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तेलंगाना में शीतलहर का अंत (Cold wave ends in Telangana) | UPSC Preparation

Cold wave ends in Telangana

Cold wave ends in Telangana

संदर्भ:

तेलंगाना में पिछले लगभग 12 दिनों से जारी शीतलहर (Cold Wave) का प्रभाव अब समाप्त हो चुका है। राज्य में रात के तापमान में तेज़ और अचानक वृद्धि देखी गई है। Telangana Development Planning Society (TDPS) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, कई स्थानों पर रात के तापमान में लगभग 4°C की वृद्धि दर्ज की गई है। 

शीतलहर क्या है?

शीतलहर एक मौसम संबंधी चरम घटना है जिसमें दिन और विशेषकर रात का तापमान सामान्य औसत से बहुत कम हो जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जब किसी क्षेत्र का न्यूनतम तापमान लगातार 2 दिनों तक समान्य से 4.5°C या उससे अधिक कम हो जाए, या जब तापमान 4°C या उससे कम दर्ज हो, तब उस स्थिति को शीतलहर कहा जाता है। यह घटना आमतौर पर उत्तर तथा मध्य भारत में प्रमुख रूप से दिखती है।

शीतलहर बनने के प्रमुख कारक:

    • उत्तरी-पश्चिमी ठंडी हवाएँ: हिमालय क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ गुजरने के बाद ठंडी और शुष्क हवाएँ मैदानी इलाकों की ओर बढ़ती हैं। ये हवाएँ दिन और रात—दोनों तापमानों को तेजी से गिरा देती हैं।

  • बादलों की अनुपस्थिति (Clear Sky Conditions): आसमान साफ होने से रात में विकिरणीय शीतन (radiational cooling) तेज होता है। इससे सतह तेजी से ठंडी होती है।

  • उच्च दबाव प्रणाली (High Pressure Area): उत्तर–पश्चिम भारत में उच्च दबाव बनने से ठंडी हवा नीचे की सतह पर फँस जाती है, जो तापमान को कम करती है।

  • पश्चिमी विक्षोभ: जैसे ही पश्चिमी विक्षोभ पूर्व की ओर निकलता है, उसके पीछे की ओर ठंडी और शुष्क हवा का प्रवाह शुरू होता है।

  • स्थलाकृति और स्थानीय कारक: कुछ घाटियाँ, पठारी क्षेत्र और जंगल वाले इलाके रात में बहुत अधिक ठंडे हो जाते हैं क्योंकि वे तेजी से उष्मा उत्सर्जित करते हैं।

कब किसी स्थिति को शीतलहर कहा जाता है? 

IMD के अनुसार, किसी क्षेत्र में तापमान के आधार पर शीतलहर की घोषणा निम्न स्थितियों में होती है:

  • समतल क्षेत्रों (Plains) में न्यूनतम तापमान 10°C या उससे कम हो
    और तापमान सामान्य से 4.5°C से 6.4°C कम हो → शीतलहर तथा तापमान सामान्य से 6.5°C या उससे कम हो → गंभीर शीतलहर।

  • पहाड़ी क्षेत्र (Hilly Areas) में न्यूनतम तापमान 0°C से 10°C
    औरनसामान्य से 4.5°C या अधिक की कमी को शीतलहर कहते है।

शीतलहर के प्रभाव

  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: हाइपोथर्मिया, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, वृद्ध, बच्चे और गरीब वर्ग सबसे अधिक प्रभावित, श्वसन समस्याओं का बढ़ना।

  • कृषि पर प्रभाव: रबी फसलें (गेहूँ, चना, सरसों, सब्जियाँ) प्रभावित, फसल वृद्धि दर धीमी, पाले (frost) की संभावना, जिससे फसल नष्ट हो सकती है।

  • सामाजिक और आर्थिक प्रभाव: बेघर लोगों पर गंभीर खतरा, स्कूल व बाहरी गतिविधियाँ प्रभावित, बिजली की मांग बढ़ जाती है, परिवहन प्रभावित (कोहरा व कम दृश्यता के कारण)। 

  • पारिस्थितिकी पर प्रभाव: वन्यजीवों के व्यवहार में बदलाव, घासभूमियों में सूखापन, जलस्रोतों में तापमान गिरावट।

शीतलहर प्रबंधन:

    • पूर्व चेतावनी प्रणाली (Early Warning System): IMD द्वारा जारी एडवाइजरी की व्यापक प्रसार व्यवस्था—TV, रेडियो, मोबाइल अलर्ट।

  • सामुदायिक और प्रशासनिक उपाय: बेघर लोगों के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था, स्वास्थ्य शिविर, स्कूलों में समय परिवर्तन, ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक हीटिंग व्यवस्था।

  • कृषि प्रबंधन: रात में खेतों में धुआँ करके तापमान नियंत्रित करना, फसलों पर हल्की सिंचाई ताकि पाला बनने से रोका जा सके, कृषि मौसम सलाह का पालन।

  • व्यक्तिगत स्तर पर उपाय: पर्याप्त ऊनी वस्त्र, हीटर का सुरक्षित उपयोग, रात में खुली जगह पर सोने से बचना।

  • दीर्घकालिक नीति: जलवायु-लचीली (Climate-resilient) कृषि, शहरी क्षेत्रों के लिए Cold Wave Action Plan, स्थानीय मौसम निगरानी नेटवर्क का विस्तार।

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