Criminalisation of Politics
संदर्भ:
एक विश्लेषण से पता चला है कि भारत में 31% सांसद (MPs) और 29% विधायक (MLAs) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। यह आँकड़ा राजनीतिक व्यवस्था में आपराधिक पृष्ठभूमि के बढ़ते प्रभाव को उजागर करता है और चुनावी सुधारों की आवश्यकता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
राजनीति का अपराधीकरण (Criminalisation of Politics)
- परिभाषा– राजनीति का अपराधीकरण उस स्थिति को दर्शाता है जब आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति चुनावी राजनीति में भाग लेते हैं और निर्वाचित पदों पर पहुँच जाते हैं।
- गंभीर आपराधिक आरोप (Serious Criminal Charge)– ऐसे अपराध जिनमें अधिकतम सज़ा पाँच वर्ष या उससे अधिक है, या जो गैर-जमानती (non-bailable) हैं।
- लोकसभा में स्थिति (2009–2024)
- 2009: 14% सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले थे।
- 2024: यह बढ़कर 31% हो गया।
- विधानसभाओं में स्थिति (2024)
- कुल 29% विधायक गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।
- संख्या में यह 1,200 से अधिक है।
- राज्यों की स्थिति
- तेलंगाना: सबसे अधिक सांसद (71%) गंभीर आपराधिक मामलों में।
- बिहार: 48% सांसद।
- उत्तर प्रदेश: सबसे अधिक संख्या में सांसद (34)।
- आंध्र प्रदेश: सबसे अधिक विधायक (56%) गंभीर आपराधिक मामलों में।
- तेलंगाना: 50% विधायक।
- उत्तर प्रदेश: सबसे अधिक संख्या में विधायक – 154 (कुल विधायकों का 38%)।
राजनीति में अपराधीकरण के कारण
- कमज़ोर अयोग्यता कानून– प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (RPA) केवल दोष सिद्ध होने के बाद उम्मीदवार को अयोग्य ठहराता है। चूँकि मुकदमों में वर्षों लग जाते हैं, इसलिए आपराधिक छवि वाले नेता कई चुनाव लड़ लेते हैं।
- पैसा और बाहुबल– जिन अपराधियों के पास धन और स्थानीय प्रभाव होता है, उन्हें “जीतने योग्य उम्मीदवार” माना जाता है।
- मतदाता जागरूकता की कमी– उम्मीदवारों की जानकारी शपथपत्रों में दी जाती है, लेकिन बहुत से मतदाता अनजान रहते हैं या जाति और धर्म के आधार पर वोट करते हैं।
- पार्टियों की मिलीभगत– राजनीतिक दल अक्सर अपराधी छवि वाले उम्मीदवारों को उनकी “लोकप्रियता” और “चुनाव जीतने की संभावना” के आधार पर टिकट दे देते हैं।
- न्यायिक विलंब–बार-बार स्थगन (adjournments) और राजनीतिक दबाव में मुकदमों की वापसी से अपराधी सजा से बच जाते हैं।
- राजनीतिज्ञ–अपराधी–ब्यूरोक्रेसी का गठजोड़-वोहरा समिति (1993) ने पहली बार अपराध सिंडिकेट, नेताओं और राज्य तंत्र की गहरी मिलीभगत की चेतावनी दी थी।
राजनीति के अपराधीकरण का प्रभाव
- लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास– स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का सिद्धांत कमजोर होता है, जिससे मतदाताओं के पास सीमित विकल्प बचते हैं।
- भ्रष्टाचार में वृद्धि– चुनावी धांधली जैसे वोटरों को डराना, बूथ कैप्चरिंग और काले धन का उपयोग बढ़ जाता है।
- जनविश्वास में कमी– बार-बार अपराधी पृष्ठभूमि वाले प्रतिनिधियों के चुनने से मतदाता लोकतांत्रिक संस्थाओं पर विश्वास खोने लगते हैं।
- नीति निर्माण में विकृति– चुने गए प्रतिनिधि सार्वजनिक हित के बजाय अपने आपराधिक नेटवर्क और निजी हितों को सुरक्षित करने के लिए नीतियाँ बनाते हैं।