा पर जोर देना महत्वपूर्ण है। शिक्षित महिलाएं परिवार नियोजन के महत्व को समझती हैं और आमतौर पर कम बच्चे पैदा करती हैं।
  3. स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार (Improvement of health services): स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य (Maternal and child health) की देखभाल करना आवश्यक है। इससे शिशु मृत्यु दर (Infant mortality rate) कम होगी और परिवार नियोजन के प्रति लोगों का दृष्टिकोण बदलेगा।
  4. आर्थिक सुधार (Financial improvement): आर्थिक सुधारों के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाना और गरीबी को कम करना जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।

विश्व जनसंख्या दिवस समारोह

विश्व जनसंख्या दिवस समारोह दुनिया भर में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।

सरकारी स्तर पर:

  • जागरूकता अभियान (Awareness campaign): सरकारें अक्सर जनसंख्या से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाती हैं। इनमें रेडियो और टेलीविजन पर विज्ञापन, पोस्टर और बैनर लगाना, और सोशल मीडिया पर संदेश साझा करना शामिल हो सकता है।
  • सम्मेलन और कार्यशालाएं (Conferences and Workshops): सरकारें और गैर-सरकारी संगठन (NGO) अक्सर जनसंख्या विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को एक साथ लाने के लिए सम्मेलन और कार्यशालाएं आयोजित करते हैं। इन आयोजनों का उद्देश्य जनसंख्या से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करना और समाधान खोजना है।
  • नीतिगत घोषणाएं (Policy announcements): कुछ सरकारें विश्व जनसंख्या दिवस पर जनसंख्या से संबंधित नीतियों की घोषणा या कार्यान्वयन भी कर सकती हैं।

सामुदायिक स्तर पर:

  • शैक्षिक कार्यक्रम (Educational program): स्कूल, कॉलेज और सामुदायिक केंद्र अक्सर जनसंख्या से संबंधित मुद्दों पर शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इन कार्यक्रमों में व्याख्यान, चर्चा, और प्रश्नोत्तर सत्र शामिल हो सकते हैं।
  • रैलियां और मार्च (Rallies and marches): कुछ समुदाय जनसंख्या से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए रैलियां और मार्च आयोजित करते हैं।
  • कला और सांस्कृतिक कार्यक्रम (Arts and Cultural Events): कुछ समुदाय जनसंख्या से संबंधित मुद्दों को उजागर करने के लिए कला और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इनमें नाटक (Tucks), संगीत प्रदर्शन (Musical performances), और कला प्रदर्शनियां (Art exhibitions) शामिल हो सकती हैं।

जनसंख्या से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:

  • दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर टोक्यो है, जहां7 करोड़ लोग रहते हैं। 2.9 करोड़ लोगों के साथ दूसरे नंबर पर भारत की राजधानी दिल्ली है, जबकि चीन का शहर शंघाई 2.6 करोड़ लोगों के साथ तीसरे स्थान पर है।
  • न्यूजीलैंड में भेड़ों की संख्या मनुष्यों से अधिक है, यह दुनिया का एक अनूठा देश है जहां भेड़ें इंसानों से ज्यादा हैं। 1982 में यहां 33 लाख लोग रहते थे, जबकि भेड़ों की संख्या 7 करोड़ के करीब थी, यानी हर व्यक्ति पर 22 भेड़ें। हालांकि, अब यहां की आबादी 50 लाख हो गई है और भेड़ों की संख्या5 करोड़ है, फिर भी यहां प्रति व्यक्ति 6-7 भेड़ें हैं।
  • दुनिया की आधी आबादी युवा है, पूरी दुनिया में 30 साल से कम उम्र के लोगों की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है।
  • United Nations की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगले 30 वर्षों में दुनिया की आबादी लगभग2 अरब बढ़ जाएगी, जिसमें से आधी वृद्धि अफ्रीका में होगी, जहां की आबादी में 1.2 अरब की वृद्धि होगी।

निष्कर्ष

World Population Day हमें यह याद दिलाने का अवसर देता है कि जनसंख्या वृद्धि एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों को बढ़ावा देना, जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों को समझना और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है। इस दिशा में सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को मिलकर कार्य करना होगा ताकि हम एक संतुलित और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकें।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA)

● United Nations General Assembly (संयुक्त राष्ट्र महासभा), संयुक्त राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण अंग है जो विचार-विमर्श, नीति-निर्माण और वैश्विक मुद्दों पर प्रतिनिधित्व के लिए जिम्मेदार है।

● इसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देश शामिल होते हैं, जो इसे वैश्विक प्रतिनिधित्व वाला एकमात्र संयुक्त राष्ट्र निकाय बनाता है।

● हर साल सितंबर में, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सभी सदस्य देशों की वार्षिक बैठक होती है, जिसमें सामान्य बहस होती है और कई देशों के प्रमुख भाग लेते हैं।

● संयुक्त राष्ट्र महासभा में शांति और सुरक्षा, नए सदस्यों के प्रवेश और बजट जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर दो-तिहाई बहुमत से निर्णय लिया जाता है, जबकि अन्य मुद्दों पर साधारण बहुमत से निर्णय होता है।

● संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष (Chairman) का चुनाव हर साल महासभा द्वारा एक वर्ष के कार्यकाल के लिए किया जाता है।

● वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में त्रिनिदाद और टोबैगो के स्थायी प्रतिनिधि महामहिम डेनिस फ्रांसिस को महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में चुना गया हैं।

● महासभा के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए छह मुख्य समितियाँ हैं:

1.  प्रथम समिति: निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा

2.  द्वितीय समिति: आर्थिक और वित्तीय मामले

3.  तृतीय समिति: सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक मामले

4.  चतुर्थ समिति: विशेष राजनीतिक और उपनिवेशवाद से मुक्ति के मामले

5.  पंचम समिति: प्रशासनिक और बजटीय मामले

6.  छठी समिति: कानूनी मामले

प्रत्येक मुख्य समिति में, हर सदस्य देश का प्रतिनिधित्व केवल एक व्यक्ति करता है। इसके अलावा, अन्य समितियाँ भी बनाई जा सकती हैं जिनमें सभी सदस्य देशों को प्रतिनिधित्व का अधिकार होता है। सदस्य देश इन समितियों में सलाहकार, तकनीकी सलाहकार (Technical Adviser), विशेषज्ञ (Expert) या समान स्तर के व्यक्तियों को भी नियुक्त कर सकते हैं।

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