Bureau of Port Security
संदर्भ:
भारत सरकार ने हाल ही में देश की समुद्री सुरक्षा (maritime security) को मजबूत करने के लिए ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी (BoPS) को एक वैधानिक निकाय (statutory body) के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया है।
ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी (BoPS):
ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी (BoPS) भारत सरकार द्वारा जहाजों और बंदरगाह सुविधाओं की सुरक्षा के लिए प्रस्तावित एक समर्पित सांविधिक निकाय है। इसकी घोषणा दिसंबर 2025 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा की गई।
- उद्देश्य: BoPS की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत के 11,098 किमी लंबे समुद्र तट पर जहाजों और बंदरगाह सुविधाओं की सुरक्षा का विनियमन और निरीक्षण करना है।
- गठन: BoPS का गठन हाल ही में अधिनियमित मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 2025 (Merchant Shipping Act, 2025) की धारा 13 के प्रावधानों के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में किया जाएगा।
- मंत्रालय: यह केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (Ministry of Ports, Shipping and Waterways – MoPSW) के तत्वावधान में कार्य करेगा।
- मॉडल: यह नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (Bureau of Civil Aviation Security – BCAS) की तर्ज पर बनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य विमानन क्षेत्र के समान बंदरगाहों के लिए एक एकीकृत और मजबूत सुरक्षा ढांचा प्रदान करना है।
- नेतृत्व: ब्यूरो का नेतृत्व भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक वरिष्ठ अधिकारी (पे लेवल-15) द्वारा महानिदेशक (Director General) के रूप में किया जाएगा। एक वर्ष की संक्रमण अवधि (transition period) के दौरान, नौवहन महानिदेशक (Director General of Shipping) BoPS के महानिदेशक के रूप में कार्य करेंगे।
मुख्य कार्य:
- नियामक और निरीक्षण कार्य: जहाजों और बंदरगाह सुविधाओं से संबंधित सुरक्षा मानकों को निर्धारित करना और उनका अनुपालन सुनिश्चित करना।
- जोखिम-आधारित सुरक्षा: बंदरगाहों की संवेदनशीलता, व्यापार क्षमता, स्थान और अन्य मापदंडों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा उपायों को क्रमबद्ध और जोखिम-आधारित तरीके से लागू करना।
- खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान: सुरक्षा-संबंधी जानकारी का समय पर विश्लेषण, संग्रह और आदान-प्रदान सुनिश्चित करना।
- साइबर सुरक्षा: बंदरगाहों के आईटी बुनियादी ढांचे को डिजिटल खतरों से बचाने के लिए एक समर्पित साइबर सुरक्षा प्रभाग बनाना।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: पत्तन सुविधाओं के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को ‘मान्यता प्राप्त सुरक्षा संगठन’ (Recognised Security Organisation – RSO) के रूप में नामित किया गया है, जो सुरक्षा मूल्यांकन और योजनाएँ तैयार करेगा, साथ ही निजी सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षित भी करेगा।
महत्व:
- एकीकृत ढांचा: वर्तमान में तटीय सुरक्षा जिम्मेदारियाँ कई एजेंसियों (नौसेना, तटरक्षक, राज्य समुद्री पुलिस, CISF) के बीच साझा की जाती हैं, जिससे समन्वय में चुनौतियाँ आती हैं। BoPS एक एकीकृत संस्थागत ढांचा प्रदान करेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन: यह अंतर्राष्ट्रीय जहाज और पत्तन सुविधा सुरक्षा (International Ship and Port Facility Security – ISPS) कोड के अनुपालन को कानूनी अधिकार के साथ लागू करने में मदद करेगा।
- आर्थिक सुरक्षा: भारत के 95% से अधिक व्यापार की मात्रा बंदरगाहों के माध्यम से होती है; इसलिए, मजबूत बंदरगाह सुरक्षा राष्ट्रीय आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

