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पेगासस स्पाइवेयर / Pegasus Spyware

संदर्भ:

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि देश की सुरक्षा के लिए स्पायवेयर (Spyware) का इस्तेमाल गलत नहीं है, लेकिन यदि इसका उपयोग निजी व्यक्तियों के खिलाफ किया गया है तो उन आरोपों की जांच की जाएगी।

पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus Spyware) —

परिचय:

  • पेगासस एक उन्नत स्पाइवेयर (जासूसी सॉफ़्टवेयर) है जिसे इज़रायली साइबर सुरक्षा कंपनी NSO Group द्वारा 2010 में विकसित किया गया था।
  • यह iOS और Android दोनों डिवाइसों को हैक कर सकता है ताकि व्यक्तिगत डेटा, कॉल रिकॉर्डिंग, फोटो, मैसेज और ऐप्स की जानकारी चुपचाप प्राप्त की जा सके।

स्पाइवेयर क्या होता है: स्पाइवेयर एक प्रकार का मालवेयर (हानिकारक सॉफ़्टवेयर) होता है, जो उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना उसकी गतिविधियों पर नजर रखता है और गोपनीय जानकारी एकत्र करता है।

पेगासस की प्रमुख विशेषताएँ:

  1. एडवांस्ड एक्सप्लॉइटेशन (Advanced Exploitation):
    • iOS डिवाइसों को रिमोट तरीके से जेलब्रेक करने के लिए यह ज़ीरो-डे वल्नरेबिलिटी का उपयोग करता है।
    • Android डिवाइसों में rooting के लिए Framaroot जैसे टूल्स का उपयोग किया जाता है।
  2. ज़ीरोडे वल्नरेबिलिटी (Zero-Day Vulnerability):
    • सॉफ़्टवेयर की वह खामी जिसे डेवलपर के ध्यान में लाए बिना पहले ही हैकर्स उपयोग कर लेते हैं। इसका कोई सुरक्षा पैच उपलब्ध नहीं होता।
  3. रूटिंग (Rooting): डिवाइस पर पूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण प्राप्त करना ताकि सिस्टम स्तर की गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सके।
  4. अदृश्यता (Invisibility):
    • यह बिना किसी स्पष्ट संकेत के काम करता है।
    • कभी-कभी केवल ब्राउज़र का अचानक बंद होना ही एकमात्र संकेत होता है जब उपयोगकर्ता फिशिंग लिंक पर क्लिक करता है।

पेगासस ग्राहक और विवाद:

  • NSO Group के अनुसार, पेगासस का प्रयोग केवल सरकारों को किया जाता है, आतंकवाद और गंभीर अपराधों की निगरानी हेतु।
  • विवाद: कई सरकारों ने पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं और आलोचकों की जासूसी के लिए पेगासस का दुरुपयोग किया।
    • भारत, मैक्सिको, सऊदी अरब, हंगरी जैसे देशों में पेगासस के उपयोग पर गंभीर अंतरराष्ट्रीय आलोचना हुई है।

 

पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि माना:
  • पीठ अध्यक्षता: जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह ने की।
  • मुख्य टिप्पणी:
    • राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता।
    • अगर कोई देश स्पाइवेयर रखता है या उसका उपयोग करता है, तो वह अपने सुरक्षा हितों के लिए गलत नहीं है।
  • स्पष्ट किया गया: मुद्दा यह नहीं है कि सरकार के पास पेगासस है या नहीं, बल्कि यह है कि उसका इस्तेमाल किनके खिलाफ किया गया।
  1. व्यक्तिगत गोपनीयता के अधिकार को मान्यता:
  • संवैधानिक अधिकार: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि नागरिकों का गोपनीयता का अधिकार मौलिक है।
  • रिपोर्ट पर रुख: कोर्ट ने कहा कि पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी, लेकिन जिन व्यक्तियों को शक है कि उनके फोन की जासूसी हुई, उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित किया जा सकता है।
  1. पृष्ठभूमि: सरकारी निगरानी के आरोप
  • वर्ष: याचिकाएं 2021 में दायर की गई थीं।
  • याचिकाकर्ता: इनमें पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रमुख हस्तियां शामिल थीं।
  • आरोप: केंद्र सरकार ने इज़रायली कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाए गए पेगासस स्पाइवेयर का नागरिकों की निगरानी के लिए उपयोग किया।
  • मुख्य तर्क: सरकार के पास पेगासस का स्वामित्व ही यह संकेत देता है कि भविष्य में भी निगरानी की संभावना बनी हुई है, जो गोपनीयता का उल्लंघन है।

निष्कर्ष: सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि यद्यपि व्यक्तियों को सूचित किया जा सकता है कि उनके फोन को निशाना बनाया गया है, लेकिन रिपोर्ट सार्वजनिक बहस का दस्तावेज नहीं बन सकती।

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