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RuO₂ में अल्टरमैग्नेटिज़्म की पुष्टि (Confirmation of ultramagnetism in RuO₂) | Apni Pathshala

Confirmation of ultramagnetism in RuO₂

Confirmation of ultramagnetism in RuO₂

संदर्भ:

हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैटेरियल्स साइंस (जापान) के नेतृत्व में किए गए एक महत्वपूर्ण शोध में यह प्रमाणित किया गया कि रुथेनियम डाइऑक्साइड (RuO₂) की पतली परतें अल्टरमैग्नेटिज़्म प्रदर्शित करती हैं। यह खोज चुंबकत्व की तीसरी मौलिक श्रेणी की व्यावहारिक पुष्टि मानी जा रही है और इसे उच्च गति उच्च घनत्व स्मृति उपकरणों के लिए निर्णायक माना जा रहा है।

अल्टरमैग्नेटिज़्म का वैज्ञानिक आधार:

  • परंपरागत रूप से चुंबकत्व को फेरोमैग्नेटिज़्म और एंटीफेरोमैग्नेटिज़्म में विभाजित किया गया था। फेरोमैग्नेटिक पदार्थों में सभी स्पिन एक दिशा में होते हैं, जिससे शुद्ध चुंबकीय क्षेत्र बनता है। एंटीफेरोमैग्नेटिक पदार्थों में स्पिन विपरीत दिशाओं में होकर एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं। 
  • अल्टरमैग्नेटिज़्म इन दोनों से अलग है। इसमें शुद्ध चुंबकीय क्षेत्र शून्य होता है, लेकिन फिर भी स्पिन-विभाजित इलेक्ट्रॉनिक बैंड उपस्थित रहते हैं। यह विशेषता इसे विद्युत रूप से पढ़ने योग्य बनाती है, जो इसे अगली पीढ़ी की तकनीक के लिए उपयुक्त बनाती है।

RuO₂ को आदर्श अल्टरमैग्नेट क्यों माना गया?

  • RuO₂ को लंबे समय तक गैर-चुंबकीय धातु माना जाता था। किंतु 2017 में न्यूट्रॉन प्रकीर्णन अध्ययनों से इसमें दीर्घ-परास चुंबकीय क्रम के संकेत मिले। 
  • इसके क्रिस्टल ढांचे में रुथेनियम परमाणु भिन्न-भिन्न ऑक्सीजन परिवेश में स्थित होते हैं। यह संरचनात्मक असमानता इलेक्ट्रॉनों को अलग-अलग स्पिन के साथ अलग गति से चलने के लिए बाध्य करती है। 
  • परिणामस्वरूप बिना किसी बाहरी चुंबकीय क्षेत्र के स्पिन-विभाजित बैंड बनते हैं। यही गुण RuO₂ को प्रोटोटाइप अल्टरमैग्नेट बनाता है।

जापान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए प्रयोग की उपलब्धि:

  • RuO₂ में अल्टरमैग्नेटिज़्म को लेकर वैश्विक स्तर पर विरोधाभासी परिणाम सामने आ रहे थे। इसका मुख्य कारण उच्च गुणवत्ता वाली पतली परतों का अभाव था। 
  • जापान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में वैज्ञानिक दल ने सैफायर सब्सट्रेट पर एकल अभिविन्यास वाली RuO₂ पतली परतें विकसित कीं। एक्स-रे चुंबकीय रैखिक द्विवर्णिता तकनीक से स्पिन संरचना की पहचान की गई। 
  • साथ ही स्पिन-विभाजित मैग्नेटोरेज़िस्टेंस को विद्युत रूप से दर्ज कर इस चुंबकत्व की पुष्टि की गई, जो अल्टरमैग्नेटिज़्म की प्रत्यक्ष प्रयोगात्मक पुष्टि मानी जाती है।

इसका महत्व:

  • स्पिनट्रॉनिक्स क्रांति: RuO₂ जैसे अल्टरमैग्नेट ऐसे उपकरण बनाने में सक्षम हैं, जो वर्तमान सिलिकॉन-आधारित तकनीक की तुलना में त्रुटि-प्रतिरोधी, सघन और तीव्र हैं। ये सूक्ष्म-स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक्स में बाधा डालने वाले चुंबकीय क्षेत्रों के बिना “स्पिन-ध्रुवीकृत” धाराएँ प्रदान करते हैं। 
  • अगली पीढ़ी का डेटा संग्रहण: RuO₂ की पतली परतें MRAM (मैग्नेटिक रैंडम एक्सेस मेमोरी) के लिए आदर्श हैं, जो उच्च गति विद्युत रीडआउट के साथ स्थिर, गैर-वाष्पशील संग्रहण प्रदान करती हैं। यह विशेषताएँ इन्हें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उच्च प्रदर्शन संगणना के लिए अत्यंत उपयोगी बनाती हैं।
  • स्पिनट्रॉनिक उत्सर्जक: हाल ही में हुए 2025 के शोध से पता चला है कि RuO₂ हेटरोस्ट्रक्चर का उपयोग ट्यूनेबल टेराहर्ट्ज़ (THz) उत्सर्जक के रूप में किया जा सकता है, जो वायरलेस संचार और इमेजिंग को संभावित रूप से प्रभावित कर सकता है।

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