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जैविक विविधता विनियमन 2025 (Biological Diversity Regulation 2025)

Biological Diversity Regulation 2025

संदर्भ:

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) ने जैव संसाधनों तक पहुंच को विनियमित करने और लाभों के न्यायसंगत एवं समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए नए नियम जारी किए हैं। ये नियम केंद्र सरकार की मंजूरी से लागू किए गए हैं।

2025 की नई जैव विविधता विनियम व्यवस्था: मुख्य बिंदु

उद्देश्य: इस विनियम का उद्देश्य जैविक संसाधनों, पारंपरिक ज्ञान, और डिजिटल अनुक्रम सूचना (Digital Sequence Information – DSI) के उपयोग से प्राप्त लाभों को साझा करना है।

लाभसाझाकरण की नई श्रेणीबद्ध संरचना (Tiered Benefit Sharing):

उपयोगकर्ता के वार्षिक टर्नओवर पर आधारित दरें:

  • ₹5 करोड़ तक: कोई लाभ-साझाकरण नहीं।
  • ₹5–50 करोड़: 0.2% लाभ-साझाकरण।
  • ₹50–250 करोड़: 0.4% लाभ-साझाकरण।
  • ₹250 करोड़ से अधिक: 0.6% लाभ-साझाकरण।

अनिवार्य रिपोर्टिंग: जिनका वार्षिक टर्नओवर ₹1 करोड़ से अधिक है, उन्हें हर वर्ष संसाधन उपयोग का विवरण प्रस्तुत करना होगा।

विशेष छूट और सख्त प्रावधान:

  • कृषि-उगाए गए औषधीय पौधे पूरी तरह से लाभ-साझाकरण से मुक्त हैं — जैव विविधता (संशोधन) अधिनियम, 2023 के अनुरूप।
  • रेड सैंडर्स, अगरवुड, चंदन जैसे उच्च-मूल्य या संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए कम से कम 5% लाभ-साझाकरण अनिवार्य, जो 20% या अधिक तक बढ़ सकता है।

प्रभावित हितधारक: शोधकर्ता, बौद्धिक संपदा (IP) अधिकार मांगने वाले, और डिजिटल डाटा उपयोगकर्ता — पहली बार डिजिटल अनुक्रम सूचना (DSI) को भी लाभ-साझाकरण में शामिल किया गया है।

एक्सेस एंड बेनिफिट शेयरिंग (ABS): जैव विविधता का न्यायसंगत उपयोग

  1. परिभाषा और उद्देश्य:
  • Access and Benefit Sharing (ABS) वह प्रक्रिया है जिसके तहत जैविक संसाधनों (जैसे पौधे, जानवर या आनुवंशिक सामग्री) तक पहुंच दी जाती है, और उनके उपयोग से उत्पन्न लाभों — चाहे मौद्रिक हों या अमौद्रिक — को स्रोत समुदायों या राष्ट्रों के साथ न्यायसंगत रूप से साझा किया जाता है।
  1. प्रमुख सिद्धांत
  • पूर्वसूचित सहमति (PIC): स्रोत समुदाय या राष्ट्र की स्पष्ट सहमति आवश्यक होती है।
  • आपसी सहमति से शर्तें: उपयोग और लाभ-साझाकरण की शर्तों को वार्ता के माध्यम से तय किया जाता है।
  1. अंतर्राष्ट्रीय ढांचा
  • Convention on Biological Diversity (CBD) के तहत ABS की नींव रखी गई।
  • नागोया प्रोटोकॉल (2010): यह CBD के अंतर्गत एक कानूनी रूप से बाध्यकारी ढांचा है जो आनुवंशिक संसाधनों तक पहुंच और लाभ-साझाकरण को नियंत्रित करता है।
  • COP-16 (2024), काली, कोलंबिया: डिजिटल अनुक्रम जानकारी से जुड़े लाभों को साझा करने के लिए बहुपक्षीय तंत्र के प्रमुख प्रावधानों को अंतिम रूप दिया गया।
  1. भारत में ABS का कार्यान्वयन
  • जैव विविधता अधिनियम, 2002: भारत में ABS की वैधानिक नींव।
  • ABS विनियमन, 2025: लाभ-साझाकरण की श्रेणीबद्ध दरें निर्धारित करता है और डिजिटल अनुक्रम जानकारी को भी शामिल करता है।

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) के बारे में:

  1. परिभाषा और गठन: राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) एक सांविधिक निकाय है जिसे 2003 में भारतीय जैव विविधता अधिनियम, 2002 के प्रावधानों को लागू करने और भारत के जैविक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का न्यायसंगत साझाकरण सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया था।
  2. मुख्यालय: चेन्नई
  3. संगठनात्मक संरचना
  • अध्यक्ष: केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्त
  • कार्यकारी सदस्य
  • विशेषज्ञ सदस्य
  1. उद्देश्य: जैव विविधता संरक्षण, संसाधनों का स्थायी उपयोग, और जैविक संसाधनों के उपयोग से लाभ-साझाकरण के लिए नियम और नीतियों का निर्धारण।
  • जैव विविधता अधिनियम, 2002 के तहत अनुशासन और दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना।

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