Cloud Seeding
संदर्भ:
दिल्ली सरकार, आईआईटी कानपुर के सहयोग से, क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के माध्यम से कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) कराने के परीक्षण कर रही है, ताकि गंभीर वायु प्रदूषण (Air Pollution) से निपटा जा सके। यदि मौसम अनुकूल रहा, तो पहला पूर्ण पैमाने का संचालन 28 से 30 अक्टूबर 2025 के बीच किए जाने की संभावना है।
हालिया परीक्षण और नियोजित संचालन:
- परीक्षण उड़ान: अक्टूबर 2025 में बुराड़ी क्षेत्र के ऊपर एक सफल परीक्षण उड़ान संचालित की गई। इस उड़ान का उद्देश्य विमान की तैयारियों और विभिन्न एजेंसियों के बीचसमन्वय (coordination) की जांच करना था।
- संचालन अवधि: इन उड़ानों को1 अक्टूबर से 30 नवंबर 2025 के बीच, मॉनसून के बाद के धुंध (smog) मौसम में संचालन की अनुमति दी गई है।
- पहली कृत्रिम वर्षा: पहली कृत्रिम वर्षा29 अक्टूबर को की जाने की संभावना है, बशर्ते मौसम विभाग का बादलयुक्त मौसम का पूर्वानुमान सही साबित हो।
- तकनीकी सहयोग: यह₹3.21 करोड़ का संयुक्त प्रोजेक्ट दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर के बीच किया जा रहा है। आईआईटी कानपुर ने सीडिंग मटेरियल विकसित किया है और इसके लिए संशोधित सेसना विमान का उपयोग किया जा रहा है।
क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding):
क्लाउड सीडिंग एक मौसम संशोधन (weather modification) तकनीक है, जिसमें रासायनिक पदार्थ (chemical substances) को हवा में छिड़ककर कृत्रिम रूप से वर्षा (rainfall) उत्पन्न की जाती है। ये पदार्थ क्लाउड कंडेनसेशन न्यूक्लियाई (cloud condensation nuclei) का काम करते हैं।
क्लाउड कंडेनसेशन न्यूक्लियाई: ये छोटे कण होते हैं, जिन पर जलवाष्प संघनित होकर बादल बनाता है।
उपयोग होने वाले रासायनिक पदार्थ:
- सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide)
- पोटेशियम आयोडाइड (Potassium Iodide)
- ड्राई आइस (Dry Ice – ठोस कार्बन डाइऑक्साइड)
- लिक्विड प्रोपेन (Liquid Propane)
काम करने की शर्तें:
- हवा में पहले से पर्याप्त बादल होना चाहिए।
- लंबी और नमी वाली बादलों (tall, moist clouds) की आवश्यकता होती है।
- कम हवा की गति (low wind conditions) अनुकूल होती है।
प्रदूषण कम करना: कृत्रिम वर्षा वायु से धूल और प्रदूषक कणों को धोकर वातावरण को साफ करती है।
क्लाउड सीडिंग के तरीके:
- हाइज्रोस्कोपिक क्लाउड सीडिंग: बादलों के निचले हिस्सों मेंनमक (salts) को विस्फोटकों (explosives) के माध्यम से छिड़का जाता है।
- स्टैटिक क्लाउड सीडिंग: बादलों मेंसिल्वर आयोडाइड क्रिस्टल (silver iodide crystals) जैसी रसायनियों का छिड़काव किया जाता है।
- डायनामिक क्लाउड सीडिंग: ऊर्ध्वाधर वायुमंडलीय प्रवाह (vertical air currents) को बढ़ावा देकर अधिक पानी को बादलों से होकर गुजरने दिया जाता है, जिससेअधिक वर्षा होती है।
क्लाउड सीडिंग की सीमाएँ:
- सूखे की समस्या को पूरी तरह हल नहीं कर सकता: यह केवल पानी की आवश्यकताओं को आंशिक रूप से पूरा कर सकता है।
- सभी बादल उपयुक्त नहीं होते: हर बादल से वर्षा उत्पन्न नहीं की जा सकती।
- नमी अनिवार्य है: इसके लिएनमी युक्त बादलों (moisture-bearing clouds) का होना जरूरी है।
- असामान्य मौसम पैदा कर सकता है: उदाहरण के लिए, प्राकृतिक रूप से कम नमी वाले क्षेत्र में अधिक वर्षा होने सेफ्लैश फ्लड (flash floods) का खतरा बढ़ सकता है।
- पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: क्लाउड सीडिंग में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थविषैले होते हैं।
- वैश्विक गर्मी में योगदान: इसमें प्रयुक्त रसायनग्रीनहाउस गैसों (GHGs) का स्रोत भी होते हैं।


