Chabahar Port
संदर्भ:
अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट से जुड़ी प्रतिबंधों में दी गई छूट (sanctions waiver) को 29 सितंबर से प्रभावी रूप से वापस ले लिया है। इस कदम का सीधा असर भारत की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और व्यापार योजनाओं पर पड़ेगा, क्योंकि चाबहार पोर्ट भारत के लिए मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक पहुँच का एक अहम मार्ग माना जाता है।
2018 में दी गई थी छूट:
- चाबहार बंदरगाह को 2018 में अफगानिस्तान की मदद और क्षेत्रीय विकास के लिए अमेरिका की ओर से खास छूट दी गई थी, लेकिन अब यह छूट रद्द कर दी गई है।
- भारत इस बंदरगाह का इस्तेमाल अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक पहुँचने के लिए करता है, ताकि व्यापार और कनेक्टिविटी के लिए पाकिस्तान के रास्ते पर निर्भर न रहना पड़े।
छूट खत्म होने के पीछे अमेरिकी तर्क:
- अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चाबहार बंदरगाह को दी गई छूट जारी करने की परिस्थितियां अब बदल गई हैं।
- 2018 में जब यह छूट दी गई थी, तब अफगानिस्तान में एक निर्वाचित सरकार थी और पोर्ट का इस्तेमाल खाद्य और पुनर्निर्माण सामग्री के लिए किया जाता था। लेकिन 2021 में तालिबान के सत्ता में आने और भारत द्वारा पोर्ट के विस्तार तथा International North-South Transport Corridor से जोड़ने की घोषणा के बाद, अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी कि यह परियोजना ईरान को नए वाणिज्यिक मार्ग दे सकती है।
भारत के लिए चाबहार बंदरगाह का महत्व:
- चाबहार बंदरगाह दक्षिण-पूर्वी ईरान में ओमान की खाड़ी के तट पर स्थित है और ईरान का एकमात्र गहरे पानी वाला समुद्री बंदरगाह है। यह बंदरगाह भारत, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के लिए व्यापार और कनेक्टिविटी का एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है।
- भारत इस बंदरगाह को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के हिस्से के रूप में विकसित कर रहा है, जो रूस और यूरोप को मध्य एशिया के माध्यम से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण पारगमन परियोजना है। चाबहार बंदरगाह, पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के नज़दीक स्थित होने के कारण, भारत के लिए रणनीतिक और भू-राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
चाबहार पोर्ट के बारे मे:
चाबहार पोर्ट दक्षिण-पूर्वी ईरान में स्थित है, ओमान की खाड़ी के किनारे, और यह ईरान का एकमात्र महासागरीय बंदरगाह है।
- यह दो अलग-अलग बंदरगाहों- शाहिद कलंतरी और शाहिद बेहेश्ती से मिलकर बना है। चाबहार पोर्ट पाकिस्तानी बंदरगाह ग्वादर से केवल लगभग 170 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।
स्थान और रणनीतिक महत्व:
- चाबहार बंदरगाह, ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत के मक़रान तट पर स्थित है और यह सीधे हिंद महासागर तक पहुंच वाला ईरानी बंदरगाह है।
- अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों जैसे तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के करीब होने के कारण इसे इन भूमि-रुद्ध देशों का “गोल्डन गेट” कहा जाता है। बंदरगाह ज़हेदान से लगभग 700 किलोमीटर दूर है, जो प्रांत की राजधानी है।
- चाबहार पोर्ट न केवल ईरान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत और मध्य एशियाई देशों के लिए भी एक रणनीतिक और आर्थिक कनेक्टिविटी हब के रूप में कार्य करता है।
चाबहार पोर्ट का विकास:
- चाबहार पोर्ट का विकास सबसे पहले 1973 में ईरान के अंतिम शाह द्वारा प्रस्तावित किया गया था, लेकिन 1979 की ईरानी क्रांति के कारण यह कार्य स्थगित हो गया। पोर्ट का पहला चरण 1983 में ईरान-इराक युद्ध के दौरान खोला गया, जब ईरान ने समुद्री व्यापार को फारस की खाड़ी के पोर्ट्स की बजाय पाकिस्तानी सीमा की ओर स्थानांतरित करना शुरू किया, ताकि इराकी एयर फ़ोर्स के हमलों के जोखिम को कम किया जा सके।