Carriage of Cargo by Sea Bill 2025
संदर्भ:
संसद ने हाल ही में ‘समुद्र द्वारा माल ढुलाई विधेयक, 2025′ पारित किया है, जो लगभग एक सदी पुराने ‘समुद्र द्वारा माल ढुलाई अधिनियम, 1925′ की जगह लेगा। यह नया कानून वैश्विक व्यापार मानकों के अनुरूप समुद्री माल परिवहन को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Carriage of Goods by Sea Bill 2025: क्या है?
- यह एक नया कानून है जिसे भारत के समुद्री व्यापार कानूनों को आधुनिक बनाने के लिए पारित किया गया है।
- यह लगभग 100 साल पुराने भारतीय समुद्री माल वहन अधिनियम, 1925 को रद्द (repeal) करता है, जो औपनिवेशिक युग का कानून था।
उद्देश्य:
- भारत के शिपिंग कानूनों को वैश्विक मानकों (जैसे Hague–Visby Rules) के अनुरूप बनाना।
- कानूनी भाषा को सरल बनाकर और अनिश्चितताओं को दूर कर व्यापार को आसान बनाना।
- भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करना ताकि वह एक वैश्विक समुद्री व्यापार केंद्र बन सके।
- भविष्य में अंतरराष्ट्रीय समुद्री संधियों को शीघ्र अपनाने में भारत को सक्षम बनाना।
मुख्य विशेषताएँ:
- पुराने कानून को समाप्त करता है: 1925 के अधिनियमको रद्द करता है और आधुनिक समुद्री कानून लागू करता है।
- Hague–Visby Rules को अपनाता है: माल वहन दस्तावेज़ (bills of lading) औरकार्गो जिम्मेदारी से जुड़े अंतरराष्ट्रीय मानकों को लागू करता है।
- वाहक की जिम्मेदारियों का स्पष्ट निर्धारण: वाहक (carrier)की जिम्मेदारियों, अधिकारों और छूटों को कोडिफाई करता है, जिससे विवाद कम होंगे।
- वैश्विक संधियों के लिए सरकार को अधिकार: केंद्र सरकार कोनोटिफिकेशन के माध्यम से नए अंतरराष्ट्रीय समुद्री समझौतों को अपनाने का अधिकार देता है।
- व्यापार सुगमता को बढ़ावा: कानूनी सरलता और स्पष्टताको बढ़ावा देता है, जिससे समुद्री अनुबंधों में सहूलियत और अनुपालन बोझ में कमी होती है।
- संसदीय निगरानी: अंतरराष्ट्रीय कानूनों को अपनाने से जुड़ीकार्यपालिका की निर्णय प्रक्रिया पर विधायी समीक्षा सुनिश्चित करता है।
- भविष्य के लिए तैयार ढांचा: यह कानून भारत कोवैश्विक शिपिंग परिवर्तनों के अनुसार तेजी से अनुकूल बनाने में मदद करता है और उसकी स्थिति को मजबूत समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में स्थापित करता है।
Hague-Visby Rules क्या हैं?
- ये एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कानूनी मानक हैं, जो समुद्र के रास्ते माल के परिवहन को नियंत्रित करते हैं।
- ये मूल Hague Rules, 1924 में संशोधन के रूप में अपनाए गए थे।
- ये नियम कई देशों (भारत सहित) में कार्गो उत्तरदायित्व कानून (Cargo Liability Law) की मुख्य आधारशिला हैं।
उत्पत्ति और विकास (Origin and Evolution):
- Hague Rules (1924)
- वाहकों (Carriers)की बुनियादी जिम्मेदारियों और उत्तरदायित्वों को निर्धारित किया।
- Hague–Visby प्रोटोकॉल (1968)
- आधुनिक शिपिंग प्रथाओंको ध्यान में रखते हुए मौजूदा नियमों को अपडेट किया गया।
- SDR प्रोटोकॉल (1979)
Special Drawing Rights (SDR) के माध्यम से मुआवज़े की मानकीकृत सीमा (Standardized Compensation Limits) निर्धारित की गई।