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क्रेडिट गारंटी योजना (Credit Guarantee Scheme for Exporters) | UPSC Preparation

Credit Guarantee Scheme for Exporters

Credit Guarantee Scheme for Exporters

संदर्भ 

भारत सरकार ने 12 नवंबर 2025 को देश के निर्यात तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एक्सपोर्टर्स (CGSE) को मंजूरी दी। इस योजना के माध्यम से निर्यातकों को ₹20,000 करोड़ तक का बिना गारंटी वाला ऋण उपलब्ध कराया जाएगा, जिस पर नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (NCGTC) द्वारा गारंटी प्रदान की जाएगी।

क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एक्सपोर्टर्स (CGSE) क्या है?

यह भारत सरकार द्वारा बनाई गई नई वित्तीय सहायता योजना है, जिसमें निर्यात करने वाली कंपनियों और MSMEs को बिना किसी गारंटी (Collateral) के बैंक से ऋण दिया जाएगा।

योजना की विशेषताएँ

    • 100% क्रेडिट गारंटी प्रावधान: CGSE योजना के अंतर्गत NCGTC वित्तीय संस्थानों को पूर्ण गारंटी प्रदान करेगा। इससे बैंक और अन्य ऋणदाता संस्थान निर्यातकों को जोखिम रहित तरीके से अतिरिक्त ऋण उपलब्ध करा सकेंगे। 
  • अतिरिक्त ऋण समर्थन: कैबिनेट द्वारा अनुमोदित यह राशि निर्यातकों को नए बाज़ारों में प्रवेश, उत्पादन बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाने और निर्यात-आदेशों को पूरा करने के लिए पर्याप्त वित्तीय क्षमता प्रदान करेगी।
  • MSME और गैर-MSME: अक्सर वित्तीय योजनाएँ MSME केंद्रित होती हैं, परंतु CGSE का दायरा व्यापक है। इससे बड़े निर्यातक भी लाभान्वित होंगे, जिससे पूरे निर्यात नेटवर्क की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी।

योजना का कार्यान्वयन ढांचा

  • DFS और NCGTC: योजना का कार्यान्वयन वित्तीय सेवाएँ विभाग (DFS) द्वारा किया जाएगा। DFS के अधीन NCGTC गारंटी संचालन, जोखिम प्रबंधन और वित्तीय प्रवाह के समन्वयन की जिम्मेदारी निभाएगा।
  • सदस्य ऋणदाता संस्थान (MLIs): MLIs—जिनमें बैंक, NBFC और अन्य स्वीकृत ऋणदाता शामिल हैं—निर्यातकों को ऋण उपलब्ध कराने के मुख्य स्तंभ होंगे। NCGTC इनके द्वारा दिए गए ऋणों को सुरक्षा-कवच प्रदान करेगा।
  • प्रबंधन समिति: DFS सचिव की अध्यक्षता में गठित एक प्रबंधन समिति योजना के क्रियान्वयन, प्रगति, ऋण प्रवाह और प्रभाव का नियमित मूल्यांकन करेगी। यह पारदर्शिता, सुशासन और उत्तरदायित्व को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

योजना का मुख्य उद्देश्य

  • निर्यातकों की तरलता बढ़ाना: योजना का मुख्य लक्ष्य निर्यातकों को पर्याप्त कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराना है, ताकि वे ऑर्डर पूरा करने, कच्चा माल खरीदने और उत्पादन बढ़ाने में सक्षम हों।
  • वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना: कम ब्याज दरों, क्रेडिट सपोर्ट और जोखिम साझा करने से भारतीय निर्यातक अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का मुकाबला बेहतर तरीके से कर सकें।
  • नए देशों में बाज़ार विविधीकरण: योजना निर्यातकों को नए क्षेत्रों और उभरते बाज़ारों में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे भारत कुछ सीमित देशों पर निर्भर न रहे।
  • भारत के $1 ट्रिलियन निर्यात लक्ष्य में सहायता: बड़े पैमाने पर पूंजी और नीति सहायता देकर भारत 2030 तक माल और सेवाओं में $1 ट्रिलियन निर्यात हासिल करने का लक्ष्य रखता है।
  • MSME और उद्योगों में रोजगार बढ़ाना: MSME का निर्यात में 45% योगदान है। पूंजी उपलब्ध होने से उत्पादन बढ़ेगा और इससे बड़े पैमाने पर नए रोजगार भी सृजित होंगे।

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