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चीन में पहली बार थोरियम ईंधन रूपांतरण से 100 मेगावाट पिघले-नमक रिएक्टर का मार्ग प्रशस्त हुआ (China First-ever Thorium Fuel Conversion Paves Way for 100MW Molten-salt Reactor) | UPSC

China First-ever Thorium Fuel Conversion Paves Way for 100MW Molten-salt Reactor

China First-ever Thorium Fuel Conversion Paves Way for 100MW Molten-salt Reactor

संदर्भ:

चीन ने उन्नत परमाणु ऊर्जा (advanced nuclear energy) के क्षेत्र में एक बड़ा वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। देश ने पहली बार थोरियम  को यूरेनियम ईंधन में सफलतापूर्वक परिवर्तित किया है। यह उपलब्धि चीन के थोरियम मॉल्टन सॉल्ट रिएक्टर (Thorium Molten Salt Reactor – TMSR) में हासिल की गई है, जो भविष्य में स्वच्छ और अधिक सुरक्षित परमाणु ऊर्जा उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

थोरियमआधारित पिघले हुए लवण रिएक्टर (TMSR): परमाणु ऊर्जा में क्रांतिकारी उपलब्धि:

  • महत्वपूर्ण उपलब्धि:
    • यह दुनिया में पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने पिघले हुए लवण रिएक्टर (Molten Salt Reactor – MSR) के भीतर थोरियम संचालन से संबंधित प्रायोगिक डेटा प्राप्त किया है।
    • यह सफलता 2 मेगावॉट क्षमता वाले तरल ईंधन आधारित थोरियम पिघला लवण रिएक्टर (TMSR) को दुनिया का एकमात्र संचालित उदाहरण बनाती है जिसने थोरियम ईंधन को सफलतापूर्वक लोड और उपयोग किया है।
  • पिघला लवण रिएक्टर (Molten Salt Reactor – MSR) क्या है?
    • यह चौथी पीढ़ी का परमाणु रिएक्टर है जो पारंपरिक ठोस ईंधन रॉड और पानी की जगह पिघले हुए लवण को ईंधन वाहक और कूलेंट दोनों के रूप में उपयोग करता है।
    • यह रिएक्टर वायुमंडलीय दबाव पर और लगभग 700°C के उच्च तापमान पर संचालित होता है।
    • इसमें तरल ईंधन का निरंतर परिसंचरण संभव है, जिससे चलते-चलते ईंधन पुनर्भरण (on-the-fly refuelling) किया जा सकता है।
  • थोरियम से यूरेनियम रूपांतरण प्रक्रिया:
    • थोरियम232 – न्यूट्रॉन अवशोषित करता है – थोरियम233 बनता है, जो प्रोटैक्टिनियम233 में विघटित होता है और अंततः यूरेनियम233 (विखंडनीय पदार्थ) में परिवर्तित होता है।
    • यह प्रक्रिया “burn while breeding” चक्र कहलाती है, जो स्वनिर्भर और अत्यंत ईंधनकुशल होती है।
    • यह रूपांतरण रिएक्टर के अंदर ही होता है, जिससे बाहरी ईंधन निर्माण (external fuel fabrication) की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।

थोरियम आधारित पिघला लवण रिएक्टर (TMSR) के प्रमुख लाभ:

सुरक्षा:

  • यह रिएक्टर वायुमंडलीय दबाव पर संचालित होता है, जिससे विस्फोट या रिसाव का खतरा बहुत कम होता है।
  • पिघले हुए लवण रेडियोधर्मी पदार्थों को अपने अंदर ही फंसा लेते हैं, जिससे बाहरी प्रदूषण की संभावना घटती है।
  • किसी भी आपात स्थिति में स्वचालित ड्रेन सिस्टम सक्रिय होकर ईंधन को सुरक्षित भंडारण टैंक में भेज देता है।

दक्षता (Efficiency):

  • तरल ईंधन का सतत परिसंचरण रिएक्टर को अधिकतम ईंधन उपयोग की क्षमता देता है।
  • इससे ईंधन की बर्बादी न्यूनतम होती है और ऊर्जा उत्पादन अधिकतम।

कम जल आवश्यकता:

  • यह प्रणाली शीतलन के लिए पानी पर निर्भर नहीं है, क्योंकि पिघले लवण स्वयं कूलेंट का कार्य करते हैं।
  • इसलिए यह भीतरी (inland) या शुष्क क्षेत्रों में भी उपयुक्त है।

कम रेडियोधर्मी अपशिष्ट: पारंपरिक यूरेनियम रिएक्टरों की तुलना में यह लंबे समय तक सक्रिय रहने वाले परमाणु अपशिष्ट बहुत कम उत्पन्न करता है।

ईंधन की प्रचुरता (Fuel Abundance):

  • थोरियम यूरेनियम की तुलना में 3–4 गुना अधिक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  • इससे यह रिएक्टर दीर्घकालिक और स्थायी ऊर्जा स्रो के रूप में अत्यधिक संभावनाशील है।

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