Colombo Security Conference 2025

संदर्भ:
हाल ही में ,नई दिल्ली में कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) की 7वीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार-स्तरीय बैठक आयोजित की गई , जिसमें भारत ने सदस्य देशों के साथ क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा पर व्यापक विमर्श किया।
कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) क्या है?
CSC हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में क्षेत्रीय सुरक्षा, समुद्री सहयोग और उभरते खतरों का मुकाबला करने हेतु स्थापित बहुपक्षीय सुरक्षा ढांचा है। इसका उद्देश्य सदस्य देशों में साझा सुरक्षा हितों पर आधारित समन्वय बढ़ाना, क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करना और गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों—जैसे समुद्री अपराध, साइबर खतरे और आतंकवाद—से संयुक्त रूप से निपटना है। CSC भारत की “Security and Growth for All in the Region (SAGAR)” नीति के अनुरूप एक महत्वपूर्ण मंच है।
7वीं कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) 2025:
7वीं NSA-स्तरीय बैठक 20 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता भारत के NSA अजीत डोभाल ने की। इसमें भारत के अलावा सदस्य देशों मालदीव, मॉरीशस, श्रीलंका, बांग्लादेश ने भी भाग लिया।
- इस बैठक में ऑब्जर्वर सेशेल्स को CSC का छठा पूर्ण सदस्य बनाने का निर्णय लिया गया।
- इस बैठक में विशेष अतिथि के रूप में मलेशिया को प्रथम बार आमंत्रित किया गया।
- बैठक में 6वीं बैठक (मॉरीशस, 2023) के निर्णयों और प्रगति की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की गई।
- बैठक में पहली बार CSC के पहले महासचिव (भारत द्वारा नियुक्त) ने औपचारिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- इस बैठक में भविष्य के लिए संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम, समुद्री निगरानी तंत्र (MSA) विस्तार, मल्टी-नेशन साइबर-एक्सरसाइज़ पर सहमति जताई गई।
कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) में सहयोग के पाँच स्तंभ:
- समुद्री सुरक्षा: समुद्री निगरानी, अवैध गतिविधियों की रोकथाम, और खोज एवं बचाव (SAR) क्षमता पर सहयोग बढ़ाना। IOR में जहाज़रानी मार्गों की सुरक्षा पर साझा दृष्टिकोण विकसित करना।
- आतंकवाद और उग्रवाद-रोधी सहयोग: तटीय राज्यों में उभरते आतंकवादी नेटवर्क और समुद्र-आधारित आतंकवाद की चुनौतियों पर संयुक्त आकलन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों और सूचना-साझेदारी की नई संरचनाओं पर विचार करना।
- मानव-तस्करी और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध: ड्रग तस्करी, हथियारों की अवैध आवाजाही और समुद्री मार्गों से मानव-तस्करी पर संयुक्त ऑपरेशनल समन्वय की आवश्यकता पर बल देना।
- साइबर सुरक्षा और महत्वपूर्ण अवसंरचना संरक्षण: साइबर हमलों की बढ़ती जटिलता को देखते हुए CSIRT-स्तर के सहयोग को बढ़ाने पर विचार करना। क्रिटिकल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साझा सुरक्षा मानकों पर सहयोग को बढ़ावा देना।
- मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR): IOR में बारंबार आने वाले चक्रवातों और समुद्री आपदाओं से निपटने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया प्रणालियों को मजबूत करने पर चर्चा हुई।
