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चाबहार पोर्ट (Chabahar Port) | Ankit Avasthi Sir

Chabahar Port

Chabahar Port

संदर्भ:

भारत को ईरान के चाबहार पोर्ट परियोजना में संचालन के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों से 6 महीने की छूट दी गई है। यह छूट 29 सितंबर 2025 से प्रभावी हुई है।

  • विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह निर्णय भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि चाबहार पोर्ट भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच क्षेत्रीय संपर्क (Regional Connectivity) को बढ़ावा देने वाला एक प्रमुख प्रोजेक्ट है।
  • यह छूट भारत को मध्य एशिया तक सुगम व्यापारिक पहुंच और चीनपाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के विकल्प के रूप में एक मजबूत रणनीतिक स्थिति प्रदान करती है।

चाबहार बंदरगाह के बारे में:

  1. स्थान (Location):
    • यहओमान की खाड़ी (Gulf of Oman) के मुहाने पर स्थित है।
    • ईरान के दक्षिण-पूर्वी सिस्तान-बालूचिस्तान प्रांतमें स्थित है।
    • यहचीन-नियंत्रित ग्वादर बंदरगाह (Gwadar Port, पाकिस्तान) के पास स्थित है।

  1. महत्त्व (Importance):
    • यहईरान का एकमात्र समुद्री (Oceanic) बंदरगाह है।
    • यहईरान का पहला गहरे पानी वाला बंदरगाह (Deepwater Port) है, जो उसे वैश्विक समुद्री व्यापार मार्ग (Global Oceanic Trade Route) से जोड़ता है।
  2. रणनीतिक भूमिका (Strategic Role):
    • यहअंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) का हिस्सा है।
    • यह गलियाराहिंद महासागर और फारस की खाड़ी को कैस्पियन सागर से जोड़ता है और फिर रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप तक जाता है।
  3. विकास (Development):
    • चाबहार परियोजनापर भारत और ईरान के बीच 2003 में समझौता हुआ था।
    • बंदरगाह का विकासचार चरणों (Phases) में किया जा रहा है।
    • इसमें दो मुख्य बंदरगाह शामिल हैं —
      • शहीद कलांतरी बंदरगाह– जिसका विकास 1980 के दशक में हुआ।
      • शहीद बेहेश्ती बंदरगाह- जिसका विकास वर्तमान में भारत की सहायता से किया जा रहा है।

चाबहार बंदरगाह में भारत की भूमिका

  1. 2002 – प्रारंभिक चर्चा: भारत की भागीदारी पर पहली बारराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तर पर चर्चा हुई।
  2. 2003 – वाजपेयीखातमी समझौता:
    • ईरान के राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी की भारत यात्राके दौरान नई दिल्ली घोषणा पर हस्ताक्षर हुए।
    • इस घोषणा मेंचाबहार परियोजना को प्रमुख परियोजनाओं में शामिल किया गया।
  1. धीमी प्रगति: अमेरिका द्वारा ईरान को “Axis of Evil” (इराक और उत्तर कोरिया के साथ) घोषित करने के बाद,
    भारत-अमेरिका संबंधों के कारणभारत को परियोजना में धीमा कदम उठाना पड़ा।
  2. 2015 – समझौता ज्ञापन (MoU):
    • भारत और ईरान नेसमझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
    • भारत नेशहीद बेहेश्ती टर्मिनल को विकसित करने की सहमति दी।
  3. 2015 के बाद प्रगति:
    • JCPOA समझौते सेअमेरिका-ईरान संबंधों में सुधार आया।
    • इससेचाबहार परियोजना पर ध्यान और गति बढ़ी।
  4. 2016 – त्रिपक्षीय समझौता:
    • भारत, ईरान और अफगानिस्तानने अंतरराष्ट्रीय परिवहन और ट्रांजिट कॉरिडोर (International Transport and Transit Corridor) के लिए समझौता किया।
    • इस समझौते नेचाबहार बंदरगाह को क्षेत्रीय संपर्क (Regional Connectivity) का केंद्र बनाया।
  5. 2018 – भारत का संचालन नियंत्रण: शहीद बेहेश्ती टर्मिनलका संचालन India Ports Global Limited (IPGL) के माध्यम से भारत के नियंत्रण में आया।

चाबहार बंदरगाह का महत्व

  • भारत कोअफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरोप तक सीधी पहुँच देता है।
  • पाकिस्तान को बायपासकरने वाला वैकल्पिक व्यापार मार्ग।
  • मध्य एशिया में व्यापार और निवेशके नए अवसर।
  • ग्वादर पोर्टके मुकाबले भारत का सामरिक प्रभाव बढ़ाता है।
  • ऊर्जा आपूर्ति और कनेक्टिविटीको मजबूत करता है।
  • INSTC कॉरिडोरको गति देने वाला प्रमुख बंदरगाह।

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