Cyclone ditwa
संदर्भ:
हाल ही में IMD ने चक्रवात दितवा को लेकर चेतावनी जारी की है। यह दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और श्रीलंका तट के समीप सक्रिय है, जो वर्तमान में भारत और श्रीलंका दोनों के लिए गंभीर मौसमीय जोखिम उत्पन्न कर रहा है। यह वर्तमान में चक्रवाती तूफान श्रेणी में है जिसे IMD द्वारा “सीवियर” स्तर तक उन्नत होने की संभावना कम बताई गई है।
चक्रवात क्या हैं?
चक्रवात समुद्र पर बनने वाला एक तीव्र घूमता हुआ निम्न दाब तंत्र है, जिसमें केंद्र में कम दबाव और आसपास तेज़ हवाएँ तथा भारी वर्षा होती है। यह तब बनता है जब समुद्र की सतह का तापमान लगभग 26.5°C या उससे अधिक हो जाए, जिससे बड़ी मात्रा में गर्म और नम हवा ऊपर उठती है और निम्न दाब क्षेत्र तैयार होता है।
भारत में चक्रवात मुख्यतः बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बनते हैं और मौसम विभाग इन्हें हवा की गति के आधार पर डिप्रेशन, डीप डिप्रेशन, साइकलोनिक स्टॉर्म, सीवियर साइकलोनिक स्टॉर्म आदि श्रेणियों में वर्गीकृत करता है।
चक्रवात दितवा का उद्भव और नामकरण:
- निर्माण की प्रक्रिया: चक्रवात दितवा का उद्भव श्रीलंका तट के निकट बने गहरे दबाव (Deep Depression) से हुआ है। बंगाल की खाड़ी में नवंबर महीने के दौरान समुद्र-पृष्ठ तापमान सामान्य से अधिक होता है, जिससे ऊर्ध्वगामी संवहन बढ़ता है और चक्रवात निर्माण की संभावना उत्पन्न होती है। दितवा ऐसे ही उष्ण जल और वायुमंडलीय अस्थिरता की पृष्ठभूमि में विकसित हुआ।
- नामकरण का स्रोत: “दितवा (Ditwah)” नाम यमन द्वारा सुझाया गया है और इसका संबंध यमन के सोकोट्रा द्वीप स्थित प्रसिद्ध देतवाह लैगून से माना जाता है। यह नामकरण प्रक्रिया दक्षिण एशिया और पश्चिमी हिंद महासागर के देशों द्वारा WMO क्षेत्रीय समिति के माध्यम से किया जाता है, जिसे WMO/ESCAP ट्रॉपिकल साइक्लोन पैनल के रूप में जाना जाता है।
IMD का पूर्वानुमान:
- IMD के अनुसार चक्रवात दितवा उत्तर-उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए तमिलनाडु, पुडुचेरी और दक्षिण आंध्र प्रदेश के निकट क्षेत्रों में गंभीर वर्षा और तेज़ हवाएँ लाएगा।
- तमिलनाडु में तटीय जिलों में मध्यम से अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना है। वहीं आंध्र प्रदेश के रायलसीमा और दक्षिण तटीय जिलों में अत्यंत भारी वर्षा का पूर्वानुमान है।
- इस चक्रवात की हवाओं की गति 60–80 किमी/घं, तीव्र रूप में 90 किमी/घं तक दर्ज होने की संभावना व्यक्त की गई है।
- IMD ने अगले पाँच दिनों तक मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी है। यह चेतावनी अरब सागर की तरफ लक्षद्वीप और मालदीव क्षेत्र में भी लागू की गई है।
चक्रवात के व्यापक प्रभाव:
- जनजीवन में बाधा: चक्रवात आने पर तेज़ हवाएँ और भारी वर्षा सामान्य जीवन को गंभीर रूप से बाधित करती हैं। परिवहन ठप हो जाता है, सड़कें जलमग्न होती हैं और आवश्यक सेवाएँ बाधित होती हैं, जिससे बड़े पैमाने पर असुविधा पैदा होती है।
- बुनियादी ढाँचे को नुकसान: उच्च गति की हवाएँ बिजली लाइनों, संचार टावरों, पुलों और घरों को नुकसान पहुँचाती हैं। इससे बिजली और इंटरनेट सेवाओं का लंबे समय तक बाधित होती है, जो आपदा प्रबंधन को भी प्रभावित करता है।
- कृषि व मत्स्य क्षेत्र पर असर: चक्रवात से खेतों में खड़ी फसलें नष्ट होती हैं, मिट्टी की उर्वरता कम होती है और खारे पानी के प्रवेश से भूमि अस्थायी रूप से अनुपयोगी हो जाती है।
- तटीय इलाकों में बाढ़: उच्च ज्वार और तूफानी लहरें तटीय क्षेत्रों में बाढ़ ला देती हैं। समुद्री जल अंदर आने से पीने का पानी प्रदूषित हो जाता है और तटीय बस्तियाँ खाली करानी पड़ती हैं, जिससे विस्थापन बढ़ता है।
- स्वास्थ्य संबंधी जोखिम: चक्रवात के बाद जलभराव, कचरा तथा दूषित पानी के कारण संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। मेडिकल सुविधाएँ बाधित होने पर उपचार में देरी होती है, जिससे कमजोर आबादी अधिक प्रभावित होती है।

