Building-Integrated Photovoltaics in India
संदर्भ:
हाल ही में यह देखा गया है कि भारत में बिल्डिंग–इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स (BIPV) को बड़े पैमाने पर अपनाने की पर्याप्त क्षमता है। इसका प्रमुख कारण देश का मजबूत निर्माण आधार (Strong Manufacturing Base) और सतत विकास (Sustainability) के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता है, जो स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को एक अग्रणी स्थान दिला सकती है।
Building-Integrated Photovoltaics in India (BIPV): भारत के शहरी भविष्य के लिए एक सौर समाधान:
BIPV क्या है?
- Building-Integrated Photovoltaics (BIPV) वह प्रणाली है जिसमें सौर (फोटovoltaic) पैनलों को इमारत की संरचना (जैसे छत, कांच, रेलिंग, क्लैडिंग, फसाड) में प्रत्यक्ष रूप से एकीकृत किया जाता है।
- ये पारंपरिक निर्माण सामग्री की जगह लेते हुए बिजली का उत्पादन भी करते हैं – जिससे भवन खुद ऊर्जा स्रोत बन जाता है।
मुख्य विशेषताएं–
- आकर्षक और अनुकूलन योग्य डिज़ाइन: रंग, आकार, पारदर्शिता आदि को कस्टमाइज किया जा सकता है, जिससे वास्तुशिल्प सौंदर्य बना रहता है।
- ऊष्मा नियंत्रण: अर्ध-पारदर्शी पैनल सूरज की गर्मी को कम कर, एयर कंडीशनिंग की जरूरत घटाते हैं।
- भू–उपयोग में कुशल: सीमित स्थान वाले शहरी, आवासीय व वाणिज्यिक भवनों के लिए उपयुक्त।
- निर्माण में एकीकरण: छत, खिड़की, छज्जा आदि में सीधे सौर पैनलों को शामिल किया जा सकता है।
भारत के लिए महत्त्व–
- रूफटॉप स्थान की कमी और जनसंख्या घनत्व को देखते हुए, BIPV भारत के लिए आदर्श है।
- फसाड (दक्षिण दिशा) पर लगे पैनल, रूफटॉप की तुलना में चार गुना ज्यादा बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।
- बिना छत वाले घरों के लिए भी विकल्प – जर्मनी की तरह बालकनी सोलर पैनलों से बिजली बिलों में कटौती संभव।
- ऊष्मा अवरोधक लाभ: अंदरूनी तापमान नियंत्रण बेहतर, ऊर्जा की बचत।
चुनौतियाँ:
- उच्च प्रारंभिक लागत, नीतिगत समर्थन की कमी, और तकनीकी क्षमताओं की कमी।
- स्थानीय विनिर्माण पर निर्भरता नहीं, अधिकतर BIPV आयात पर निर्भर।
- स्पष्ट मानकों, जागरूकता और प्रोत्साहन योजनाओं का अभाव।
सुझाव व आगे की राह–
- 309 GW संभावित क्षमता वाले मौजूदा भवनों को लक्ष्य बनाकर BIPV को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- सरकारी सब्सिडी बढ़ाई जाए (जैसे सियोल में 80% तक की लागत सरकार वहन करती है)।
- BIPV को भवन कोड में अनिवार्य किया जाए, खासकर वाणिज्यिक/औद्योगिक भवनों में।
- पायलट प्रोजेक्ट्स, पब्लिक–प्राइवेट भागीदारी, और स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने हेतु R&D व प्रोत्साहन आवश्यक।
- REESCO मॉडल (Renewable Energy Service Company) और लॉन्ग–टर्म पावर खरीद अनुबंधों से वित्तीय व्यवहार्यता बढ़ाई जा सकती है।
निष्कर्ष:
BIPV (Building-Integrated Photovoltaics) ऊर्जा-सक्षम भवनों की दिशा में एक परिवर्तनकारी समाधान है, जो सौंदर्य और उपयोगिता दोनों को एक साथ जोड़ता है। इसकी सफलता के लिए आवश्यक है:
- मजबूत नीतिगत समर्थन
- वित्तीय प्रोत्साहन योजनाएं
- जन-जागरूकता अभियान