संदर्भ:
भारतीय सरकार ने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (National Critical Mineral Mission – NCMM) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है।
महत्वपूर्ण खनिजों का महत्व:
- महत्वपूर्ण खनिज (Critical Minerals) किसी भी देश कीआर्थिक प्रगति और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं।
- इनकी अनुपलब्धता या कुछ ही भौगोलिक क्षेत्रों में इनका सीमित वितरण आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) में कमजोरियाँ उत्पन्न कर सकता है।
विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग:
- सौर ऊर्जा (Solar Energy):
- सिलिकॉन (Silicon), टेल्यूरियम (Tellurium), इंडियम (Indium) और गैलियम (Gallium) जैसे खनिज सोलर पैनलों में उपयोग होने वाली फोटोवोल्टिक (PV) कोशिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक हैं।
- भारत की वर्तमान सौर क्षमता 64 गीगावॉट (GW) है, जो इन खनिजों पर काफी निर्भर है।
- पवन ऊर्जा: दुर्लभ मृदा तत्व जैसे डिसप्रोसियम (Dysprosium) और नियोडिमियम (Neodymium) पवन टर्बाइनों में प्रयुक्त स्थायी चुम्बकों (Permanent Magnets) में उपयोग होते हैं।
- भारत 2030 तक अपनी पवन ऊर्जा क्षमता को 42 GW से बढ़ाकर 140 GW करने का लक्ष्य रखता है, जिसके लिए इन खनिजों की स्थिर आपूर्ति आवश्यक है।
- इलेक्ट्रिक वाहन:
- लिथियम (Lithium), निकेल (Nickel) और कोबाल्ट (Cobalt) लिथियम-आयन बैटरियों के मुख्य तत्व हैं।
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP) के तहत भारत 2024 तक 6–7 मिलियन EVs तैनात करने की योजना बना रहा है, जिससे इन खनिजों की मांग बढ़ेगी।
- ऊर्जा भंडारण: आधुनिक ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में प्रयुक्त लिथियम-आयन बैटरियाँ पूरी तरह लिथियम, कोबाल्ट और निकेल पर निर्भर हैं।