संदर्भ:
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है, जिसमें ओटीटी (OTT) और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यौन स्पष्ट (sexually explicit) कंटेंट के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका की मुख्य बातें:
- मूल चिंता: याचिकाकर्ता ने इंटरनेट पर अश्लील, यौन विकृत, पैडोफिलिक (बाल यौन शोषण), इनसैस्ट (निकट संबंधियों के साथ यौन संबंध), बीस्टियालिटी (जानवरों के साथ यौन कृत्य) और अन्य प्रकार की अश्लील सामग्री तक बिना किसी रोक-टोक के पहुंच को “भविष्य की पीढ़ियों के नैतिक ताने-बाने को भ्रष्ट करने वाला एक बढ़ता खतरा” बताया है।
- सोशल मीडिया पर आरोप: X (पूर्व में ट्विटर), इंस्टाग्राम, और मेटा (पूर्व में फेसबुक) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर स्पष्ट यौन सामग्री के प्रचार-प्रसार को पर्याप्त नियंत्रण व सेंसरशिप के बिना चलने की बात कही गई है।
- ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की भूमिका: नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, उल्लू, ALTT (पूर्व में ALT बालाजी) जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी अत्यधिक स्पष्ट और यौन विचलन से भरी सामग्री के प्रसारण का आरोप है, जो याचिकाकर्ता के अनुसार बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा का उल्लंघन करता है।
व्यापक चिंता: यह मामला न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम नैतिकता के संतुलन से जुड़ा है, बल्कि बाल अधिकारों, डिजिटल सेंसरशिप, प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी और साइबर कानूनों के कार्यान्वयन से भी जुड़ा हुआ है।
प्रमुख क़ानूनी प्रावधान:
- आईटी नियम, 2021 (IT Rules, 2021)
नाम: Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021
उद्देश्य: ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म्स और डिजिटल मीडिया को उत्तरदायित्वपूर्ण बनाने हेतु स्व-नियमन और सामग्री के लिए आचार संहिता निर्धारित करना।
प्रमुख प्रावधान:
- सामग्री वर्गीकरण (Content Classification): आयु-आधारित श्रेणियाँ:
- U (Universal), U/A 7+, U/A 13+, A (Adult)
- अभिभावकीय नियंत्रण: ‘A’ श्रेणी की सामग्री के लिए पैरेंटल लॉक और रेटिंग डिस्प्ले अनिवार्य।
- त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली:
- स्तर 1: स्वयं नियमन (Self-regulation by platform)
- स्तर 2: उद्योग-स्तरीय निकाय (जैसे DPCGC)
- स्तर 3: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा निगरानी
- डिजिटल प्रकाशकों की शिकायत परिषद (DPCGC):
उद्देश्य: प्रमुख ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म्स (जैसे Netflix, Amazon Prime) द्वारा स्वयं नियमन हेतु गठित एक उद्योग निकाय।
- ओटीटी प्लेटफॉर्म्स नियामक प्राधिकरण विधेयक, 2021:
प्रस्तावित उद्देश्य: हिंसात्मक, अपमानजनक, अश्लील वेब सीरीज, फ़िल्में व अन्य सामग्री पर पूर्ण प्रतिबंध
- एक स्वतंत्र नियामक प्राधिकरण की स्थापना
स्थिति: यह विधेयक 17वीं लोकसभा के विघटन के साथ समाप्त हो गया और कानून नहीं बन पाया।
- सिनेमा (संशोधन) अधिनियम, 1952:
- उद्देश्य: ओटीटी पर प्रसारित डिजिटल सामग्री को थिएटर फिल्मों की तरह उम्र-आधारित प्रमाणन और संवेदनशील सेंसर मानकों के अंतर्गत लाना।
- यह प्रस्ताव मीडिया प्लेटफॉर्म्स में समानता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए है।
ओटीटी नियमन में प्रमुख चुनौतियाँ–
स्वतंत्रता और उत्तरदायित्व के बीच संतुलन:
- ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की मूल भावना रचनात्मक स्वतंत्रता पर आधारित होती है।
- ऐसी स्थिति में पूर्ण सेंसरशिप लागू करना विवादास्पद बन जाता है।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जवाबदेह सामग्री प्रबंधन के बीच संतुलन बनाना सबसे बड़ी चुनौती है।
वैश्विक प्लेटफॉर्म्स, स्थानीय नियम:
- Netflix, Amazon Prime, Disney+ जैसे प्लेटफॉर्म अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हैं।
- भारत जैसे देश के संस्कृति-विशिष्ट नियमों का पालन करवाना इन वैश्विक संस्थाओं के लिए मुश्किल होता है।
- न्यायिक अधिकार क्षेत्र की सीमाएं भी समस्या उत्पन्न करती हैं।
अत्यधिक सामग्री का प्रसार:
- हर दिन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर हजारों घंटे की नई सामग्री अपलोड होती है।
- इतने बड़े पैमाने पर निगरानी, पूर्व–स्वीकृति या संशोधन कर पाना लगभग असंभव है।