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भारत की शास्त्रीय भाषाएँ (Classical Languages of India) | Apni Pathshala

Classical Languages of India

Classical Languages of India

संदर्भ:

भारत सरकार ने पांच और भाषाओं — मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला — को शास्त्रीय भाषाओं की सूची में शामिल किया है। इसके साथ ही देश में मान्यता प्राप्त शास्त्रीय भाषाओं की कुल संख्या बढ़कर 11 हो गई है।

शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त करने के मानदंड (Criteria for Classical Language Status):

किसी भाषा को शास्त्रीय भाषा (Classical Language) के रूप में वर्गीकृत करने के लिए, भारत के संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) द्वारा निर्धारित कुछ विशेष मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है। इन मानदंडों में हाल ही में 2024 में संशोधन किया गया था।

मुख्य मानदंड (Main Criteria):

  1. प्राचीनता: भाषा के प्रारंभिक ग्रंथों या दर्ज इतिहास की अवधि 1,500 से 2,000 वर्षों तक की होनी चाहिए।
  2. प्राचीन साहित्य: भाषा में प्राचीन साहित्य और ग्रंथों का ऐसा भंडार होना चाहिए जिसे उसके वक्ताओं द्वारा महान सांस्कृतिक धरोहर (valuable heritage) माना जाता हो।
  3. मौलिक साहित्यिक परंपरा: भाषा की साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए, न कि किसी अन्य भाषा या समुदाय से उधार ली गई (borrowed)।
  4. आधुनिक रूपों से भिन्नता: शास्त्रीय भाषा और उसका साहित्य आधुनिक रूपों या उसकी उपभाषाओं से स्पष्ट रूप से भिन्न (distinct) होना चाहिए। इसके साथ ही, शास्त्रीय और बाद के संस्करणों के बीच स्पष्ट अंतराल (discontinuity) भी हो सकता है।
  5. ज्ञानग्रंथों की उपस्थिति: भाषा में ज्ञान से संबंधित ग्रंथ (knowledge texts), विशेष रूप से गद्य साहित्य (prose) के साथ-साथ काव्य साहित्य (poetry) भी होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, इसमें शिलालेखों और अभिलेखीय प्रमाणों (epigraphical and inscriptional evidence) का होना भी आवश्यक है।

भारत की शास्त्रीय भाषाएँ:

छह भारतीय भाषाओं — तमिल, संस्कृत, कन्नड़, तेलुगु, मलयालम और ओड़िया — को 2004 से 2024 के बीच शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। इन सभी शास्त्रीय भाषाओं को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है।

शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने का महत्व:

शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से भाषा के संरक्षण (preservation) और प्रचारप्रसार (promotion) के लिए कई लाभ प्राप्त होते हैं —

  1. शैक्षणिक सहायता (Academic Support): सरकार इन भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान केंद्र (research centres) और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक अध्यापन पद (academic chairs) स्थापित करती है।
  2. पुरस्कार (Awards): भारतीय शास्त्रीय भाषाओं के अध्ययन में उत्कृष्ट योगदान देने वाले विद्वानों के लिए दो वार्षिक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाते हैं।
  3. वित्तीय सहायता (Funding): इन भाषाओं के संरक्षण, प्रलेखन और प्राचीन ग्रंथों के डिजिटलीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  4. सांस्कृतिक गौरव (Cultural Prestige): यह दर्जा भाषा की प्रतिष्ठा बढ़ाता है और उसके भाषाभाषियों में गर्व की भावना (sense of pride) उत्पन्न करता है।

आठवीं अनुसूची (Eighth Schedule)

  • संविधान की आठवीं अनुसूची में भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषाओं की सूची दी गई है।
  • भारतीय संविधान का भाग XVII (Part XVII) अनुच्छेद 343 से 351 तक राजकीय भाषाओं से संबंधित है।

वर्तमान में आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाएँ: असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी।

ऐतिहासिक क्रम:

  1. प्रारंभ में 14 भाषाएँ संविधान में शामिल थीं।
  2. सिंधी भाषा को 1967 में जोड़ा गया।
  3. कोंकणी, मणिपुरी नेपाली भाषाएँ 1992 में जोड़ी गईं।
  4. बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली भाषाएँ 92वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के तहत जोड़ी गईं।

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